Red Light Area (Photo/Gemini AI)
Red Light Area (Photo/Gemini AI) जैसे ही चुनाव आयोग ने कोलकाता में एसआईआर प्रक्रिया शुरू की, वहां के निवासियों, खासकर उत्तरी कोलकाता स्थित एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट इलाके सोनागाछी के सेक्स वर्कर्स में दहशत फैल गई. बूथ स्तर के अधिकारियों ने सोनागाछी इलाके में मतदाताओं को गणना फॉर्म बांटने के लिए घर-घर जाना शुरू कर दिया है. कई सेक्स वर्कर्स अब एसआईआर प्रक्रिया के परिणामों को लेकर चिंतित हैं. उन्हें डर हैं कि कहीं उनके नाम वोटर लिस्ट से काट न दिए जाएं. उन्होंने अपने चुनावी अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है.
नहीं है दस्तावेज दिखाने के लिए
इन सेक्स वर्कर्स में दहशत का माहौल इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि काम की तलाश में वह अपना घर काफी पहले छोड़कर सोनागाछी में आए थे. जिसके बाद से वह यहीं रह रहे हैं. कई तो ऐसे हैं जिन्होंने मुड़कर भी अपने जन्मस्थान की तरफ नहीं देखा. एसआईआर की प्रक्रिया से वह इसलिए डरे हुए हैं क्योंकि उनके पास कोई मूल दस्तावेज नहीं है, जिससे वह अपना पता या फैमिली की डिटेल दे सकें. ऐसे में जब उनके पास दस्तावेज नहीं होंगे तो इस प्रक्रिया में वोटर लिस्ट से उनका नाम कटने के चांस ज्यादा हो जाते हैं.
एनजीओ उठाएंगे मुद्दा
दरबार महिला समन्वय समिति और ऑल इंडिया नेटवर्क फॉर सेक्स वर्कर्स जैसे एनजीओ ने इस मुद्दे को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के सामने रखने का फैसला लिया है. वे चुनाव आयोग से उनके अधिकारों की रक्षा करने और एसआईआर प्रक्रिया के कारण नामांकन में किसी भी तरह की कमी को रोकने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि 2002 से कई सेक्स वर्कर्स को वोट देने का अधिकार मिला और उन्हें वोटर कार्ड भी मिले. लेकिन उनकी अस्थिर जीवन स्थितियों के कारण, कई लोग सूची में शामिल नहीं हो पाए या सूची से बाहर हो गए. कई ऐसे भी है जिन्हें यह तक नहीं पता कि उनके परिवार का पोलिंग बूथ कौनसा है.
बाहर के लोग जा सकते हैं बाहर
सोनागाछी क्षेत्र में लगभग 7,000 सदस्य हैं. जिसमें से कई भारतीय है तो कई पड़ोसी देश जैसे नेपाल और बांग्लादेश से सोनागाछी आए. ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ़ सेक्स वर्कर की कोर कमेटी की सदस्य भारती दे का कहना है कि जो लोग यहां काम करने के लिए अपना गांव छोड़कर एक बार आते हैं, वह हमेशा के लिए यहीं के हो जाते है और यहीं रहते हैं. उनका उनके परिवार से कोई नाता नहीं रहता. ऐसे में उनके लिए घर जाकर अपने परिवार की मतदाता सूची लेना संभव नहीं है. दशकों से यहां रह रहे कई लोग यह सोचकर चिंतित हैं कि उन्हें सिर्फ़ कुछ दस्तावेज़ों न होने के कारण यहां से जाना पड़ेगा.
ECI से मांगेंगे स्थाई समाधान
यहां कई महिलाएं नेपाल से आई हैं, लेकिन लंबे समय से यहां रह रही हैं. तो उनका क्या होगा. इसलिए हमने इस मुद्दे को चुनाव आयोग के सामने उठाने का फैसला किया है. हम नहीं चाहते कि केवल दस्तावेजों की कमी के कारण यहां के लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाए. उन्हें अचानक बाहर नहीं निकाला जा सकता या उनका नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता, क्योंकि एक बार उनका नाम मतदाता सूची से हट गया, तो उनके बच्चों को भी भविष्य में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए एक स्थाई समाधान के लिए वह इस मुद्दे को भारतीय चुनाव आयोग के सामने रखेंगे.