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मेडिसिन बाबा ओंकारनाथ की कहानी, फ्री में देते हैं दवाई, विदेशों से भी मिलती है मदद

Medicine Baba: मेडिसिन बाबा को विदेशों से भी मदद मिलती है. फ्रांस, वियतनाम, इंग्लैंड, कनाडा से सबसे ज्यादा दवाइयां आती हैं. इसके अलावा दिल्ली में कई मेडिकल स्टोर्स वाले भी मेडिसिन बाबा की मदद के लिए डोनेशन बॉक्स रखे हैं, ताकि दवाइयां इकट्ठा हो सके.

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हाइलाइट्स
  • 15 साल से फ्री में बांट रहे हैं दवाई

  • मेडिसिन बाबा के नाम से मशहूर हैं ओंकारनाथ

85 साल के बुजुर्ग ओंकारनाथ दिल्ली में मेडिसिन बाबा के नाम से फेमस हैं. पिछले 15 सालों से वो गरीबों को फ्री में दवाइयां बांट रहे हैं. मेडिसिन बाबा के घर के बाहर सुबह से ही मदद के लिए लोगों की भीड़ लगने लगती है. हर साल 1.5 करोड़ से ज्यादा की दवाई दान देते हैं. बचपन में एक हादसे के बाद ओंकारनाथ के पैर में दिक्कत आ गई. लेकिन उन्होंने इस कमी को कमजोरी नहीं बनने दी. मेडिसिन बाबा को इस काम में विदेशों से भी मदद मिलती है. 

मेडिसिन बाबा बनने की कहानी-
आज से 15 साल पहले लक्ष्मी नगर में मेट्रो का पिलर बन रहा था. उस दौरान एक हादसा हुआ. निर्माणधीन लेंटर गिर गया. जिसमें कई लोगों की मौत और कई लोग जख्मी हो गए. जब घायलों को अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर ने कहा कि उनके पास दवाइयां नहीं हैं. कई ज्यादातर घायलों के पास बाहर से दवाइयां खरीदने पैसे नहीं थे. यही बात ओंकारनाथ को परेशान करने लगी. इस हादसे के उन्होंने तय कर लिया कि वो गरीबों के लिए दवाओं का इंतजाम करेंगे. आज उनके पास 2 रुपए से लेकर 2 लाख तक की दवाइयां मौजूद हैं.

विदेशों से मिलती है मदद-
मेडिसिन बाबा पेशे से ब्लड बैंक में टेक्नीशियन का काम करते थे. अब वो रिटायर हो चुके हैं और फुल टाइम दवाई मांगने और गरीबों को दान देने का काम करते हैं. मेडिसिन बाबा को दवाइयों की कोई जानकारी नहीं है. इसके बावजूद वो दवाइयां इकट्ठा करते हैं. लेकिन दवाइयां देने के लिए उन्होंने एक फॉर्मासिस्ट रखा हुआ है. मेडिसिन बाबा के पास दुनियाभर से दवाइयां आती हैं. फ्रांस, वियतनाम, इंग्लैंड, कनाडा से सबसे ज्यादा दवाइयां आती हैं. 
सांस की बीमारी ने पीड़ित बुजुर्ग लक्ष्मी का कहना है कि घर में देखरेख करने वाला कोई नहीं है. पिछले कई महीनों से यहीं से दवा ले रही हूं. जबकि अमीचंद दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बेटे का इलाज करा रहे हैं. उनके बेटे को ब्रेन ट्यूमर है. बेटे के लिए व्हीलचेयर की जरूरत थी. अमीचंद का कहना है कि अस्पातल वालों ने बताया कि मेडिसिन बाबा से व्हीलचेयर मिल जाएगी. इसलिए यहां आए हैं.
मेडिसिन बाबा ने बताया कि ये सफर आसाना नहीं था. शुरुआती दौर में कई आरोप भी लगाए गए. लोगों ने कहा कि ये दवाइयां लेकर बाजार में बेच देते हैं और अपने बच्चों को पालते हैं. हालांकि इन आरोपों का मेडिसिन बाबा पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

कोरोना काल में श्मशान में मांगी दवाइयां-
कोरोना काल में हालात बहुत मुश्किल हो गए थे. घरों से दवाइयां मिलना बंद हो गया था. ओंकारनाथ का कहना है कि ऐसे में वो श्मशान घाट पर दवाइयां मांगना शुरू किया. जिन लोगों ने अपनों को खोया और उनके पास दवाइयां बची थी तो उन्होंने इसे दान किया.
मेडिसिन बाबा को अब जगह-जगह से मदद मिलने लगी है. कई मेडिकल स्टोर्स वालों ने डोनेशन बॉक्स रख दिया और दवाइयां मांगनी शुरू कर दी. मेडिसिन बाबा का सपना है कि देश के हर जिले में एक मेडिसिन बैंक हो, ताकि दवाइयों के अभाव में किसी गरीब की मौत ना हो.

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