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आफताब का होगा Polygraph Test, जानें कैसे यह नार्को टेस्ट से होता है अलग और क्या इससे बच सकता है अपराधी

दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को श्रद्धा के लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला की हिरासत चार दिनों के लिए बढ़ा दी. अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के अनुरोध को भी मंजूरी दे दी है.

Polygraph Test will be conducted on Aftab Polygraph Test will be conducted on Aftab
हाइलाइट्स
  • आफताब का होगा पॉलीग्राफ टेस्ट

  • नार्को टेस्ट से अलग होता है यह टेस्ट

दिल्ली हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला का पुलिस आज पॉलीग्राफ टेस्ट कराने जा रही है. पुलिस ने साकेत कोर्ट का रुख कर पूनावाला का 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' कराने की अनुमति मांगी थी और कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. पूनावाला पर अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वाकर की हत्या करने और उसके शरीर को 35 हिस्सों में काटने का आरोप है. 

पुलिस टीम नार्को टेस्ट से पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कर सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह परीक्षण रोहिणी की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) में आयोजित किए जाने की संभावना है. और इस केस में ड्रग एंगल की भी जांच की जा रही है.

क्या होता है पॉलीग्राफ (Polygraph)
आपको बता दें कि पॉलीग्राफ एक लाई डिटेक्टर डिवाइस है जिसे किसी व्यक्ति के शरीर से लगाया जाता है और जब वह व्यक्ति एक ऑपरेटर से सवालों का जवाब देता है तो यह शारीरिक घटनाओं (Physiological Activity) जैसे ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और मानव विषय (जिस पर टेस्ट हो रहा है) की सांस को रिकॉर्ड करता है. इस डेटा का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि वह व्यक्ति झूठ बोल रहा है या नहीं.

हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1924 से पुलिस की पूछताछ और जांच में इस्तेमाल किया जाने वाला लाई डिटेक्टर अभी भी मनोवैज्ञानिकों के बीच विवादास्पद है और हमेशा न्यायिक रूप से स्वीकार नहीं होता है. 

पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे किया जाता है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पॉलीग्राफ टेस्ट कराने वाले शख्स के शरीर में चार से छह सेंसर लगे होते हैं. पॉलीग्राफ एक मशीन है जो चलती कागज ("ग्राफ") की एक पट्टी पर सेंसर से कई ("पॉली") संकेतों को रिकॉर्ड करती है. टेस्ट के दैरान व्यक्ति से सवाल किए जाते हैं और उसके जवाब देते समय उस व्यक्ति की सांस लेने की दर, रक्तचाप और पसीना आदि रिकॉर्ड किए जाते हैं. कभी-कभी हाथ और पैर की मुवमेंट भी रिकॉर्ड की जाती है. 

कैसे अलग है यह नार्को टेस्ट से 
पहले आफताब का नार्को टेस्ट होना था लेकिन अब पॉलीग्राफ टेस्ट किया जा रहा है. अब आपको बताते हैं कि इन दोनों परीक्षण में क्या अंतर है. पॉलीग्राफ टेस्ट या लाइ डिटेक्टर टेस्ट में व्यक्ति की फिजिकल एक्टिविटी जैसे, हार्टबीट, ब्रीदिंग और पसीना को नोट किया जाता है. 

लेकिन नार्को टेस्ट में व्यक्ति को पहले सोडियम पेंटोथल दवा का इंजेक्शन दिया जाता है.  जिससे वह लगभग बेहोश की हालत में आ जाता है लेकिन व्यक्ति का दिमाग काम करता रहता है. इसी हालत में आरोपी से सवाल किए जाते हैं और इस टेस्ट के बाद ज्यादातर अपराधी सच कबूल कर लेते हैं. 

क्या पॉलीग्राफ टेस्ट से बच सकता है अपराधी
अब सवाल है कि क्या यह टेस्ट 100% सही होता है या फिर अपराधी इससे बच सकते हैं. इस सवाल का जवाब है कि इस टेस्ट से अपराधियों के बचने की पूरी संभावना है. कई शातिर अपराधी अपने भावों, हार्ट रेट को कंट्रोल रखते हुए भी झूठ बोल लेते हैं. इसलिए इस टेस्ट से 100% सही रिजल्ट मिलना अभी भी संदेह के घेरे में है.