

प्रयागराज में गंगा-यमुना का रौद्र रुप देखने को मिल रहा है. भारी बारिश से प्रयागराज में बाढ़ के हालात बन गए हैं. प्रयागराज में इस समय अपने सबसे भयावह जल संकट से जूझ रही है. गंगा और यमुना नदियां अपने विकराल रूप में हैं. दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है.
प्रयागराज में सभी घाट गंगा में समा गए हैं. हालत इतना खराब हैं कि संगम किनारे के इलाकों में नदी का पानी लोगों के घरों तक पहुंच गया है. इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. बाढ़ की वजह से लोग सड़कों पर अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं. प्रयागराज ही नहीं आसपास के कई गांव भी बाढ़ की चपेट में हैं.
प्रयागराज से 25 किलोमीटर दूर गारापुर-झूंसी मार्ग पर करीब 2 किलोमीटर लंबा संपर्क मार्ग पूरी तरह डूब चुका है. बदरा, सोनौटी, ढोलबजवा और पुरवा गांवों का शहर से संपर्क कट चुका है. यहां पर वाहन नहीं, नावें चल रही हैं. लोग नावों से साइकिल और बाइक पार करा रहे हैं. बारिश और बाढ़ की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. बिजली बंद है और लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
बाढ़ में फंसे गांवों में प्रशासन ने 23 नावें तैनात की हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अगर किसी के घर में कोई बीमार होता है तो उसे पहले नाव से सड़क पार करनी होती है. फिर किसी और साधन से डॉक्टर तक पहुंचना पड़ता है. दूध, राशन, दवा, सब कुछ नाव से पार किया जा रहा है. प्रयागराज इस समय अपने सबसे भयावह जल संकट से जूझ रहा है. गंगा और यमुना नदियां अपने विकराल रूप में हैं. दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है.
नदियों का यह बढ़ता जलस्तर न सिर्फ शहर के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है बल्कि धार्मिक, पारिवारिक और सामाजिक गतिविधियां भी बुरी तरह बाधित हो गई हैं. बाढ़ की वजह से संगम नगरी के सभी घाट डूबे हैं. अंतिम संस्कार की जगहें जलमग्न हैं. फिर भी संस्कार रुके नहीं हैं. दारागंज में शास्त्री ब्रिज के नीचे का श्मशान घाट पूरी तरह पानी में डूब चुका है. दो सुलभ शौचालय परिसर और एक पुलिस चौकी भी जलमग्न हैं.
मजबूरी में सड़कों पर अंतिम संस्कार हो रहे हैं. ‘शंकर लाल’ इलेक्ट्रॉनिक शवदाह गृह फुल हो चुका है. लोग नंबर लेकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. रसूलाबाद घाट भी अब बंद है. सावन में जहां दशाश्वमेध घाट और संगम तट पर लाखों श्रद्धालु गंगाजल भरकर शिव पूजन करते हैं. वह परंपरा अब सड़कों पर निभाई जा रही है. गलियों से जल भरकर श्रद्धालु कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. पुरोहित गलियों में बैठकर पूजा-अर्चना करा रहे हैं.
यूपी पुलिस के सब इंस्पेक्टर चंद्रदीप निषाद का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह बाढ़ के पानी में खड़े होकर अपनी वर्दी में मां गंगा की पूजा करते दिख रहे हैं. फूल चढ़ाते हैं, दूध से अभिषेक करते हैं और हाथ जोड़कर आशीर्वाद मांगते हैं. ये दृश्य बाढ़ में भी अडिग श्रद्धा का प्रतीक बन गया है.
पनासा गांव (करछना) की निषाद बस्ती में घरों तक पानी पहुंच गया है. एनडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हैं. करैली की गड्ढा कॉलोनी डूब चुकी है. पुर कॉलोनी में भी पानी तेजी से फैल रहा है. कई इलाकों में सड़कें नदी बन चुकी हैं और वहीं नावें चल रही हैं. लगभग 41 मोहल्ले और 13 ग्रामों का आवागम बाधित है.
प्रभावित वार्ड/मोहल्ले:
राजापुर देह माफी, असदुल्लापुर, बेली कछार, मेहदौरी, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, दरियाबाद, म्योराबाद, नकौली, नेवादा सहित 41 मोहल्ले.
केवल आवागमन प्रभावित ग्राम:
बदरा, सोनौटी, धोकरी, देहली भगेसर, हथसरा, फाफामऊ, गंगानगर, झरियारी, अमिलिया खुर्द सहित 13 गांव.
बाढ़ की वजह से 431 परिवार को अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है. 1495 व्यक्ति इन शिविरों में आश्रित है. प्रयागराज में अलग-अलग जगहों पर कुल 95 शिविर बनाए गए हैं. जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा स्वयं राहत शिविरों की निगरानी कर रहे हैं. सुरक्षित स्थानों पर लोगों को पहुंचाया जा रहा है. शुद्ध पेयजल, भोजन और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. नावों से लगातार संपर्क बनाए रखा जा रहा है. प्रशासन ने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कंट्रोल रूम बनाया है. प्रशासन ने लोगों की मदद के लिए कंट्रोल रूम का नंबर (0532-2641577, 0532-2641578) और टोल फ्री नंबर 1077 जारी किया है. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण प्रयागराज पूरी तरह सक्रिय है.
(आनंद राज की रिपोर्ट)