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G7 Summit के लिए जापान जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी, पोखरण न्यूक्लियर टेस्ट के बाद हिरोशिमा जाने वाले पहले भारतीय पीएम

हिलोशिमा पर परमाणु बम हमले के बाद वहां जाने वाले नेहरू पहले भारतीय पीेएम थे. हालांकि, 1974 में पोखरण टेस्ट के बाद यह पहली बार जब कोई भारतीय पीएम हिरोशिमा जा रहा है.

PM Modi will go to Japan PM Modi will go to Japan
हाइलाइट्स
  • परमाणु बम पीड़ितों से मिल सकते हैं G-7 लीडर्स 

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस शुक्रवार को G7 लीडर्स के शिखर सम्मेलन के लिए जापान के हिरोशिमा जा रहे हैं. भारत के 1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण करने के बाद से पहली बार कोई भारतीय प्रधान मंत्री हिरोशिमा जा रहा है. 1945 में हिरोशिमा पर परमाणु बम हमला हुआ था और 1974 से पहले साल 1957 में वहां जाने वाले अंतिम भारतीय पीएम में जवाहरलाल नेहरू थे. उनके बाद अब 19 मई को हिरोशिमा पहुंचने वाले मोदी 20-21 मई को जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

हिरोशिमा में मोदी की उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत उन कुछ देशों में से एक है जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. वह पीस मेमोरियल पार्क का दौरा करने वाले G7 नेताओं में शामिल होंगे, जो हमले के पीड़ितों और जीवित बचे लोगों को समर्पित है. जापान के दृष्टिकोण से, यह एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि जापानी पीएम फुमियो किशिदा हिरोशिमा से हैं, और उनका निर्वाचन क्षेत्र मध्य हिरोशिमा शहर में स्थित है. 

परमाणु बम पीड़ितों से मिल सकते हैं G7 लीडर्स 
सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष भारत के परमाणु परीक्षणों और दिल्ली के एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने के संबंध में जापान और विशेष रूप से हिरोशिमा के लोगों की संवेदनशीलता से अवगत है. टोक्यो में परमाणु बम पीड़ितों के परिवारों के साथ G7 नेताओं और अन्य आमंत्रितों की बैठक कराने की संभावना है. और दिल्ली इस बात को रखने की तैयारी कर रहा है कि वह एनपीटी को भेदभावपूर्ण मानता है, भारत का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, और जब परमाणु हथियारों की बात आती है तो भारत की नो-फर्स्ट यूज पॉलिसी है. 

भारत एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में अपने ट्रैक रिकॉर्ड को भी पेश करेगा - हाल ही में, भारत ने यूक्रेन में युद्ध के संदर्भ में रूसी नेताओं द्वारा परमाणु युद्ध बयानबाजी पर चिंता व्यक्त की है. जापान के पीएम किशिदा, का इस शिखर सम्मेलन के पीछे उद्देश्य परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया के नजरिए को पेश करने की है. हालांकि, इस बात की भी चिंता है कि रूस यूक्रेन में चल रहे युद्ध में ऐसे हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. 

चुनौतीपूर्ण है इस बार का G7 Summit
पीएम मोदी पहले भी तीन G7 शिखर सम्मेलन में भाग ले चुके हैं – दो बार व्यक्तिगत रूप से, फ्रांस (2019) और जर्मनी (2022) में, और एक बार वर्चुअली यूके 2021 में. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि हिरोशिमा में इस शिखर सम्मेलन के चुनौतीपूर्ण होने की उम्मीद है क्योंकि जापानी पक्ष परमाणु संवेदनशील है. 

भारत के अलावा, G7 समूह में- जापान, इटली, कनाडा, फ्रांस, यूएस, यूके और जर्मनी हैं और ईयू  ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोमोरोस (अफ्रीकी संघ अध्यक्ष), कुक आइलैंड्स (पैसिफिक आइलैंड्स फोरम) को , इंडोनेशिया (आसियान अध्यक्ष), दक्षिण कोरिया और वियतनाम को आउटरीच सत्र में आमंत्रित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ, विश्व बैंक, डब्ल्यूएचओ और विश्व व्यापार संगठन भी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. 

G7 में जाने से बढ़ेगा भारत का कद
अधिकारियों ने कहा कि भारत की कोशिश जी20 की अध्यक्षता के तहत प्राथमिकताओं के लिए जी7 समूह से समर्थन हासिल करने की होगी. वास्तव में, G20 समूह के 12 देशों के नेता G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, और G7 आउटरीच सत्र को संबोधित करने के अलावा उनमें से कुछ के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होने की उम्मीद है. 

सूत्रों ने कहा कि भारत को आमंत्रित करके, जापानी पक्ष ने भारत को ग्लोबल साउथ- लगभग 120 विकासशील और अल्प-विकसित देशों का विशाल समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित किया है. एक जापानी अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ग्लोबल साउथ के देशों की चिंता के मुद्दों पर G7 के योगदान को प्रदर्शित करके उन तक पहुंच को मजबूत करने की कोशिश है. 

जापानी एजेंडा नोट में कहा गया है, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब एक ऐतिहासिक मोड़ पर है, जिसने कोविड-19 महामारी का अनुभव किया है और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता का सामना कर रहा है, जिसने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव को हिला दिया है." यूक्रेन के खिलाफ रूस का हमला नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए एक चुनौती है, और G7 ने एकजुट तरीके से जवाब दिया है. इसमें कहा गया है, "जी7 रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को मजबूती से बढ़ावा देने और यूक्रेन को समर्थन देना जारी रखेगा. "

जापान के बाद यहां जा सकते हैं मोदी 
जापान के बाद, मोदी पापुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी की यात्रा करेंगे, जहां वह 22 मई को पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री जेम्स मारपे के साथ फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन के तीसरे शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी करेंगे. 

2014 में लॉन्च किए गए, FIPIC में भारत और 14 प्रशांत द्वीप देश शामिल हैं - फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, समोआ, वानुअतु, नीयू, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, मार्शल द्वीप समूह, कुक द्वीप समूह, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन द्वीप. किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पापुआ न्यू गिनी की पहली यात्रा होगी. 

इसके बाद, मोदी 22-24 मई को क्वाड लीडर्स समिट के लिए सिडनी में होंगे, साथ ही ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीस, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और जापान के पीएम किशिदा भी होंगे. वह 24 मई को अल्बनीज के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, ऑस्ट्रेलियाई सीईओ और व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत करेंगे और 23 मई को सिडनी में भारतीय प्रवासी को संबोधित करेंगे.