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Rajasthan: अगले 10 दिन तक एक्टिव रहेगा मानसून, दक्षिण इलाकों में हो सकती है भारी बारिश

राजस्थान में मानसून अगले 10 दिन तक एक्टिव रहेगा. दक्षिण इलाकों में भारी बारिश की संभावना है. इसमें उदयपुर संभाग, जालौर, सिरोही और आसपास के जिलों में अगले 2–3 दिनों के दौरान कई स्थानों पर भारी से अति भारी बारिश की संभावना है.

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राजस्थान में आगामी दिनों में मानसून की गतिविधियां जारी रहने वाली हैं. मौसम विभाग के अनुसार राज्य के ज्यादातर इलाकों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होती रहेगी. विशेषकर दक्षिणी राजस्थान यानी उदयपुर संभाग, जालौर, सिरोही और आसपास के जिलों में अगले 2–3 दिनों के दौरान कई स्थानों पर भारी से अति भारी बारिश की संभावना है. वहीं, हाड़ौती क्षेत्र, जहां हाल ही में अतिवृष्टि जैसी परिस्थितियां बनी थीं, वहां फिलहाल केवल हल्की से मध्यम बारिश के दौर ही देखने को मिलेंगे. विभाग का अनुमान है कि 30 अगस्त और 1 सितंबर के आसपास बंगाल की खाड़ी से एक नया सिस्टम बनेगा, जो पूर्वी राजस्थान में सक्रिय होगा और इसका असर सितंबर के पहले सप्ताह में भारी बारिश के रूप में दिखाई देगा. समग्र रूप से देखा जाए तो अगले 10 दिन मानसून की गतिविधियां प्रदेशभर में बनी रहेंगी.

मौसम में क्या हो रहा बदलाव?
मौसम के इतिहास पर नजर डालें तो पिछले 50 वर्षों के आधार पर राजस्थान में मानसून सीजन के दौरान औसत बारिश 435 मिमी दर्ज की गई है. वहीं पिछले 10 वर्षों में औसत बारिश बढ़कर लगभग 514 मिमी तक पहुंच गई है, यानी करीब 79 मिमी की बढ़ोतरी हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि जहां पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत के पारंपरिक बारिश वाले क्षेत्रों में वर्षा में कमी दर्ज हो रही है, वहीं उत्तर-पश्चिम भारत के शुष्क इलाके जैसे राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश और गुजरात का कच्छ क्षेत्र में बारिश में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

इस साल मानसून में बना था रिकॉर्ड-
पिछले वर्ष में राजस्थान में 100 साल से अधिक का रिकॉर्ड तोड़ रेनफॉल दर्ज किया गया था. इस वर्ष भी मानसून ने नया कीर्तिमान बनाया है. जुलाई 2025 में प्रदेश में करीब 69 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ वर्षा दर्ज की गई. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार हाल के वर्षों में राजस्थान और आसपास के इलाकों में वर्षा की प्रवृत्ति लगातार ऊपर की ओर रही है.

क्यों हो रहा ये बदलाव?
विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें क्लाइमेट वेरिएबिलिटी, डिकेडल वेरिएबिलिटी और जलवायु परिवर्तन की अहम भूमिका है. उनका कहना है कि यह बदलाव प्राकृतिक चक्र का हिस्सा भी हो सकता है, लेकिन इसके पीछे के वास्तविक कारणों को समझने के लिए और गहन अनुसंधान की आवश्यकता है. फिलहाल इतना तय है कि मानसून का पैटर्न बदला है. जहां पहले पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत सबसे ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्र माने जाते थे, अब वहां कमी हो रही है और इसके विपरीत शुष्क माने जाने वाले राजस्थान जैसे इलाकों में बारिश का औसत लगातार बढ़ रहा है.

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