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Vande Bharat: वंदे भारत ट्रेन में लगेंगी FRP की बनी ये खास तरह की सीटें...180 डिग्री घूमने के साथ देगी फ्लाइट जैसा फील

टाटा समूह वित्त वर्ष 26 तक अनुसंधान एवं विकास पर 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रहा है और सितंबर 2022 से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए 'भारत में पहली' बैठने की व्यवस्था शुरू करने की योजना बना रहा है.

Vande Bharat Vande Bharat
हाइलाइट्स
  • 180 डिग्री तक घूम सकेंगी

  • FRP से बनीं हैं खास सीटें

घरेलू स्टील कंपनी टाटा स्टील अत्याधुनिक ट्रेन वंदे भारत के लिए बेहतरीन सीटों से लेकर डिजाइन तक हर चीज को बड़ी  ही प्लानिंग के साथ तैयार कर रहा है. इस ट्रेन में लगने वाली खास सीटों की सप्लाई सितंबर से शुरू हो जाएगी. इसके रिसर्च और डेवलेपमेंट में कंपनी 3000 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है. इसके अलावा कंपनी 2030 तक वैश्विक इस्पात उद्योग में शीर्ष 5 प्रौद्योगिकी फर्मों में शामिल होने का भी लक्ष्य बना रही है.

यह देश में अपनी तरह का पहला सीटिंग सिस्टम होगा. टाटा स्टील के उपाध्यक्ष देवाशीष भट्टाचार्य के अनुसार, कंपनी के कंपोजिट सेक्शन को वंदे भारत एक्सप्रेस की 22 ट्रेनों के लिए सीटें उपलब्ध कराने का ऑर्डर मिला है.

कैसी होंगी सीटें?
इन सीटों को खास तरह से डिजाइन किया गया है जो 180 डिग्री तक घूम सकती है. भट्टाचार्य ने कहा, ‘ये खास तौर पर डिजाइन की गई सीट हैं. ये 180 डिग्री तक घूम सकती हैं और इनमें विमानों की सीटों की तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. यह ट्रेन सीट की अपनी तरह की भारत में पहली सप्लाई है. सितंबर से इन सीटों की सप्लाई शुरू होगी और 12 महीनों में इसे पूरा किया जाएगा.’’इन सीटों को फाइबर रिइंफोर्स्ड पॉलिमर (FRP)से बनाया गया है. इनके रखरखाव की लागत भी कम होगी. यह सुविधाजनक होने के साथ यात्रियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखेंगी. पूरी तरह से स्वदेश में विकसित वंदे भारत ट्रेन 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी. यह देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेनों में से एक है.

मिला बल्क ऑर्डर
टाटा स्टील के कंपोजिट डिवीजन ने वंदे भारत एक्सप्रेस की सीटों के लिए दिया गया ऑर्डर 145 करोड़ का है.  इसमें 22 ट्रेन सेटों के लिए पूर्ण बैठने की व्यवस्था की आपूर्ति शामिल है, जिसमें प्रत्येक ट्रेन सेट में 16 कोच हैं.सीटों में प्रयुक्त एफआरपी में उच्च संक्षारण प्रतिरोध और कम रखरखाव लागत होगी. इसके अलावा, यह अग्निरोधी संपत्ति के यूरोपीय मानक के अनुरूप होगा और यात्रियों को बेहतर सुरक्षा और आराम प्रदान करेगा. वंदे भारत को ट्रेन 18 के नाम से भी जाना जाएगा.

भट्टाचार्जी ने कहा कि टाटा स्टील नीदरलैंड के एक प्रौद्योगिकी भागीदार के सहयोग से महाराष्ट्र के खोपोली में एक ग्रीनफील्ड सुविधा स्थापित कर रही है. उन्होंने कहा, "यह सुविधा एल्यूमीनियम हनीकॉम्ब कोरेड सैंडविच पैनल का निर्माण करेगी, जिसका उपयोग मुख्य रूप से रेल और मेट्रो कोचों के अंदरूनी हिस्सों के लिए किया जाएगा. यूनिट के प्रमुख ग्राहक वैश्विक मेट्रो और रेल कोच ओईएम और भारतीय रेलवे भी होंगे."

टाटा के न्यू मैटेरियल्स बिजनेस (एनएमबी) की स्थापना स्टील के अलावा अन्य सामग्री के इस्तेमाल का पता लगाने की दृष्टि से की गई थी. व्यवसाय में तीन सामग्री कार्यक्षेत्र हैं - कंपोजिट, ग्रैफेन, और चिकित्सा सामग्री और उपकरण. FY2021-22 में NMB के संचालन का चौथा वर्ष पूरा हुआ. टाटा स्टील का कंपोजिट व्यवसाय तीन बाजार क्षेत्रों पर केंद्रित है जोकि औद्योगिक, बुनियादी ढांचा और रेलवे हैं.