scorecardresearch

Bihar Politics: JSP... MIMIM... BSP और AAP... ठोक रहीं 243 विधानसभा सीटों पर ताल, ये पार्टियां बिहार में NDA या INDIA गठबंधन किसका बिगाड़ेंगी खेल, जानिए सियासी समीकरण

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुख्य मुकाबला तो NDA और INDIA गठबंधन में है लेकिन प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएमआईएम, केजरीवाल की आप और मयावती की बहुजन समाज पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने से  NDA और INDIA गठबंधन का खेल बिगड़ सकता है. आए जानते हैं क्या है सियासी समीकरण? 

Bihar Assembly Elections 2025 Bihar Assembly Elections 2025
हाइलाइट्स
  • प्रशांत किशोर की रैलियों में उमड़ रही काफी भीड़ 

  • एमआईएमआईएम के बिहार चुनाव में उतरने से मुस्लिम वोटों में बिखराव का खतरा 

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर चुनाव इसी साल अक्टूबर-नवंबर में होने हैं. चुनावी पारा चढ़ा हुआ है. मुख्य मुकाबला तो NDA और INDIA गठबंधन में है लेकिन प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP), असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएमआईएम, केजरीवाल की आप और मयावती की बहुजन समाज पार्टी के सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने से  NDA और INDIA गठबंधन का खेल बिगड़ सकता है. 

जन सुराज पार्टी बनकर उभरी है तीसरा मोर्चा 
बिहार में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) तीसरा मोर्चा बनकर उभरी है. प्रशांत किशोर की पार्टी ने बिहार विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति से एनडीए और महागठबंधन दोनों ही खेमों में बेचैनी बढ़ गई है. जन सुराज उन सीटों पर दोनों गठबंधनों का खेल बिगाड़ सकती है, जहां कांटे की टक्कर है. जन सुराज आरजेडी के पारंपरिक यादव और मुस्लिम वोटों में सेंध लगा सकती है, जिससे सीधे तौर पर एनडीए को फायदा होगा. जन सुराज यदि सरकार विरोधी वोटों को अपने पक्ष में करती है तो इससे एनडीए को नुकसान होगा. एनडीए में शामिल जदयू को अधिक नुकसान होगा. 

...तो INDIA ब्लॉक को ज्यादा चोट पहुंचाएंगे
बिहार की राजनीति में जाति हमेशा निर्णायक कारक रही है. हर विधानसभा चुनाव मुख्यतः जातिगत आधार पर लड़े गए हैं. इस बार भी कुछ अलग होने की संभावना नहीं है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की रणनीति अलग-अलग समुदायों से उम्मीदवार उतारने की है, जिससे परंपरागत वोट बैंक टूट सकते हैं. जन सुराज पार्टी का असर सीट-दर-सीट तय होगा. यदि प्रशांत किशोर ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारते हैं तो NDA को नुकसान होगा, जबकि मुस्लिम या यादव उम्मीदवार INDIA ब्लॉक को ज्यादा चोट पहुंचाएंगे. 

सम्बंधित ख़बरें

पीके किंग बनेंगे या फिर किंगमेकर 
कुछ लोग प्रशांत किशोर की पार्टी JSP को बीजेपी की बी-टीम मानते हैं. किशोर ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर वंशवाद और विकास न देने का आरोप लगाया है, जो RJD से नाराज वोटरों को लुभा सकता है. दूसरी ओर, प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को बार-बार निशाना बनाया है. उन्होंने नीतीश के शासन को ब्यूरोक्रेटिक जंगलराज कहा.

