Supreme Court
Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यह साफ कर दिया कि एक ही घटना या परिस्थितियों के लिए दूसरी एफआईआर कब दर्ज की जा सकती है. इस फैसले ने कानूनी मामलों में एक नया मोड़ ला दिया है. जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मुद्दे पर पांच बड़ी बातें बताई.
कब दर्ज हो सकती है दूसरी FIR?
क्या है मामला?
यह मामला राजस्थान बायो-फ्यूल अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेंद्र सिंह राठौड़ से जुड़ा है. उन पर बायो-डीजल बिक्री के लिए ₹2 प्रति लीटर रिश्वत मांगने का आरोप था. यह रिश्वत हर महीने ₹15 लाख की बनती थी, और लाइसेंस रिन्यूअल के लिए अतिरिक्त ₹5 लाख की मांग की गई थी.
पहली FIR अप्रैल 2022 में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 7A के तहत दर्ज की गई थी. इसके बाद, 14 अप्रैल 2022 को दूसरी FIR दर्ज की गई, जिसमें आरोप था कि सुरेंद्र सिंह ने सितंबर 2021 से अप्रैल 2022 के बीच कई लाइसेंस धारकों से रिश्वत ली थी.
हाईकोर्ट का फैसला और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
राजस्थान हाईकोर्ट ने दूसरी FIR को "कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग" बताते हुए खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के दूसरी FIR पर जांच नहीं हो सकती.
हालांकि, राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए कहा कि दूसरी FIR बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए थी. इसलिए इसे खारिज करना समाज के हितों के खिलाफ होगा.
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए राज्य सरकार की अपील को मंजूर कर लिया, "दूसरी FIR को खारिज करना भ्रष्टाचार की जांच को शुरुआती चरण में ही खत्म कर देगा, जो समाज के हित में नहीं है."
इस मामले में राजस्थान सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल शिव मंगल शर्मा और एडवोकेट सौभाग्य सुंद्रीयाल, रुस्तम सिंह चौहान, और निधि जसवाल ने पैरवी की. वहीं, सुरेंद्र सिंह राठौड़ की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह और एडवोकेट आनंद वर्मा, आयुष गुप्ता, और रंगा शरण ने दलीलें पेश कीं.
क्यों है यह फैसला अहम?
यह फैसला स्पष्ट करता है कि एक ही घटना के लिए दूसरी FIR दर्ज करने के क्या आधार हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है.