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Rajasthan High Court: आवारा पशुओं को हटाने का आदेश, एनिमल लवर्स को कोर्ट ने दी सलाह

राजस्थान हाईकोर्ट ने आवारा पशुओं को लेकर बड़ा आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने इन जानवरों को हटाने के लिए सख्त कदम उठाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कोई संगठन या व्यक्ति इस कार्य में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी.

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पिछले वर्ष 2024 में राजस्थान में डॉग बाइट के मामलों की संख्या तीन लाख से अधिक रही थी. मौजूदा वर्ष में भी कुत्तों और अन्य आवारा जानवरों द्वारा हमले की घटनाएं थमने के बजाय लगातार जारी हैं. बढ़ते खतरे को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य की जिम्मेदार एजेंसियों को निर्देश दिया है कि सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थलों से इन जानवरों को हटाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं. अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस प्रक्रिया में रुकावट डालेगा, तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. 

एनिमल लवर्स को कोर्ट की सलाह-
साथ ही कोर्ट ने सलाह दी कि यदि किसी को जानवरों से लगाव है या धार्मिक मान्यता के कारण उनकी सेवा करना चाहता है, तो वह सीधे डॉग शेल्टर या गोशालाओं में जाकर यह कार्य करे, न कि खुले में.

8 सितंबर को अगली सुनवाई-
यह आदेश जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने 11 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान जारी किया. अगली सुनवाई 8 सितंबर 2025 को होगी. कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा. चलिए बताते हैं.

  • रिपोर्ट की प्रस्तुति- सभी नगर निगम अगली तारीख से पहले अपने-अपने क्षेत्र में संचालित डॉग शेल्टर और गोशालाओं की स्थिति, उनकी देखरेख, और आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नियुक्त कर्मचारियों व पशु चिकित्सकों की संख्या से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे.
  • शिकायत का माध्यम- निगमों को नागरिकों के लिए ऐसा फोन नंबर, मोबाइल नंबर या ईमेल सार्वजनिक करना होगा, जिस पर लोग आवारा पशुओं से जुड़ी शिकायत दर्ज करा सकें.
  • सफाई अभियान- शहर की गलियों और मुख्य सड़कों से आवारा कुत्तों व अन्य जानवरों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें कम से कम चोट पहुंचे.
  • रुकावट पर दंडात्मक कार्रवाई- अगर कोई व्यक्ति या संगठन अभियान में बाधा डाले, तो नगरपालिका कानूनों के तहत उस पर कार्रवाई कर एफआईआर दर्ज की जा सकती है.
  • हाईवे निगरानी- राजमार्गों से आवारा पशुओं को हटाने और यातायात को सुचारू बनाए रखने के लिए नियमित गश्त का प्रबंध किया जाएगा.

HC ने स्वत: संज्ञान लिया था-
31 जुलाई को हाईकोर्ट ने जोधपुर में आवारा पशुओं के हमलों से जुड़ी खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई शुरू की थी. इस संबंध में सहायता के लिए कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट डॉ. सचिन आचार्य, एडवोकेट प्रियंका बोराणा और हेली पाठक को न्याय मित्र नियुक्त किया था.
बीते सोमवार की सुनवाई में न्याय मित्रों ने कहा कि केंद्र और राज्य स्तर पर बने कानूनों के अनुसार प्रशासन पर यह जिम्मेदारी है कि वे नागरिकों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करें. उन्होंने अदालत से अपने सुझाव पेश करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया.

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