
दुनिया के कई देशों में हाल ही में सब्जियों, प्याज, आलू और चाय-कॉफी की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसे केवल मंडी की मांग और आपूर्ति का मामला नहीं कहा जा सकता. हाल की एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, भारत सहित 18 देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की चरम घटनाओं ने खाद्य सामग्री की कीमतों को बढ़ा दिया है.
इस रिपोर्ट को Barcelona Supercomputing Centre के वैज्ञानिक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ ने तैयार किया है. इसमें भारत, अमेरिका, यूके, इथियोपिया, ब्राज़ील, स्पेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के आंकड़े शामिल हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 से 2024 के बीच सूखा, हीटवेव और अत्यधिक वर्षा जैसी घटनाओं ने फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गईं.
भारत में बढ़ी कीमतें, प्याज-आलू की कीमत में भारी उछाल
भारत में पिछले पांच वर्षों में आलू की कीमतों में 158% की बढ़ोतरी हुई है. मई 2024 में आई भीषण हीटवेव के बाद प्याज और आलू की कीमतों में 80% तक का उछाल देखा गया. वैज्ञानिकों के अनुसार यह हीटवेव सामान्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था, जिसे ‘एक असामान्य और गंभीर घटना’ माना गया है. चूंकि प्याज और आलू भारतीय थाली के मुख्य हिस्से हैं, इस बढ़ोतरी का असर सीधे आम लोगों की जेब पर पड़ा है.
दुनिया के अन्य देशों में भी दिखे असर
भारत ही नहीं, अन्य देशों में भी मौसम की चरम घटनाओं ने खाद्य कीमतों को प्रभावित किया है.
यूके में जनवरी-फरवरी 2024 में भारी बारिश के कारण आलू की कीमतें 22% बढ़ीं.
अमेरिका के कैलिफोर्निया और एरिजोना में 2022 में सूखे की वजह से सब्जियों की कीमतों में 80% तक बढ़ोतरी हुई.
इथियोपिया में 2022 के ऐतिहासिक सूखे के बाद 2023 में खाद्य वस्तुओं के दाम 40% बढ़ गए.
स्पेन और इटली में सूखे के कारण जैतून तेल की कीमतें 50% तक बढ़ीं.
कोको की कीमतें आइवरी कोस्ट और घाना में 280% तक बढ़ीं.
ब्राजील और वियतनाम में कॉफी की कीमतें 55% और 100% तक बढ़ीं.
जापान में 2024 की हीटवेव के बाद चावल की कीमतें 48% बढ़ीं.
दक्षिण कोरिया में गोभी की कीमतें 70% तक पहुंच गईं.
पाकिस्तान में 2022 की बाढ़ के बाद खाद्य वस्तुओं की कीमतें 50% बढ़ीं.
ऑस्ट्रेलिया में 2022 की बाढ़ के बाद लेट्यूस की कीमतें 300% तक बढ़ीं.
गरीबों पर सबसे बड़ा असर, पोषण संकट गहरा
Food Foundation की रिपोर्ट के मुताबिक, पोषण से भरपूर खाना सस्ता खाना खाने से दोगुना महंगा है. जब महंगाई बढ़ती है, तो गरीब परिवार पोषणहीन लेकिन सस्ता खाना अपनाने लगते हैं. इससे बच्चों में कुपोषण और बड़ों में हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ता है. खाद्य असुरक्षा मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है.
27 जुलाई 2025 को इथियोपिया के अदीस अबाबा में होने वाले दूसरे संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन में ये मुद्दे प्रमुखता से उठाए जाएंगे. इस बैठक में दुनिया के नेता खाद्य सुरक्षा और जलवायु संकट से निपटने की रणनीति पर चर्चा करेंगे.