
Shaahed Bhagat Singh
Shaahed Bhagat Singh शहीद भगत सिंह, राजगुरु , सुखदेव और आजाद हिंद फौज में कर्नल रह चुके करनैल सिंह ने नलगढ़ा गांव में रहकर कई क्रांतिकारी योजनाओं को अंजाम दिया. इस गांव में भी करीब 6 साल तक रुके रहे इसलिए यह गांव उनकी कर्मस्थली भी है और शरण स्थली भी.
दिल्ली से 25 किमी. दूर
दिल्ली से 25 किलोमीटर दूर नोएडा के इस गांव में एक गुरुद्वारा है जिस के अंदर एक पत्थर है. यह वही ऐतिहासिक पत्थर है जिस पर शहीद भगत सिंह और उनके साथियों ने बम बनाया था. इस पत्थर में दो सुराख हैं जिसके अंदर बारूद भरी जाती थी और बम का निर्माण किया जाता था. इसी पत्थर पर बनाए गए बमों को 8 अप्रैल सन 1929 में दिल्ली असेंबली पर फेंका गया था. यह वही पत्थर है जिस पर गोला बारूद को आजमाया जाता था.
पत्थर पर मत्था टेकने आते हैं लोग
रविन्द्र सिंह रवि, ज्ञानीजी नलगढ़ा गुरुद्वारा बताते हैं कि यह पत्थर उनके लिए एक पवित्र धर्मस्थल से कम नहीं है. इस पत्थर पर मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. रविंद्र सिंह कहते हैं कि उन्हें गर्व है कि आज वह इस पत्थर के दर्शन कर शहीद भगत सिंह को याद कर रहे हैं. रवि सिंह जो एक दर्शनार्थी हैं वे कहते हैं कि वे अपने पूरे परिवार के साथ हर रोज इस गुरुद्वारे में और इस पत्थर पर मत्था टेकने के लिए आते हैं. यह बताते हैं कि उनके लिए इस पत्थर से पवित्र चीज और कोई नहीं है. रवि सिंह ने बताया कि नलगढा गांव में ही शहीद भगत सिंह और उनके साथियों ने मिलकर क्रांतिकारी योजनाओं को अंजाम दिया था. इसी गांव में वे करीब 6 साल तक रुके थे और आगे की रणनीति तय की थी.

घर का कोना-कोना बयां कर रहा था तस्वीर
नलगढ़ा के गांव में आजाद हिंद फौज में कर्नल रह चुके करनैल सिंह का परिवार भी रहता है. शहीद करनैल सिंह की पुत्रवधू शहीदी दिवस के दिन अपनी यादों के पिटारे को खोलकर एक बार फिर से आजादी के उस दौर को याद करती हैं. तमाम तस्वीरें, कुछ पुरानी वस्तुएं और कुछ पुरानी पोस्ट कार्ड के बारे में बताते हुए आज भी वे बड़ी भावुक हो उठती हैं. उनकी हर एक वस्तु से पूरे घर में शहादत, आजादी की महक आती है. GNT की टीम शहीद करनैल सिंह के घर पहुंची जहां पर घर का एक-एक कोना आजादी की तस्वीर बयां कर रहा था.
घर पर रखी है गांधी जी की चिट्ठी
कर्नल करनैल सिंह की पुत्रवधू मनजीत कौर संधू बताती हैं कि उनके पास आज भी वे तमाम धरोहर हैं जो आजादी की दास्तां को बयां करती हैं. गांधी जी की चिट्ठी से लेकर करनैल सिंह के पासपोर्ट तक सारी चीजें उन्होंने अपने पास संभाल कर रखी हैं. इसमें वो खोल भी है जिसमें बारूद भरकर बम बनाया जाता था जिसका इस्तेमाल भगत सिंह और कर्नल करनैल सिंह ने किया था. इसके अलावा उनके पास एक सीटी भी रखी गई है जिसके बजते ही आजाद हिंद फौज के जवान एक कतार में खड़े हो जाते थे.
मनजीत कौर संधू बताती हैं कि आज भी उनके परिवार को 230 बीघा जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है. इस मामले को करीब 60 साल हो चुके हैं और अब यह मामला कोर्ट में लंबित है. नम आंखों से वे कहती हैं कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी मदद जल्द से जल्द करें.