
हमारे देश में ऐसे बहुत से राजनेता रहे हैं जिन्हें उनके काम और ईमानदारी के लिए हमेशा याद किया जाता है. और पूर्व विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज उनमें से एक हैं. विदेश में संकटग्रस्त कई भारतीयों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने वाली और नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सबसे सुलभ मंत्रियों में से एक, सुषमा स्वराज को हमेशा याद किया जाता रहेगा.
सुषमा स्वराज भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री थीं क्योंकि इंदिरा गांधी ने भी प्रधान मंत्री पद के साथ मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला था. साल 2019 में दिल का दौरा पड़ने से सुषमा स्वराज का निधन हो गया. उनके निधन ने न सिर्फ राजनीति बल्कि पूरे देश में हलचल मचा दी थी. लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि उनकी चहेती मंत्री अब नहीं रही हैं.
25 साल की उम्र में बनीं कैबिनेट मिनिस्टर
सुषमा स्वराज ने 1977 में हरियाणा विधानसभा में प्रवेश किया, और 25 वर्ष की आयु में वह राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री बनीं. वह दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री थीं और मोदी सरकार को छोड़कर केंद्र में हर भाजपा सरकार का हिस्सा रही हैं. साल 1999 में बेल्लारी, कर्नाटक से तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनकी चुनावी चुनौती 1990 के दशक की सबसे चर्चित चुनावी लड़ाइयों में से एक थी. गांधी ने 56,000 मतों से चुनाव जीता था.
उन्होंने 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने 2009 में मध्य प्रदेश में विदिशा लोकसभा क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा का चुनाव जीता और नेता बनीं.
देश की सबसे सफल विदेश मंत्री
विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में, स्वराज को शायद आम लोगों के लिए सबसे सुलभ मंत्री के रूप में जाना जाता था. आम लोगों ने परेशानी में सक्रिय रूप से उनसे मदद मांगी थी, चाहे वह विदेश में पासपोर्ट खोने की समस्या हो या पासपोर्ट से जुड़ी कोई और परेशानी. सबसे अच्छी बात थी कि सुषमा स्वराज ने खुद आगे बढ़कर लोगों की मदद की.
साल 2015 में नेहा पारीक नामक एक नागरिक ने उनसे अपने माता-पिता के लिए मदद मांगी जो यूरोप ट्रिप से लौटते समय इस्तांबुल में फंस गए थे. क्योंकि नेहा की मां से उनका पासपोर्ट गुम गया था. नेहा की परेशानी जानकर सुषमा स्वराज ने तुरंत उनकी मदद की. सुषमा स्वराज ने न सिर्फ भारतीयों बल्कि विदेशियों की भी मदद की.
साल 2017 में हीरा अहमद नामक एक पाकिस्तानी महिला ने उनसे गुहार लगाई कि उनकी बेटी की ओपन हार्ट सर्जरी होनी है लेकिन उनकी मेडिकल वीजा रिक्वेस्ट को अप्रुवल नहीं मिला है. सुषमा स्वराज ने उन्हें तुरंत वीजा दिलाया ताकि बच्ची का इलाज समय से हो सके.