
उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक दारोगा ने मात्र छह समोसे की रिश्वत लेकर नाबालिग रेप पीड़िता के मामले में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी. इस घटना ने पुलिस की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर किया है. कोर्ट ने इस फाइनल रिपोर्ट को खारिज कर दिया और जांच अधिकारी के खिलाफ़ कार्रवाई का आदेश दिया.
क्या है पूरा मामला
यह मामला एटा जिले के थाना जलेसर का है, जहां एक 14 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ रेप का आरोप लगा. आरोपी समोसा विक्रेता था और पीड़िता ने उसके खिलाफ़ पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया.
हालांकि, बताया जा रहा है कि जांच अधिकारी ने मात्र छह समोसे की रिश्वत लेकर मामले की फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी और कहा कि घटना हुई ही नहीं. पीड़िता के पिता ने इस फाइनल रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और कोर्ट में प्रोटेस्ट पेटीशन दाखिल की.
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को खारिज कर दिया और जांच अधिकारी के खिलाफ़ कार्रवाई का आदेश दिया. कोर्ट ने पाया कि जांच अधिकारी ने मामले में चश्मदीद गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं किए थे और पीड़िता का मेडिकल टेस्ट भी नहीं कराया गया था.
पीड़िता के पिता ने कहा कि जांच अधिकारी ने मौके पर मौजूद चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए और पीड़िता के बयान को नजरअंदाज किया. उन्होंने कोर्ट में प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल कर न्याय की मांग की.
पुलिस सिस्टम पर सवाल
इस घटना ने यूपी पुलिस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक दारोगा की लापरवाही ने पूरे पुलिस सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है. इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आज भी पुलिस सिस्टम कितना ढुलमुल रवैया अपनाता है. एक नाबालिग रेप पीड़िता को न्याय दिलाने में भी पुलिस ने लापरवाही बरती. ऐसे में जरूरी है कि इस लचर पुलिस सिस्टम को लेकर लोग सतर्क हो जाएं और दूसरों को भी सावधान करें.