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UP Politics: लखनऊ के एक बड़े होटल में जुटे 40 क्षत्रिय विधायक, गरमाई सियासत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक बड़े होटल में 40 क्षत्रिय विधायकों का जुटान हुआ. इस जुटान को कुटुंब नाम दिया गया. सूत्रों की माने तो एक व्हाट्सअप ग्रुप भी इन विधायकों के बने हैं. जिसमें सिर्फ ज्यादातर एक ही जाति के विधायक हैं और लगभग सभी क्षत्रिय हैं.

Ramveer Singh and Rakesh Pratap Singh (Photo/X) Ramveer Singh and Rakesh Pratap Singh (Photo/X)

उत्तर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन राजधानी लखनऊ के एक बड़े होटल में बड़ी संख्या में विधायकों का माजमा लगा. इन 40 विधायकों की इस मीटिंग को "कुटुंब" नाम दिया गया. कुटुंब यानी परिवार और सूत्रों की माने तो एक व्हाट्सअप ग्रुप भी इन विधायकों के बने हैं. जिसमें सिर्फ ज्यादातर एक ही जाति के विधायक हैं और लगभग सभी क्षत्रिय हैं. सूत्रों की माने तो इसमें सभी दलों के क्षत्रिय विधायकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की गई थी. हालांकि इक्के दुक्के दूसरे बिरादरी के भी MLA के इसमें शामिल होने की जानकारी है. लेकिन इसमें लगभग तीन दर्जन सिर्फ बीजेपी और सपा के बागी क्षत्रिय विधायक ही  शामिल हुए.

इस जुटान के पीछे क्या है वजह?
इन विधायकों के जुटान के पीछे की वजह कुंदरकी से विधायक रामवीर सिंह और मुरादाबाद के एमएलसी जयपाल सिंह व्यस्त की ओर से दी गई पार्टी बताई जा रही थी. जिसमें पारिवारिक निमंत्रण को इसकी वजह बताया गया. मुरादाबाद के लिए विधायक और एमएलसी की तस्वीर भी इस पार्टी में लगाई गई थी और आने वाले विधायकों को बाकायदा गिफ्ट भी दिया गया. जिसमें भगवान राम की तस्वीर और त्रिशूल जैसी चीजें थी. लेकिन कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के बागी विधायक गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह और गोसाईगंज के अभय सिंह की भी इसमें भूमिका है. काफी समय से क्षत्रिय बिरादरी के विधायक अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे थे और सियासी गलियारों में इसे शक्ति प्रदर्शन भी कहा जा रहा है.

विपक्ष के कई विधायकों ने बनाई दूरी-
इसमें विपक्ष के कई और विधायकों, पूर्व विधायकों और पूर्व एमएलसी को भी बुलाया गया था. लेकिन विपक्ष के ज्यादातर ऐसे नेताओं ने इससे दूरी बना रखी थी. इस मीटिंग के बाद विधानसभा में नेताओं के बीच हंसी मजाक का दौर चल रहा है और सदन के सेंट्रल हॉल और आपसी बातचीत में इसे आयोजित करने वाले विधायकों पर ताने भी मारे जा रहे हैं.

इस पार्टी का आयोजित करने वाले विधायकों की तरफ से या सफाई आ रही है कि इसे सिर्फ पारिवारिक कार्यक्रम के तौर पर ही देखा जाए. इसमें कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं है. लेकिन सियासत में हर बात के मतलब निकल जाते रहे है और इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं.

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