Author and Educator Prem Rawat (Photo Credits: Chandradeep Kumar)
Author and Educator Prem Rawat (Photo Credits: Chandradeep Kumar) दिल्ली में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य आजतक के 8वें संस्करण की शुरुआत हो गई है. इसमें लेखक और प्रख्यात शिक्षक प्रेम रावत ने भी शिरकत की. इस प्रोग्राम में प्रेम रावत ने स्वर्ग नरक का कॉन्सेप्ट समझाया. उन्होंने कहा कि 7 हजार सालों से इंसान स्वर्ग नरक की चर्चा करता है. लेकिन इसे साबित करने के लिए उसके पास इतना सा भी प्रमाण नहीं है. लेकिन जब लोग लडाइयां करते हैं तो यही कहते हैं कि जहन्नुम में जा. स्वर्ग में जाने के लिए कोई नहीं कहता है.
प्रेम रावत ने स्वर्ग नरक का कॉन्सेप्ट समझाया-
प्रेम रावत ने कहा कि आज इस संसार की जो हालत है, वो क्यों है? यह विचारणीय है. अभी हमारे पास मौका है कि जब तक हम जीवित हैं, यहां स्वर्ग बनाएं. जब तक हम स्वर्ग बनाने में कामयाब नहीं होंगे, तब तक हम अपने आपको नरक में पाएंगे. यहां भगवान दुख देने के लिए नहीं आते हैं, यहां हम एक-दूसरे को दुख देते हैं. ये नर्क हमारा बनाया हुआ है.
प्रेम रावत ने एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि मान लिजिए कि एक बाप का एक बुरा बेटा है, निकम्मा है, मरने के बाद वो नरक से अपने बेटे को चिट्ठी लिखे- सुनो मुकेश... यहां नरक है, इसलिए संभल जाओ, लेकिन कोई नहीं लिखता. कोई अपनी पत्नी को नहीं लिखता कि स्वर्ग में बहुत सुंदर सी जगह है, यहां मैं एक सुंदर जगह देख ली है, यहां हम रहेंगे. लेकिन ये कोई नहीं लिखता है.
उन्होंने जिंदगी में फोकस का महत्व समझाया-
प्रेम रावत ने कहा कि खुशी मनुष्य के अंदर से आती है, हम सोचते हैं कि चीजें खुशी लाएगी, लेकिन हमारे जीवन में खुशी लाने वाला कोई और नहीं सिर्फ हम है, ये कहीं नहीं, सिर्फ अंदर से आएगी. प्रेम रावत ने कहा कि हमारे कार्यक्रमों से तेलंगाना में 5 जेल बंद हो गई. हमारा मकसद जेल बंद करना नहीं था, हम कैदी को एंटरटेन भी करना नहीं चाहते थे. हम चाहते थे कि वे कैदी जान जाएं कि वो कौन हैं? जब मनुष्य ये जान जाता है तो वो अपना लक्ष्य हासिल करता है, जेल में एक बार जाने के बाद लोग और भी बुरी-बुरी चीजें सीखते हैं, इस चक्र को रोकने के लिए पीस एजुकेशन प्रोग्राम है.
प्रेम रावत ने जिंदगी में फोकस का महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि मां का छोटा बच्चा चारपाई पर लेटा है, तो वो काम करते हुए भी अपना ध्यान बच्चे पर रखती है, मतलब ये है कि वो और चीजें कर सकती है, लेकिन ध्यान वहां है, जहां होना चाहिए. अगर हम ये नहीं भूलें तो परेशानी नहीं होगी. आपका ध्यान आपके अंदर होना चाहिए. 10 फीसदी भी अंदर ध्यान है तो ठीक है, लेकिन श्वास पर ध्यान होना चाहिए.
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