
राजस्थान से कांग्रेस की 2025 की सबसे बड़ी सियासत पैचअप की तस्वीर सामने आयी है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने केवल एक साथ दिखाई ही नहीं दिए, बल्कि मुहब्बत की कसमें भी खा रहे हैं. सियासत के बारे में अक्सर कहा जाता है कि यहाँ कोई अस्थायी दुश्मन और अस्थायी दोस्त नहीं हुआ करते हैं. मगर ये भी कहा जाता है कि दुश्मनी जमकर करें, मगर एक गुंजाइश रखें कि दोस्त बने तो शर्मिंदा न हों. सचिन पायलट को नकारा और निकम्मा कहने वाले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज कहा कि हम दोनों में खूब मोहब्बत है.
राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर साथ नजर आए-
कांग्रेस नेता स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि पर सियासी अदावत के बाद पहली बार राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ नज़र आए. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस हार गई. मगर इन दोनों के बीच झगड़ा इतना था कि एक साथ मंच पर नहीं आए. लोकसभा चुनाव 2024 बीत गया, लेकिन ये दोनों एक साथ सियासी मंच पर तब भी नहीं आए. लेकिन इस बार सचिन पायलट पहल करते हुए अपने पिता की पुण्यतिथि पर दौसा बुलाने के लिए अशोक ग़लत के घर गए और अशोक गहलोत श्रद्धांजलि देने के लिए दौसा पहुँचे. दौसा पहुँचे अशोक गहलोत ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत कभी अलग थे ही नहीं और हम दोनों के बीच खूब मुहब्बत है. सचिन पायलट ने भी कह दिया कि जो बीत गया, उसे छोड़कर हम आगे बढ़ रहे हैं.
दोनों नेताओं मे थी पुरानी अदावत-
नेताओं के लिए कितना आसान होता है ऐसे बन जाना जैसे कभी कुछ हुआ हीं नहीं था. मगर जनता ये सब सुनकर हक्का बक्का है. सचिन पायलट अशोक गहलोत की सरकार को गिराने के लिए अपने विधायकों के साथ बग़ावत कर दिए थे और अशोक गहलोत भी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए न केवल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को ठुकरा दिया, बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व के ख़िलाफ़ भी बग़ावत कर दी थी. ये नेता तो आपस में मिल लिए. मगर दोनों ही नेताओं के खेमे में बँटे कार्यकर्ता, जो एक दूसरे के ख़िलाफ़ आग उगलते रहते हैं, वो सोच रहे होंगे कि हमें किधर जाना है. गहलोत के बीमार पड़ने और सर्जरी कराने के दौरान पायलट ने उनसे मिलने की कोशिश की थी, मगर सफलता नहीं मिली थी.
इस सियासी सीजफायर की बड़ी वजह अशोक गहलोत का कांग्रेस की राजनीति में अलग-थलग पड़ जाना माना जा रहा है और सचिन पायलट भी अपने गहलोत के साथ अदावत वाली छवि से निकलकर कांग्रेस में बड़ी भूमिका की तरफ जाना चाहते हैं.
(शरत कुमार की रिपोर्ट)
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