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सड़क के टूटने से फंसे स्कूल के बच्चे! दो नौजवानों ने अपनाया अनोखा तरीखा... निकाला बच्चों को मुसीबत से बाहर

मोगा में सड़क के टूट जाने के कारण स्कूल के फंसे बच्चों को सड़क पार कराने के लिए दो युवक ह्यूमन पुल बने. साथ ही कई ग्रामीणों को भी पार करवाया.

मोगा ज़िले के कस्बा निहाल सिंह वाला के अंतर्गत आने वाले गांव मल्लेयाना में एक मिसाल कायम करने वाली घटना सामने आई है. मंगलवार सुबह हुई तेज बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया और मल्लेयाना से रसूलपुर जाने वाली मुख्य सड़क टूट गई. उसी समय गांव के लगभग 30-35 बच्चे पास के गांव रसूलपुर के स्कूल में पढ़ने गए हुए थे. बारिश के चलते स्कूल प्रशासन ने 10 बजे ही छुट्टी कर दी. 

गुरुद्वारे से हुई घोषणा
जब बच्चे वापिस लौट रहे थे, तब गांव में यह सूचना पहुंची कि मुख्य सड़क टूट चुकी है. इस पर पंचायत की ओर से गुरुद्वारे में अनाउंसमेंट करवाई गई कि स्कूल बस वापस नहीं आ पा रही, सभी लोग अपने-अपने बच्चों को लेने जाएं. गांव के कुछ लोग मौके पर पहुंचे, लेकिन टूटी सड़क और पानी भरे रास्ते को देखकर कोई रास्ता नहीं सूझा. 

नौजवान बने पुल

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उसी समय गांव के दो नौजवान सुखबिंदर सिंह और गगनदीप सिंह ने हिम्मत दिखाई और अनोखा तरीका अपनाया. दोनों ने टूटे हुए सड़क के स्थान पर खुद को पुल की तरह इस्तेमाल किया. सड़क पर लेटकर मानव सेतु बनाया और एक-एक करके बच्चों को अपनी पीठ पर बिठाकर सुरक्षित पार कराया. दोनों ने न सिर्फ 30-35 बच्चों को पार करवाया बल्कि 10-12 और ग्रामीणों को भी सुरक्षित रास्ता पार करवाया.

दोनों नौजवान विवाहित हैं और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। सुखबिंदर सिंह के तीन बच्चे हैं और गगनदीप सिंह का एक बच्चा है. अपनी जान की परवाह किए बिना, दूसरों की मदद करने वाले इन दोनों जांबाज़ों को गांव की पंचायत द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया गया.

सुखबिंदर की भतीजी पढ़ाती है स्कूल में

सुखबिंदर सिंह


सुखबिंदर सिंह ने बताया कि उनकी भतीजी जिस स्कूल में पढ़ाती है, वहीं गांव के बाकी सभी बच्चे भी पढ़ने जाते हैं. मंगलबार को जब वह खेत से लौट रहे थे, तभी गांव के गुरुद्वारे से सड़क टूटने की सूचना की घोषणा हुई. यह सुनकर वह गांव के अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि सड़क का एक हिस्सा पानी के तेज बहाव में बह गया है, और ऊपर से लगातार बारिश हो रही थी. लोग चिंतित थे कि बच्चों को इस हालत में कैसे सुरक्षित पार कराया जाए. तभी उन्होंने और गगनदीप सिंह ने साहस दिखाते हुए एक अनोखी तरकीब अपनाई वे दोनों टूटे हुए सड़क के हिस्से पर लेट गए और अपनी पीठ पर बच्चों को पार कराया. कुछ अन्य लोगों को भी इसी तरह सुरक्षित पार करवाया गया.

गगनदीप का भतीजा है छात्र

गगनदीप सिंह


गगनदीप सिंह ने बताया कि उनका भतीजा पहली कक्षा में पढ़ता है. वह भी अन्य माता-पिता के साथ अपने भतीजे को लेने गए थे. जब सुखबिंदर सिंह ने बच्चों को पार कराने की योजना बताई, तो उन्होंने भी तुरंत साथ देने का निश्चय किया. उन्होंने कहा कि हमने यह सोचकर यह कदम उठाया कि सारे बच्चे अपने ही जैसे हैं और उन्हें हर हाल में सुरक्षित घर पहुंचाना है.

-तन्मय समानता की रिपोर्ट