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Bihar Siyasi Kisse: वो किस्सा, जब रामविलास पासवान ने देखी थी 17 बार शोले फिल्म, कर्पूरी ठाकुर के साथ टॉर्च वाला किस्सा भी जानिए

सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह ने अपनी किताब 'कितना राज, कितना काज' में रामविलास पासवान और कर्पूरी ठाकुर के एक किस्से का जिक्र किया है. जिसमें आपातकाल के दौरान दोनों नेताओं को गिरफ्तारी से बचने के लिए लंबी दौड़ लगानी पड़ी थी.

Ram Vilas Paswan (Photo/PTI File) Ram Vilas Paswan (Photo/PTI File)

बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सियासी चर्चाएं भी खूब हो रही हैं. ऐसे में सूबे के दिग्गज लीडर और एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान की चर्चा ना हो तो सियासी किस्से पूरे नहीं होंगे. रामविलास पासवान ने आपातकाल में 17 बार शोले फिल्म देखी थी. इतना ही नहीं, पुलिस से बचने के लिए कर्पूरी ठाकुर और रामविलास पासवान को लंबी दौड़ लगानी पड़ी थी. इस किस्से का जिक्र सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह की किताब 'कितना राज, कितना काज' में हुआ है.

पासवान ने 17 बार देखी थी फिल्म शोले-
किताब के मुताबिक आपातकाल के दौरान रामविलास पासवान कोलकाता में छुपे हुए थे. इस दौरान उनके पास काफी समय होता था. इसलिए वो फिल्म देखने जाते थे. आपातकाल के दौरान रामविलास पासवान ने 17 बार शोले फिल्म देखी थी. लेकिन ज्यादा वक्त से पासवान पुलिस से बचकर नहीं पाए थे. रामविलास पासवान और अब्दुल बारी सिद्दीकी को पुलिस ने पहचान लिया और दोनों को गिरफ्तार कर लिया था.

कर्पूरी ठाकुर के साथ भागे थे पासवान-
आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े सभी बड़े नेताओं को पुलिस गिरफ्तार कर रही थी और जेल में डाल रही थी. गिरफ्तारी से बचने के लिए रामविलास पासवान और कर्पूरी ठाकुर नेपाल में छिप गए. जब इन नेताओं को बैठक करनी होती थी तो ये बॉर्डर पार करके बिहार में आते थे और बैठक के बाद नेपाल चले जाते थे.

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टॉर्च का इशारा गलत समझ बैठे कर्पूरी ठाकुर-
जब बैठक होती थी तो पुलिस से बचने के लिए एक तरीका निकाला गया. बैठक के आसपास कार्यकर्ता फैले रहते थे और जब पुलिस आती थी तो टॉर्च जलाकर इशारा किया जाता था. लेकिन एक बार टॉर्च का इशारा गलत समझने की वजह से कर्पूरी ठाकुर और रामविलास पासवान को काफी दूर तक दौड़ लगानी पड़ी थी.

दरअसल एक बार बैठक चल रही थी, तभी दूर से एक कार्यकर्ता को टॉर्च की रोशनी दिखाई दी. सभी नेता बैठक छोड़कर भाग निकले. कर्पूरी ठाकुर भाग भागकर इतना थक गए कि वो बैठ गए और कहने लगे कि चाहे पुलिस मुझे गिरफ्तार कर ले, लेकिन अब नहीं दौड़ पाऊंगा.

जब अगले दिन कर्पूरी ठाकुर और रामविलास पासवान टॉर्च दिखाने वाले कार्यकर्ता से मिले तो पता चला कि उसने इशारा किया था कि पुलिस नहीं आ रही है. इससे कर्पूरी ठाकुर बहुत नाराज हुए और कार्यकर्ता को खूब सुनाया.

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