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Saras Aajeevika Mela 2025: मोजड़ी से लेकर पेंटिग्स और साड़ियों तक... सरस आजीविका मेला में दिख रहा ग्रामीण भारत का हुनर

इस मेले में 200 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं और 400 से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं.

Saras Aajeevika Mela 2025 Saras Aajeevika Mela 2025

मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में सरस आजीविका मेला का आयोजन किया गया है, जो 22 सितंबर 2025 तक चलेगा. यह मेला ग्रामीण भारत की कला, संस्कृति, परंपरा और स्वाद को शहरी लोगों के करीब लाने का एक अनूठा प्रयास है. इस मेले में 200 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए हैं और 400 से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रही हैं. यहां हस्तशिल्प, हैंडलूम, पारंपरिक कलाएं, घरेलू उत्पाद और विभिन्न राज्यों के व्यंजन एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं.

दिल्ली में ग्रामीण भारत का संगम 
सरस आजीविका मेला न केवल खरीदारी का अवसर देता है, बल्कि शहरी और ग्रामीण भारत के बीच एक संस्कृतिक सेतु का काम भी करता है. यहां आप हस्तशिल्प, पारंपरिक कला, हैंडलूम उत्पाद और देशी व्यंजन एक ही छत के नीचे देख सकते हैं. बच्चों और बड़ों के लिए मनोरंजन की भी बेहतरीन व्यवस्था की गई है.

आंध्र प्रदेश की लखपति दीदी 
आंध्र प्रदेश से आईं एक लखपति दीदी ने अपने स्टॉल पर नीम की लकड़ी से बनी तिरुपति बालाजी की मूर्ति प्रदर्शित की. उन्होंने बताया, “इस मूर्ति को बनाने में लगभग दो साल का समय लगता है.” इसके अलावा उनके स्टॉल पर दरवाजों के सजावटी पैनल और अन्य हस्तशिल्प उत्पाद भी उपलब्ध हैं.

पंजाब की पटियाला मोजड़ियां 
पंजाब के पटियाला से आईं सुशीला दीदी के स्टॉल पर पारंपरिक मोजड़ियों की जबरदस्त विविधता देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा, “हमारे पास लेदर और राइजिंग मोजड़ियों की कई वेरायटी हैं. यहां हर सूट और कुर्ती के साथ मैचिंग मोजड़ियां उपलब्ध हैं.” 

ओडिशा की पट्टा चित्रा पेंटिंग्स 
ओडिशा के स्टॉल पर पट्टा चित्रा पेंटिंग्स लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. ये पेंटिंग्स टसल सिल्क, पाम लीफ और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों पर बनाई जाती हैं. दीदी ने बताया, “हर पेंटिंग में एक कहानी छिपी होती है और यह हाथ की कला का अद्भुत उदाहरण है.”

हैंड-पेंटेड साड़ियां और वेजीटेबल डाई 
मेले में हैंड-पेंटेड साड़ियां भी प्रदर्शित की गई हैं, जिन्हें प्राकृतिक वेजीटेबल डाई से रंगा गया है. एक हैंड-पेंटेड साड़ी की कीमत ₹18,000 है. यहां कांचीपुरम पट्टू सिल्क की साड़ियां और दुपट्टे भी उपलब्ध हैं.

खाने-पीने और मनोरंजन का अनूठा अनुभव 
मेले की खासियत सिर्फ खरीदारी नहीं है, बल्कि यहां विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजन भी स्वाद लेने के लिए उपलब्ध हैं. दक्षिण भारतीय डोसा, पंजाबी छोले-भटूरे, राजस्थान की दाल-बाटी, ओडिशा के पखाला भात समेत देशभर के स्वाद एक ही जगह मिलते हैं. साथ ही, लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी लगातार आयोजित हो रहे हैं.

ग्रामीण महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का मंच 
सरस आजीविका मेला न केवल खरीदारी का स्थान है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण मंच है. यह मेला ग्रामीण उद्यमियों को सीधे ग्राहकों से जोड़ता है, जिससे उन्हें बेहतर बाजार और आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है. अगर आप हस्तशिल्प, हैंडलूम, पारंपरिक कला, खान-पान और ग्रामीण भारत की संस्कृति का अनुभव करना चाहते हैं, तो सरस आजीविका मेला मिस न करें.

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