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जमीन से 32 फीट ऊपर उगाया अंगूर का बगीचा, पांच लाख की कमाई 

पुणे के एक व्यक्ति ने घर के 32 फीट ऊपर, छत पर अंगूर का बगीचा बनाया है. उन्हें 2013 में अपने यूरोप दौरे के बाद प्रेरणा मिली, जहां उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों को अपनी छत पर अंगूर और दूसरे फल उगाते देखा था. 

घर की छत पर अंगूर का बगीचा घर की छत पर अंगूर का बगीचा
हाइलाइट्स
  • किसान ने घर के 32 फीट ऊपर, छत पर अंगूर का बगीचा बनाया है.

  • कम लागत के साथ अधिक उत्पादन और ऑर्गेनिक फार्मिंग का बेहतरीन उदाहरण.

आपने पेड़ों पर उगे अंगूर तो बहुत देखे होंगे पर क्या आपने कभी घर की छत पर अंगूर का बगीचा देखा है? जी हां, महाराष्ट्र के पुणे जिले के एक किसान ने शहरी नागरिकों को प्रेरित करने के लिए अपने घर की छत को एक छोटे से अंगूर के खेत में बदल दिया है. ये कारनामा करने वाले किसान भाऊसाहेब कंचन ने कहा कि उन्हें 2013 में अपने यूरोप दौरे के बाद प्रेरणा मिली, जहां उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों को अपनी छत पर अंगूर और दूसरे फल उगाते देखा था. 

पुणे सोलापुर हाइवे पर उरलीकांचन गांव के एक व्यक्ति ने उसके घर के 32 फीट ऊपर, छत पर अंगूर का बगीचा बनाया है.  58 साल के भाऊसाहेब कांचन ने जीएनटी से बातचीत के दौरान बताया के उनके पास साढ़े तीन एकड़ खेत है, जिस पर वो गन्ने की  खेती करते हैं.  कुछ साल पहले भाऊसाहेब  के मन में विचार आया कि घर के बाहर जाए बगैर कैसे पेड़ से अंगूर तोड़कर चखा जाये. 2013 में भाऊसाहेब कांचन को यूरोप का टूर करने का मौक़ा मिला था. भाऊ साहेब ने बताया कि केंद्र सरकार कृषि विभाग द्वारा हर साल महाराष्ट्र के 48 किसानों को ऐसा मौक़ा दिया जाता है.  स्टडी टूर का आधा खर्चा केंद्र सरकार करती है. पांच साल में एक बार इस तरह के टूर का आयोजन किया जाता है.  

यूरोप टूर में आंगन और छत पर अंगूर की खेती देखी

इस स्टडी टूर में यूरोपियन देश जर्मनी, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड और हॉलैंड में आधुनिक खेती कैसी की जाती है ये सीखने को मिला.  भाऊसाहेब ने बताया कि टूर में हर व्यक्ति पर डेढ़ लाख का खर्च आया जिसमें से 75000 रुपये केंद्र सरकार ने वहन किए. भाऊसाहेब ने बताया के यूरोप स्टडी टूर में उन्होंने वहां के घरों के आंगन और छत पर अंगूर की खेती देखी, उन्हें घर के पौधे से ताजे अंगूर तोड़ने की अपनी इच्छा पूरी होती दिखाई दी. देश लौटने के बाद भाऊसाहेब  मांजरी अंगूर संशोधन केंद्र से मांजरी मेडिका जाती के दो अंगूर के पौधे खरीदकर लाये और घर के आंगन में दोनों पौधे लगाए.  

कम लागत के साथ अधिक उत्पादन 

भाऊसाहब अगले तीन साल तक पौधों को गोबर से बनाया हुआ जैविक खात देते रहे. तीन साल में पौधों ने विशाल रूप ले लिया और जमीन से 32 फीट ऊपर तीसरी मंजिल पर भाऊसाहेब ने लोहे का मंडप बनाया. मंडल बनाने में उन्हें 6 हजार रुपये की लागत लगी.  इसमें लोहे की फ्रेम, प्लास्टिक की नेट का इस्तेमाल किया गया. पहले साल उन्हें 108 अंगूर के गुच्छे मिले. दूसरे साल छत पर लगाए हुए अंगूर के बगीचे में लगभग 300 बंच मिले और तीसरे साल 525 अंगूर के  गुच्छे उगे. भाऊसाहेब बताते हैं कि सभी अंगूर रसीले-मीठे हैं और इनमें दवा बनाने वाले गुण  ज्यादा हैं. इनके बीज से भी दवा बनाई जा सकती  है. आमतौर पर एक अंगूर के पौधे से पांच बाय पांच फ़ीट के फ्रेम पर अंगूर की लागत की जाती है, लेकिन यहां एक पौधे से पांच सौर स्क्वायर फ़ीट पर लागत की गयी है. कम लागत के साथ साथ अधिक उत्पादन और ऑर्गेनिक फार्मिंग का ये बेहतरीन उदाहरण है. 

पांच लाख तक की कमाई 

भाऊसाहेब का कहना है कि 525 अंगूर के गुच्छे बाजार में बेचे जाएं तो 13 से 15 हजार रुपये की कमाई हो सकती है. एक एकड़ में लगभग 40 हजार स्क्वयर फ़ीट जमीन होती है.  ऐसे में 21000 अंगूर के गुच्छे और इसकी बाजार में कीमत तकरीबन पांच लाख रुपये मिल सकती है. जिला अधिक्षक कृषि कार्यालय ज्ञानेश्वर मोटे ने अनेक कृषि अधिकारियों के साथ भाऊसाहेब कांचन के छत के अंगूर के बगीचे का मुआयना किया और काफी प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि इस पर विस्तार से संशोधन किया जाएगा. इतने कम जगह में रिकॉर्ड उत्पादन को सराहते हुए उन्होंने कहा कि भाऊसाहेब ने सभी किसानों के लिए एक मिसाल कायम की है. इसके लिए भाउसाहेब का सत्कार भी किया गया है.