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RSS: क्या महिलाएं हो सकती हैं आरएसएस की सदस्य? कहाँ से होती है इसकी फंडिंग? जानें ऐसे ही 6 सवालों के जवाब

इस साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे हो रहे हैं. मोहन भागवत आरएसएस के सरसंघचालक हैं. आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर 1925 को हुआ था. आरएसएस के पहले सरसंघचालक डॉ. केशव हेडगेवार थे. चलिए आरएसएस से जुड़े कुछ सवालों के जवाब तलाशते हैं.

Rashtriya Swayamsevak Sangh (Photo/PTI) Rashtriya Swayamsevak Sangh (Photo/PTI)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) इस साल अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है. दिल्ली के विज्ञान भवन में 'आरएसएस की 100 वर्ष यात्रा: नए क्षितिज' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन चल रहा है. इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संदेश दिया कि आरएसएस का मकसद देश को विश्वगुरु बनाना है. संघ की विचारधारा या उसकी गतिविधियां हमेशा से सुर्खियों में रही हैं. इस संगठन के बारे में हर कोई जानना चाहता है. चलिए आपको इससे जुड़े कुछ सवालों के जवाब तलाशते हैं.

महिलाएं बन सकती हैं RSS की सदस्य?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई भी महिला सदस्य नहीं बन सकती हैं. आरएसएस की वेबसाइट पर फ्रीक्वेंटली आस्क्ड क्वेश्चंस के सेक्शन में संघ बताता है कि आरएसएस की शाखाओं में भाग लेने वालों को स्वयंसेवक कहा जाता है और कोई भी हिंदू पुरुष स्वयंसेवक बन सकता है. हालांकि साल 1936 से संघ की महिलाओं के लिए अलग से राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की है. हालांकि समय-समय पर आरएसएस में महिलाओं की एंट्री की बात उठती रहती है.

कैसे बन सकते हैं RSS का सदस्य?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोई औपचारिक सदस्यता नहीं है. आरएसएस में कोई भी हिंदू पुरुष स्वयंसेवक बन सकता है. आरएसएस के मुताबिक कोई भी व्यक्ति संघ की निकटतम शाखा से संपर्क कर सकता है और स्वयंसेवक बन सकता है. इसके लिए कोई फॉर्म नहीं भरना पड़ता है और ना ही कोई औपचारिक आवेदन करना पड़ता है.

कहाँ से होती है इसकी फंडिंग?
संघ का कहना है कि वो एक आत्मनिर्भर संगठन है और संघ के काम के लिए संगठन के बाहर से कोई पैसा नहीं लिया जाता है. संघ का दावा है कि उनका खर्च गुरुदक्षिणा से पूरा होता है. ये गुरुदक्षिणा साल में एक बार संघ के स्वयंसेवक भगवा ध्वज को गुरु मानकर देते हैं. संघ तमाम समाज सेवा का काम करता है और उसके लिए लोगों से मदद भी मिलती है. इसके लिए ट्रस्ट भी बनाए गए हैं.

क्या कोई मुसलमान सदस्य बन सकता है?
आरएसएस की वेबसाइट के मुताबिक आरएसएस का सदस्य हिंदू पुरुष हो सकते हैं. लेकिन आरएसएस का मानना है कि भारत के ईसाई और मुसलमान विदेशी धरती से नहीं आए हैं. वे सभी भारत माता की संतान हैं. इतिहास में किसी कारण से उनकी पूजा पद्धति बदल गई है. लेकिन व्यापक परिप्रेक्ष्य में यह उन्हें हिंदू समाज से अलग नहीं करता. वेबसाइट के मुताबिक जो लोग आरएसएस के दृष्टिकोण को समझते हैं. उनके साथ न कोई भेदभाव होता है और न ही उन्हें कोई विशेष व्यवहार होता है.

कितना बड़ा है संगठन?
आरएसएस की वेबसाइट के मुताबिक मार्च 2017 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 36729 जगहों पर 57185 दैनिक शाखाएं लगती हैं. इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों शामिल हैं. इसके अलावा 14896 जगहों पर साप्ताहिक बैठकें होती हैं. अगर मासिक बैठकों की बात करें तो 7594 जगहों पर आयोजित होती हैं. वेबसाइट के मुताबिक आरएसएस स्वयंसेवकों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है. इसलिए उनको गिनना मुश्किल है.

RSS का सरसंघचालक कैसे चुना जाता है?
संघ में अब तक 6 सरसंघचालक हुए हैं. संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार थे. सरसंघचालक का कार्यकाल आजीवन होता है. संघ के सरसंघचालक चुनने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है. सरसंघचालक अपना उत्तराधिकारी खुद चुनता है. मोहन भागवत भी कहते हैं कि मेरे बाद सरसंघचालक कौन होगा, ये मेरी मर्जी पर है और मैं सरसंघचालक कब तक रहूंगा. ये भी मेरी मर्जी पर है.

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