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राजद्रोह के कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, पुनर्विचार तक नहीं दर्ज हो सकेगी FIR...जानिए क्या है ये कानून

सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के कानून पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उपनिवेश काल में बनाए और लागू किए गए राजद्रोह कानून पर सरकार पुनर्विचार करने को राजी है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
हाइलाइट्स
  • राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार करेगी सरकार

  • एसपी रैंक के अधिकारी से लेनी होगी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह को लेकर सख्त कदम उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि राजद्रोह के कानून पर जब तक सरकार के पुनर्विचार का कोई नतीजा नहीं आता तब तक आईपीसी की धारा 124A के तहत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा. इसके लिए केंद्र राज्यों को निर्देशिका जारी करेगा.

राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार करेगी सरकार
कोर्ट ने अंतरिम आदेश सुनाया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि उपनिवेश काल में बनाए और लागू किए गए राजद्रोह कानून पर सरकार पुनर्विचार करने को राजी है. कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि है. इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है. इसकी पुष्टि अटॉर्नी जनरल ने भी अपने मंतव्य में साफ कही है. सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह मामले में गर्मी छुट्टियों के बाद जुलाई के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा. जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमें चल रहे हैं और वो इसी आरोप में जेल में बंद हैं वो जमानत के लिए समुचित अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह के प्रावधान वाली धाराएं निरस्त यानी रद्द करने के मामले में केंद्र सरकार ने कोई आंकड़े फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रखते हैं.

एसपी रैंक के अधिकारी से लेनी होगी मंजूरी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि हमने राज्य सरकारों को जारी किए जाने वाले निर्देश का मसौदा तैयार किया है. उसके मुताबिक राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश होगा कि बिना जिला पुलिस कप्तान यानी एसपी या उससे ऊंचे स्तर के अधिकारी की मंजूरी के बिना राजद्रोह की धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी. उसमें भी पुलिस अधिकारी राजद्रोह के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएंगे. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हालांकि संज्ञेय अपराध के मामले में FIR दर्ज करने से हम रोक नहीं सकते हैं. लेकिन राजद्रोह कानून दर्ज करने के लिए SP रैंक के अधिकारी  की इजाजत लेनी होगी. राजद्रोह के अनगिनत मामले अदालतों के सामने लंबित हैं इसलिए इसमें अदालतों को ही तय करना होगा. इन धाराओं से जुड़े मामलों में जमानत की अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का प्रावधान होगा.

क्या है राजद्रोह कानून?
भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के तहत अगर कोई व्यक्ति सरकार विरोधी बातें लिखता है या बोलता है, या फिर ऐसा बातों का समर्थन करता है या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता है या फिर संविधान को नीचा दिखाता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124 A के तहत राजद्रोह का केस दर्ज किया जा सकता है. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति देश विरोधी संगठन से किसी तरह का संबंध रखता है या किसी ऐसे संगठन का किसी भी तरह सहयोग करता है, तो वो राजद्रोह के अंतर्गत आता है.

क्या है राजद्रोह के लिए सजा का प्रावधान?
राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है. अगर किसी व्यक्ति को राजद्रोह कानून के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है. सजा के साथ ही उस व्यक्ति को जुर्माना भी देना होता है. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति राजद्रोह के लिए दोषी पाया जाता है तो वो किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. इसके अलावा उसका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया जाता है, और जब जरूरत हो तो उसे कोर्ट में हाजिर होना होता है.