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Glacier को बचाने के लिए Uttarakhand के वन विभाग की अनोखी पहल, ट्रैकरों के लिए जारी किया ये निर्देश..जानें नियम

तेजी से पिघलते और टूटते ग्लेशियर खतरे की बड़ी आहट हैं. ये प्रकृति से इंसान की छेड़छाड़ की ऐसी सच्चाई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसी कड़ी में ग्लेशियर को बचाने और साफ रखने के लिए उत्तराखंड के बागेश्वर में वन विभाग ने ऐसे दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिससे कूड़ा फैलाने वालों पर लगाम लगेगी.

ग्लेशियर पर जाने वाले ट्रैकरों को खुद लाना होगा अपना कचड़ा ग्लेशियर पर जाने वाले ट्रैकरों को खुद लाना होगा अपना कचड़ा
हाइलाइट्स
  • विदेशी पर्यटकों, ट्रैकरों पर लगेगा 10 हजार रुपये का जुर्माना

  • अपना कूड़ा साथ लाकर करना होगा जमा

ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते प्रकृति का संतुलन लगातार बिगड़ता जा रहा है. इतना ही नहीं ग्लोबल वार्मिंग ने नदियों के जलस्तर का गणित भी बिगाड़ के रख दिया है. यही वजह है कि ग्लेशियर को बचाने और स्वच्छ रखने के लिए उत्तराखंड सरकार तेजी से काम रही है. जिसके तहत बागेश्वर वन विभाग ने पिंडारी, सुंदरढुंगा, कफनी ग्लेशियरों को साफ रखने के लिए अनूठी पहल की है.

खुद रखना होगा ग्लेशियरों की स्वच्छता का ख्याल

वहां ग्लेशियर पर जाने वाले ट्रैकरों के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं.अब ट्रैकरों को ग्लेशियरों की स्वच्छता का ख्याल खुद रखना होगा और ग्लेशियरों से अपना कूड़ा हर हाल में वापस लाना होगा. ट्रैकिंग पर जाने वाले ट्रैकर्स को अपना कूड़ा वापस लाकर वन विभाग की चौकियों में जमा करना होगा और अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनकी सिक्योरिटी फीस फाइन के तौर पर रख ली जाएगी. साथ ही ऐसा न करने पर उन्हें हजारों रुपयों का फाइन देना पड़ सकता है.

वन विभाग की इस पहल का असर भी दिखने लगा है. ट्रैकिंग पर जाने वाले ट्रैकर अपने साथ कूड़ा लाकर वन विभाग की चौकी में जमा करा रहे हैं.

नियमों की अनदेखी पर लगेगा जुर्माना

स्थानीय ट्रैकरों के लिए 2 हजार रुपये का जुर्माना तय किया गया है और देसी पर्यटकों, ट्रैकरों को 5 हजार फाइन देना होगा. जबकि विदेशियों पर्यटकों, ट्रैकरों के लिए 10 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है.

हालांकि, जो भी टूरिस्ट अपनी ट्रैकिंग पूरी करने के बाद अपना कूड़ा साथ लाकर जमा कर रहा है, प्रशासन उन्हें डिमांड ड्राफ्ट लौटा रहे हैं और कूड़ा न लाने पर राशि विभागीय खाते में जमा की जा रही है.

भविष्य के खतरे से बचने को लेकर पहल

बता दें कि हिमालय की जो चोटियां 12 महीने बर्फ से ढंकी रहती थीं, उनमें से कई बर्फ गायब हो रहे हैं. इसकी वजह है बढ़ता तापमान. बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियर की बर्फ बेहद तेजी से पानी बन रही है. हालात ये हैं कि पिछले कई सालों में ग्लेशियर 20 से लेकर 30 फुट तक गल चुके हैं. वहीं ये सभी दिशा निर्देश ग्लेशियर को साफ और सुरक्षित रखने के लिए है. ताकि, भविष्य के खतरे से बचा जा सके.