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UP BJP New President: यूपी में बीजेपी जल्दबाजी में नहीं, राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद होगा प्रदेशाध्यक्ष का चयन

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष का प्रोसेस तेज हो गया है. कई प्रदेशों के अध्यक्ष भी चुने जा रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश को लेकर पार्टी की तरफ से अभी कुछ खास नहीं किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद होगा.

UP BJP Leaders (Photo/PTI) UP BJP Leaders (Photo/PTI)

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जल्दबाजी नहीं करना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद होगा. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद ही चुने जाएंगे.

प्रदेश अध्यक्ष के लिए जल्दबाजी में नहीं बीजेपी-
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में और यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू होने में अभी 1 साल का वक्त बाकी है. इसलिए बीजेपी कोई जल्दबाजी में नहीं है. यही नहीं, उत्तर प्रदेश में कई तरह के समीकरण चुनाव के पहले बीजेपी को बिठाने हैं. प्रदेश में कई बदलाव भी होने हैं. जिसमें मंत्रिमंडल में कुछ बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं. ऐसे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की जल्दबाजी में नहीं है.

उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए होने वाली संगठन की तैयारी भी अभी आधी अधूरी है. मार्च के महीने में बीजेपी ने लगभग 70 जिला अध्यक्ष और नगर अध्यक्ष बना लिए थे. लेकिन 28 जिला अध्यक्ष और नगर अध्यक्षों का पद अभी भी खाली हैं. प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के पहले ये पद भी भरे जाने हैं.

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संघ चाहता है अपनी भूमिका-
उत्तर प्रदेश में बीजेपी दरअसल यहां के जातीय समीकरणों को भी परख रही है. अखिलेश यादव ने PDA झंडा उठा रखा है और 2027 चुनाव के पहले बीजेपी को इसका काट ढूंढना है. जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संघ अपनी भूमिका चाहता है, कुछ वैसा ही उत्तर प्रदेश में भी RSS चाहता है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूं तो योगी हैं, लेकिन वह क्षत्रिय बिरादरी से आते हैं, ऐसे में बीजेपी अखिलेश यादव के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक कार्ड के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे के तौर पर बीजेपी वक्त देखकर चेहरा सामने रखेगी.

कई नामों की चर्चा-
यूं तो सबसे ज्यादा जो नाम प्रदेश अध्यक्ष की चर्चा है, उसमें पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, साध्वी निरंजन ज्योति, बाबूराम निषाद, स्वतंत्र देवसिंह जैसे कई नाम चर्चा में है.

उत्तर प्रदेश में फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टाले जाने की जो सबसे बड़ी वजह है, वो प्रदेश में कई स्तर पर होने वाले बदलाव हैं. प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही योगी कैबिनेट में भी फेरबदल होगा. केशव मौर्य को क्या कोई नई जिम्मेदारी मिल सकती है? इस पर भी चर्चा चल रही है कि क्या उन्हें कोई बड़ा संगठन का पद दिया जा सकता है.

फिलहाल यूपी अध्यक्ष का चुनाव प्राथमिकता नहीं-
योगी कैबिनेट में जातीय संतुलन को साधने की कोशिश होगी. माना जा रहा है कि ओबीसी और दलित चेहरों को और ज्यादा जगह दी जाएगी. लेकिन पार्टी की प्राथमिकता फिलहाल राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव है. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि उत्तर प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव समस्या नहीं, बल्कि तसल्ली और आराम से इस पद के लिए सोच समझकर कोई चेहरा वक्त पर दिया जाएगा.

बता दें कि शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर कई महीने पहले ही मंथन कर चुका है और यह तमाम नाम शीर्ष नेतृत्व को संगठन ने भेजे भी हैं. अब सभी नजरें राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर टिकी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में भी कयासबाजी का दौर जारी है.

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