
गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन ऐसे बिल पेश किए, जिनमें संविधान में संशोधन कर यह प्रावधान किया जाएगा कि यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य मंत्री किसी आपराधिक मामले में 30 दिनों से ज्यादा समय तक जेल में रहते हैं, तो उन्हें पद छोड़ना होगा. ये तीनों विधेयक हैं- संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025. विपक्षी दलों ने इस प्रस्तावित बिल पर कड़ी आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि इससे केंद्र की सत्ता में बैठी पार्टी किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्रियों को हटाने का हथियार पा जाएगी.
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने किया तीखा हमला
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने एक्स (X) पर तीखा हमला करते हुए लिखा-
1. कितना खतरनाक चक्र है!
2. गिरफ्तारी के लिए कोई ठोस गाइडलाइंस नहीं!
3. विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी धड़ाधड़ और मनमाने ढंग से हो रही है.
4. नए कानून के तहत, सिर्फ गिरफ्तारी होते ही मुख्यमंत्री को तुरंत हटाया जा सकेगा.
5. विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने का सबसे आसान तरीका होगा पक्षपाती एजेंसियों का इस्तेमाल.
6. सत्ताधारी दल के मुख्यमंत्री और मंत्री कभी नहीं छुए जाएंगे.
क्या कहता है अभी कानून
1. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की नियुक्ति
- संविधान के तहत प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं और मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं.
- प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री, क्रमशः राष्ट्रपति और राज्यपाल कि इच्छा तक पद पर बने रहते हैं.
बहुमत साबित करना जरूरी
- मुख्यमंत्री वही बनता है, जिसकी पार्टी के पास विधानसभा में बहुमत हो.
- सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि सरकार तभी वैध मानी जाएगी, जब उसे सदन का बहुमत प्राप्त हो.
- SR Bommai केस और शिवराज सिंह चौहान केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फ्लोर टेस्ट (Floor Test) ही तय करेगा कि मुख्यमंत्री के पास बहुमत है या नहीं.
2016 का Nabam Rebia फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति तभी वैध है, जब वह विधानसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त करता हो.
- राज्यपाल के पास किसी को भी मनमाने तरीके से मुख्यमंत्री नियुक्त करने का अधिकार नहीं है.
संविधान के प्रावधान
- अनुच्छेद 75: केंद्रीय मंत्रियों के बारे में
- प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं.
- अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है.
- सभी मंत्री राष्ट्रपति की इच्छा तक पद पर रहते हैं.
- मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है.
अनुच्छेद 164: राज्य मंत्रियों के बारे में
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं.
- अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर होती है.
- सभी मंत्री राज्यपाल की इच्छा तक पद पर बने रहते हैं.
वर्तमान कानून के अनुसार कब हटाए जा सकते हैं मंत्री/सीएम
वर्तमान में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) के तहत कोई भी सांसद, विधायक,मंत्री या मुख्यमंत्री तभी अयोग्य होता है जब, उसे किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो और दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई गई हो. सिर्फ गिरफ्तारी के आधार पर किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाया नहीं जा सकता. RPA के तहत, अपील लंबित होने तक अयोग्यता लागू नहीं होती.
नए बिल में क्या बदलाव होगा
यदि प्रस्तावित बिल पास हो गया तो प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य मंत्री किसी अपराध में गिरफ्तार होकर 30 दिन से ज्यादा जेल में रहते हैं और अपराध में 5 साल तक की सजा हो सकती है, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा. यदि इस्तीफा नहीं दिया तो उन्हें स्वचालित रूप से पद से हटा दिया जाएगा. इसका मतलब होगा कि दोषसिद्धि से पहले, यानी जांच और मुकदमे के दौरान ही मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री अपनी कुर्सी खो सकते हैं.
अब तक किन-किन सीएम और मंत्रियों की हुई गिरफ्तारी
1. अरविंद केजरीवाल: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री.
- मार्च 2024 में दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में गिरफ्तार.
- 6 महीने जेल में रहे, सितंबर 2024 में जमानत मिली.
- जमानत मिलने के कुछ दिनों बाद ही इस्तीफा दिया.
2. मनीष सिसोदिया: पूर्व उपमुख्यमंत्री, दिल्ली
- दिल्ली आबकारी घोटाले में फरवरी 2023 में गिरफ्तार.
- 17 महीने जेल में रहे.
- गिरफ्तारी के दो दिन बाद ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
3. सत्येंद्र जैन: पूर्व मंत्री, दिल्ली
- मई 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार.
- फरवरी 2023 में मंत्री पद से इस्तीफा दिया.
4. वी. सेंथिल बालाजी: पूर्व मंत्री, तमिलनाडु
- जून 2023 में कैश-फॉर-जॉब्स स्कैम और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार.
- फरवरी 2024 तक मंत्री पद पर बने रहे.
- सितंबर 2024 में जमानत के बाद फिर मंत्री बनाए गए.
- अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों के बाद इस्तीफा देना पड़ा.
5. हेमंत सोरेन: मुख्यमंत्री, झारखंड
- जनवरी 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्तारी से ठीक एक दिन पहले इस्तीफा.
- जुलाई 2024 में जमानत मिलने के बाद फिर से मुख्यमंत्री बने.
- 8 करोड़ रुपए की अवैध जमीन घोटाले में आरोप, लेकिन जांच अभी भी जारी.
(अनीशा माथुर की रिपोर्ट)