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UP Government: यूपी सरकार की पहल! कोरोना में अपने मां-बाप खो चुके बच्चों की नहीं रुकेगी शिक्षा

कोरोना काल में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों की स्कूली शिक्षा अब नहीं रुकेगी. साथ ही यूपी के श्रमिक भी अब अपने बच्चों को बेहतर स्कूली शिक्षा दे पाएंगे. आपको दिखाते हैं देश के सबसे बड़े प्रदेश के वो खास स्कूल जो शिक्षा की रोशनी से वंचित वर्ग के बच्चों का भविष्य संवारेंगे

यूपी सरकार की पहल! कोरोना में अपने मां-बाप खो चुके बच्चों की नहीं रुकेगी शिक्षा यूपी सरकार की पहल! कोरोना में अपने मां-बाप खो चुके बच्चों की नहीं रुकेगी शिक्षा
हाइलाइट्स
  • यूपी में बन रहे हैं 18 आवासीय विद्यालय

लखनऊ के सिथौली कलाँ (Sithauli kala) में ये भव्य कैम्पस उन बच्चों के लिए है जिनके लिए स्कूली शिक्षा पूरी करना भी किसी सपने से कम नहीं. श्रमिकों के बच्चे अक्सर पैसे और संसाधनों के अभाव में स्कूल बीच में ही छोड़ देते हैं और कई बच्चे मजदूरी भी करने लगते हैं. अटल आवासीय विद्यालय में ऐसे बच्चों के साथ उन बच्चों को भी एडमिशन मिलेगा जिन्होंने कोरोना काल में अपने माता पिता या उनमें से किसी एक को खो दिया. 

यूपी में बन रहे हैं 18 आवासीय विद्यालय
यूपी में बन रहे ऐसे 18 अटल आवासीय विद्यालय में पढ़ाई की शुरुआत इसी साल जुलाई से शुरू हो जाएगी. नवोदय विद्यालय की तर्ज़ पर इनमें पढ़ाई होगी. अटल आवासीय विद्यालय में छात्रों को हॉस्टल से लेकर सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. 

इन बच्चों को मिलेगा एडमिशन
आपको बता दें कि, अटल आवासीय विद्यालय यूपी के सभी 18 मंडल में खोले जा रहे हैं. इनमें उन श्रमिकों के बच्चों का एडमिशन होगा जिनका E-shramik card तीन साल पहले बना हो. इनमें उन बच्चों का भी एडमिशन होगा जिन्होंने कोरोना काल में अपने माता-पिता या उनमें से किसी एक को खो दिया है. अटल आवासीय विद्यालय छठी क्लास से बारहवीं क्लास तक है. कक्षा 6 में 10 से 13 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा. अटल आवासीय विद्यालय CBSE Board से सम्बद्ध होगा. एडमिशन के लिए ऑफ़लाइन 27 मई तक कर सकते हैं. सभी अटल आवासीय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा से छात्रों का चयन होगा.

अटल आवासीय विद्यालयों को डिजाइन करते समय इस बात का ख्याल रखा गया है कि कैंपस में ही सारी सुविधाएं मौजूद हों. अटल आवासीय विद्यालयों में जहां छात्र छात्राओं को हर सुविधा देने की तैयारी है वहीं इसका सारा खर्च यूपी सरकार उठाएगी. यूपी में अपनी तरह के इस अलग प्रयोग को भविष्य में एक मॉडल के तौर पर भी देखा जा सकता है.