First-Ever Hydrogen Truck Trials 
 First-Ever Hydrogen Truck Trials भारत में पहली बार हाइड्रोजन से चलने वाले ट्रक का ट्रायल रन शुरू हुआ. हाइड्रोजन पावर ट्रक की पहली खेप सड़कों पर उतरी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने टाटा मोटर्स के पहले हाइड्रोजन ट्रक परीक्षण को हरी झंडी दिखाई. टाटा मोटर्स इंडिया ने भारत में पहले हाइड्रोजन संचालित हेवी ड्यूटी ट्रकों के ट्रायल का उद्घाटन किया है. इन हेवी ड्यूटी ट्रकों का सड़क पर 18 महीनों का ट्रायल रन चलेगा, जिसके ज़रिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को समझा जा सकेगा.
इन ट्रकों में ड्राइवर के लिए एयर कंडीशन कैबिन की व्यवस्था है. भार वाहन करने की क्षमता भी इनमें ज़्यादा है. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि 22 लाख करोड़ रुपये हर साल फ्युल इंपोर्ट पर खर्च होता है. साथ ही, प्रदूषण भी भारी समस्या है. फ़िलहाल, 16 हाइड्रोजन पावर गाड़ियों को ट्रायल अनुमति दी गई है. ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ ट्रायल रन शुरू होगा. यह ट्रायल फ़रीदाबाद, दिल्ली NCR, अहमदाबाद और मुंबई में चलेगा.
पराली से बना रहे बायो सीएनजी 
नितिन गडकरी ने कहा कि हाइड्रोजन की वजह से हम ऊर्जा को आयात नहीं बल्कि ऊर्जा को निर्यात करने वाला देश बनेंगे. हम ग्रीन हाइड्रोजन बनाएंगे. पराली से हम बायो CNG से हम बना रहे हैं. पराली के बायोप्रोडक्ट से मीथेन बनाया जाएगा और उससे हाइड्रोजन भी बनाया जा सकेगा. रिन्यूएबल उर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “हाइड्रोजन एनर्जी सेक्टर का भविष्य है और मोबिलिटी भी आगे भविष्य में हाइड्रोजन पर सिमट जाएगी. ग्रीन हाइड्रोजन स्पेस में भारत में जल्द ही दुनिया में नेतृत्व करेगा और भारत दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन का प्रमुख उत्पादक बनेगा. हाइड्रोजन स्टोरेज के लिए ढांचागत विकास पर ज़ोर दिया जा रहा है. इससे कार्बन उत्सर्जन पर भी नियंत्रण होगा. अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम कीमतों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी.”
18 महीने चलेगा ट्रायल
ट्रॉयल रन के बाद तय किया जाएगा कि बाज़ार में ये ट्रक कब तक आएंगे. TATA मोटर्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गिरीश वाघ बताते हैं कि भारत सरकार के मिशन हाइड्रोजन परियोजना के तहत ट्रायल रन के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं और साधन ट्रायल रन के दौरान इनकी क्षमताओं और इसके लिए जिस तरह के ढांचागत व्यवस्था की ज़रूरत होगी, उसका आंकलन किया जा सकेगा. ये थोड़ा भारी भरकम बोझ लेकर सड़कों पर दौड़ सकते हैं.
ट्रायल रन के दौरान इन पर आने वाले ख़र्च का भी अंदाज़ा लगेगा यानी 18 महीनों के ट्रायल रन के दौरान ये पता चल सकेगा कि भारत के ट्रांसपोर्टेशन व्यापार जगत के लिए यह हाइड्रोजन वितरक कितने फ़ायदेमंद और कारगर साबित होंगे. ज़ाहिर है रिन्युअल एनर्जी के ज़रिए भारत न सिर्फ़ कार्बन उत्सर्जन को कम कर पाएगा बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार जो तेल के आयात पर ख़र्च होता है उसमें भी बचत होगी. लेकिन सबसे ज़्यादा मदद होगी प्रदूषण के स्तर को कम करने की, जिसके लिए हाइड्रोजन एक बेहतर पर्याय बन कर सामने आया है.