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सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को भी घोषित करनी पड़ेगी संपत्ति! संसदीय समिति की सिफारिश

कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति ने संसद में पेश एक रिपोर्ट में सिफारिश की है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए जैसा कि राजनेताओं और नौकरशाहों के लिए होता है।

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हाइलाइट्स
  • जज भी सार्वजनिक करें अपनी संपत्ति

  • संसदीय समिति ने की सिफारिश

संसद की स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए. जैसा कि नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के लिए होता है. रिपोर्ट में कहा गया है उच्च न्यायपालिकाओं के जजों द्वारा संपत्ति की घोषणा से प्रणाली में अधिक विश्वास और विश्वसनीयता आएगी.

जज भी सार्वजनिक करें अपनी संपत्ति

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल ने कहा, “चूँकि स्वैच्छिक आधार पर जजों द्वारा संपत्ति की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम प्रस्ताव का अनुपालन नहीं किया गया है, इसलिए समिति सरकार से इसके लिए कानून लाने की सिफारिश करती है.” सार्वजनिक पद पर आसीन और सरकारी खजाने से वेतन पाने वाले किसी भी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना चाहिए.”

सुप्रीम के फैसलों का हवाला देते हुए पैनल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट मानता है कि जनता को सांसद या विधायक के रूप में चुनाव लड़ने वालों की संपत्ति जानने का अधिकार है तो यह तर्क गलत है कि जजों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करने की जरूरत नहीं है."

जज अपनी संपत्ति का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं

सूचना का अधिकार कानून पारित होने के बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने जजों की संपत्ति का विवरण देने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने तब सीआईसी के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने कहा था कि जज अपनी संपत्ति का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं.

सूचना कानून के दायरे में मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर

मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने 2013 में कहा था कि संपत्ति की घोषणा को लेकर जजों के साथ नेताओं और नौकरशाहों की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि जजों को संपत्ति विवरण सार्वजनिक करना होगा क्योंकि मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर सूचना कानून के दायरे में आता है. बाद में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कुछ जजों ने स्वेच्छा से अपनी संपत्ति घोषित करने का फैसला लिया था. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए गए ब्यौरे में कुछ जजों ने अपने बैंक खातों का जिक्र किया है.