

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार के सासाराम से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व में निकली महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा (Voter Adhikar Yatra) का समापन हो गया है. यह यात्रा 16 दिन तक चली. इस दौरान 23 जिलों की 67 विधासभाओं को कवर किया गया है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस यात्रा से इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) और राष्ट्रीय जानता दल (RJD) को फायदा मिलेगा? क्या महागठबंधन की सीटों में इजाफा होगा?
बिहार की राजनीति की परख रखने वालों का मानना है कि इस वोटर अधिकार यात्रा से महागठबंधन में शामिल किसी पार्टी को फायदा हो या नहीं, कांग्रेस को जरूर फायदा होगा. इस यात्रा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव साथ में रहे, लेकिन पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ही छाए रहे. यात्रा के दौरान राहुल आगे-आगे तो तेजस्वी पीछे-पीछे दिखे. इस यात्रा के दौरान कांग्रेस फ्रंटफुट पर आकर राजद को बड़ा संदेश दे गई है. कांग्रेस ने जता दिया है कि इस विधानसभा चुनाव में वह राजद की बी टीम नहीं रहेगी.
राहुल गांधी की यात्रा से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश
वोटर अधिकार यात्रा को बिहार में महागठबंधन की राजनीति में राहुल गांधी के सकारात्मक हस्तक्षेप की शुरुआत माना जा सकता है. वोटर अधिकार यात्रा का फायदा महागठबंधन को होगा, लेकिन बात यदि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की होगी तो निश्चित रूप से राहुल की पार्टी कांग्रेस को इस पद यात्रा से लाभ मिलेगा. राहुल गांधी की इस यात्रा से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश आ गया है. इस यात्रा से कांग्रेस को लग रहा कि वह बिहार में अपनी खोई चमक को एक बार फिर वापस पा लेगी.
कभी बिहार में कांग्रेस का था जबरदस्त जनाधार
आपको मालूम हो कि 1990 के दशक तक बिहार में कांग्रेस का जबरदस्त जनाधार था, लेकिन बाद में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार जैसे क्षेत्रीय नेताओं की लोकप्रियता और जात-पात की लड़ाई ने कांग्रेस पार्टी को हाशिए पर पहुंचा दिया. विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत मिल सकी. कांग्रेस पार्टी बीते तीन दशकों से लालू की पार्टी राजद के सहारे बिहार में राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखे हुए है. कांग्रेस एक तरह से राजद की बी टीम बनी हुई है. राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से शायद कांग्रेस की वोट बैंक की वापसी हो जाए. कांग्रेस पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को फिर से जोड़ने के साथ अति पिछड़े और दलित तबकों में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहती है.
बिहार में गत चुनावों में कांग्रेस का ऐसा रहा प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव 2010: 4 सीट पर जीत, 8.37% वोट
विधानसभा चुनाव 2015: 27 सीट पर जीत, 6.66% वोट
विधानसभा चुनाव 2020: 19 सीट पर जीत, 9.48% वोट
लोकसभा चुनाव 2014: 2 सीट पर जीत, 8.60% वोट
लोकसभा चुनाव 2019: 1 सीट पर जीत, 7.90% वोट
लोकसभा चुनाव 2024: 3 सीट पर जीत, 9.40% वोट
पूरी यात्रा रही राहुल गांधी के इर्द-गिर्द
वोटर अधिकार यात्रा पूरी तरह राहुल गांधी के इर्द-गिर्द रही. इस यात्रा ने बिहार कांग्रेस में एक तरह से जान फूंक दी है. राजद का पिछलग्गू बनने के कारण बिहार में कांग्रेस का संगठन एक तरह से निष्क्रिय सा हो गया था. ग्राउंड लेवल पर संगठन का नामोनिशान लगभग मिट गया था. राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से कांग्रेस पार्टी के बचे-खुचे कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है.
कांग्रेस आ गई है चर्चा में
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से इतना तो तय हो गया है कि कांग्रेस अब सीट बंटवारे में राजद से अच्छी तरह से बार्गेनिंग कर सकेगी. तेजस्वी यादव चूक गए हैं. हालांकि यह यात्रा कांग्रेस को अधिक सीटें मिलने की कोई गारंटी तो नहीं है, लेकिन इस यात्रा से कांग्रेस पूरे राज्य में एक बार फिर चर्चा में जरूर आ गई है. बिहार की जनता राहुल गांधी और कांग्रेस की बातें करने लगी है. इससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लाभ मिल सकता है. लोकप्रियता का एक मापदंड यह भी है कि सत्ता के निशाने पर कौन पार्टी है. वोटर अधिकार यात्रा के बाद सत्ता के निशाने पर लालू की पार्टी राजद नहीं बल्कि कांग्रेस आ गई है.
राहुल गांधी के पीछे-पीछे चलते दिखे तेजस्वी यादव
वोटर अधिकार यात्रा के दौरान राहुल गांधी ड्राइविंग सीट पर रहे. पूरी यात्रा के दौरान राहुल गांधी के पीछे-पीछे तेजस्वी यादव चलते दिखे. इस वोटर अधिकार यात्रा में जीप हो या मोटरसाइकिल सब पर राहुल गांधी आगे दिखे. तेजस्वी यादव जहां बेरोजगारी, पलायन, अपराध और भ्रष्टाचार का मुद्दा बना कर नीतीश सरकार को घेरने में लगे थे, वहीं राहुल गांधी ने 'वोट चोर' की आवाज उठाकर पूरा मुद्दा ही बदल डाला. गांधी मैदान में वोटर अधिकार यात्रा का समापन के मौके पर जहां कांग्रेस और वीआईपी के झंडे और बैनर छाए रहे, वहीं राजद के झंडे और बैनरों नदारद रहे.
राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं, झंडे और बैनर की कमजोर उपस्थिति ने सियासी हलचल भी मचा दी है. अधिकांश पोस्टरों में लालू यादव और तेजस्वी यादव की तस्वीरें भी नहीं थी. ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि यह महागठबंधन में कांग्रेस की बढ़ती ताकत और राजद को चुनौती का संकेत है. राजनीति के जानकारों का मानना है कि राजद के झंडों की अनुपस्थिति कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति हो सकती है, जिससे वह गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत दिखाना चाह रही है. कुल मिलाकर कह सकते हैं वोटर अधिकार यात्रा से कांग्रेस को चुनाव में कुछ हद तक लाभ जरूर मिलेगा, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगा कि पार्टी सत्ता तक पहुंच पाएगी. क्योंकि कई सालों से राजद का पिछलग्गू होने के कारण कांग्रेस पार्टी का स्वतंत्र वोट बैंक लगभग समाप्त हो चुका है.
...तो कौन होगा सीएम
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महगठबंधन की ओर से सीएम का चेहरा कौन होगा? इस पर कांग्रेस ने सस्पेंस बरकरार रखा है. राहुल गांधी मुख्यमंत्री पद के चेहरे के नाम पर सवाल ही टाल देते हैं या गोल मोल जवाब देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. उधर, तेजस्वी यादव ने आरा में खुद को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया था. इतना ही नहीं तेजस्वी यादव तो राहुल गांधी को बड़ा भाई बताते रहे, यहां तक की आने वाले चुनावों में उनको प्रधानमंत्री बनाने की भी बात करते रहे.