प्रशांत किशोर ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि हम जदयू और राजद दोनों का वोट काटेंगे और इतना काटेंगे कि दोनों खत्म हो जाएंगे. प्रशांत किशोर का शिक्षा, रोजगार और सुशासन पर जोर युवाओं को आकर्षित कर सकता है. प्रशांत किशोर (पीके) की रैलियों में उमड़ रही भीड़ से लगता है कि या तो वह किंग बनेंगे या फिर किंगमेकर बनेंगे. आपको मालूम हो कि जनसुराज पार्टी ने पिछले साल 2024 में चार सीटों पर उपचुनाव लड़ा था, जिसमें तीन में उसकी जमानत जब्त हो गई. हालांकि उसका कुल वोट शेयर 10% रहा. इन चारों सीटों पर NDA जीत गई, जबकि 2020 में INDIA ब्लॉक इनमें से तीन सीट जीता था.

महागठबंधन में नहीं गली ओवैसी की दाल
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन उस गठबंधन में ओवैसी की दाल नहीं गली. इसके बाद AIMIM ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.

आरजेडी और कांग्रेस को शायद ये पता है कि यदि ओवैसी महागठबंधन में आ गए तो भारतीय जानता पार्टी इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है. ऐसे में हिंदू वोटों का ध्रवीकरण हो सकता है, जिसे बीजेपी और एनडीए को फायदा हो सकता है. इसी के चलते ओवैसी की पार्टी को तेजस्वी यादव हों या राहुल गांधी इंडिया गठबंधन में जोड़ना नहीं चाह रहे हैं. ऐसे में एआईएमआईएम 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.

ओवैसी कर सकते हैं आरजेडी और कांग्रेस को नुकसान 
असदुद्दीन ओवैसी के बिहार चुनाव में उतरने से बिहार विधानसभा 2020 की तरह मुस्लिम वोटों में बिखराव का खतरा हो सकता है. इससे लालू की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.  विधानसभा चुनाव 2020 में भी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने तीसरा मोर्चा गठित किया था. तब उसके साथ बीएसपी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी इस मोर्चे का हिस्सा बनी थीं.

उस साल हुए चुनाव में यह मोर्चा छह सीटें जीतने में सफल हुआ था. एआईएमआईएम को सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें मिली थीं. एआईएमआईएम को बिहार में कुल 5 लाख 23 हजार 279 वोट मिले थे. इस तरह से उसे 1.3 फीसदी वोट मिले थे. सीमांचल में एआईएमआईएम की वजह से बीजेपी को काफी लाभ मिला था. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. मुस्लिम वोटों के दम पर ओवैसी ने कांग्रेस और आरजेडी का खेल बिगाड़ दिया था. 

AAP के अकेले चुनाव लड़ने से महागठबंधन का बंट सकता है वोट 
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. पार्टी ने यह भी ऐलान किया है कि वह बिहार में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी.

आम आदमी पार्टी बिहार में सरकार बनाने के दावे के साथ तो नहीं उतर रही है लेकिन वोट कटवा के रूप में उभरकर इंडिया गुट के अपने साथी दलों को सबक सिखाने का काम कर सकती है. AAP के अकेले चुनाव लड़ने से महागठबंधन का वोट बंट सकता है क्योंकि दोनों के समान मतदाता आधार है. इससे एनडीए को लाभ मिलेगा. केजरीवाल की पार्टी आप की बिहार में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से भी टक्कर होगी. आम आदमी पार्टी के चुनाव में उतरने से जन सुराज को थोड़ा सा झटका लग सकता है. 

BSP का दलित और महादलित वोट बैंक पर फोकस 
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती कि बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने ऐलान किया है कि वह बिहार में सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. मायावती का फोकस दलित और महादलित वोट बैंक पर है, जो बिहार में करीब 16% है. बिहार के रोहतास और कैमूर जिले में बहुजन समाज पार्टी के ठीक-ठाक वोटर्स हैं. इन दोनों जिलों में बसपा के वोटर्स चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते और एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौती पैदा करते हैं. ऐसे में मायावती की बहुजन समाज पार्टी न सिर्फ प्रशांत किशोर बल्कि अन्य उम्मीदवारों को भी चैलेंज दे सकती है. BSP कई सीटों पर वोट कटवा की भूमिका निभा सकती है. बसपा प्रशांत किशोर की राह में रोड़ा बन सकती है.