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बंगाल के बक्सा टाइगर रिजर्व में करीब दो दशक बाद दिखा बाघ, खुशी से खिल उठे वन अधिकारियों के चेहरे

उत्तर बंगाल के बक्सा टाइगर रिजर्व में दो दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद आखिरकार एक बाघ देखा गया है. राज्य के वन विभाग के मुताबिक शुक्रवार की रात रिजर्व फॉरेस्ट के पास बाघ के पंजों के निशान देखे गए. टाइगर रिजर्व के वन अधिकारियों का कहना है कि चूंकि हमें पंजों के निशान भी देखने को मिले तो निश्चित तौर पर इलाके में बाघ मौजूद है. बाघ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अभी उसकी लोकेशन का सही पता नहीं बताया गया है.

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हाइलाइट्स
  • इससे पहले अलीपुरद्वार में दिखा था ब्लैक पैंथर

  • सर्वे के लिए जाएगी कोलकाता की टीम

उत्तर बंगाल के बक्सा टाइगर रिजर्व में दो दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद आखिरकार एक बाघ देखा गया है. राज्य के वन विभाग के मुताबिक शुक्रवार की रात रिजर्व फॉरेस्ट के पास बाघ के पंजों के निशान देखे गए. टाइगर रिजर्व के वन अधिकारियों का कहना है कि चूंकि हमें पंजों के निशान भी देखने को मिले तो निश्चित तौर पर इलाके में बाघ मौजूद है. 

सुरक्षा की वजह से नहीं बताई सही लोकेशन
रिजर्व में तैनात एक अधिकारी ने कहा,“इस बार हम बाघ के कैमरे में कैद करने में सफल रहे. हालांकि बाघ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम उसकी लोकेशन के बारे में अभी कोई जानकारी जाहिर नहीं कर रहे हैं. बाघ बक्सा टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र से है. यह बक्सा के प्राकृतिक वास को बाघों और अन्य जानवरों के लिए उपयुक्त साबित करता है. ”

सर्वे के लिए जाएगी कोलकाता की टीम
बंगाल के वन मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक ने बताया कि स्थान का सर्वेक्षण करने के लिए कोलकाता से एक टीम इलाके में पहुंचेगी. मंत्री ने कहा, “ऐसे समय में जब सुंदरबन में बाघों की गणना पहले से ही चल रही है, यह वास्तव में बहुत अच्छी खबर है. हम निकट भविष्य में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए बक्सा में प्रजनन कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहे हैं.

इससे पहले अलीपुरद्वार में दिखा था ब्लैक पैंथर
इससे पहले अलीपुरद्वार जिले में स्थित इसी रिजर्व फॉरेस्ट में एक ब्लैक पैंथर को कैमरे में कैद किया गया था, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं. ब्लैक पैंथर को रात में बक्सा टाइगर रिजर्व के अंदर घूमते देखा गया, जिस दौरान उसकी तस्वीरें खींची गई थीं. ब्लैक पैंथर्स, हालांकि दुर्लभ हैं लेकिन कर्नाटक के काबिनी वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक में अंशी दांडेली अभयारण्य और तमिलनाडु के नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में ये अच्छी संख्या में देखे जा सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार रिजर्व की बॉयोडायवर्सिटी का आकलन करने के लिए समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाए जाते हैं और ऐसे ही एक कैमरे ने इस दुलर्भ प्रजाति को अपने कैमरे में कैद किया. 

कोलकाता से इंद्रजीत कुंडू की रिपोर्ट