
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई. इसके बाद इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाने लगे है. दोनों की मुलाकात सोमवार शाम दिल्ली में मुलाकात हुई. यह मुलाकात करीब आधे घंटे चली. आधिकारिक तौर पर इस मुलाकात का मकसद 15 जून को लखनऊ में 60 हजार पुलिस भर्ती नियुक्ति पत्र का निमंत्रण देना था, लेकिन सियासी रूप से इस मुलाकात के मायने अलग हैं.
ऑल इज वेल है!
क्या दोनों नेताओं के बीच अब ऑल इज वेल है! यह चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि पार्लियामेंट चुनाव के दौरान ही यह खबर आने लगी थी कि अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की आपसी रिश्तों में खटास आ गई है और 2024 लोकसभा के यूपी के नतीजों ने तो इस संबंध को और भी रसातल में पहुंचा दिया था, खासकर चुनावों के दौरान होने वाली ठाकुरों की पंचायत ने बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाया था और रिश्तों में भी दरार आ गई थी. तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अमित शाह से अलग से कोई मुलाकात नहीं हुई थी, जबकि प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कई मुलाकात हो चुकी थी. इसे देखते हुए दोनों के रिश्तों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे.
इस मुलाकात को दोनों के बीच संबंध सामान्य होने के रूप में भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इस मीटिंग में दोनों के बीच उत्तर प्रदेश के ताजा सियासी हालात पर चर्चा हुई. सहयोगी दलों के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करने और उत्तर प्रदेश में होने वाले कई बदलावों को लेकर भी चर्चा होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
मंत्रिमंडल में बदलाव की भी चर्चा संभव-
राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद उत्तर प्रदेश को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने वाला है. साथ-साथ यूपी में मंत्रिमंडल फेरबदल भी प्रस्तावित है, ऐसे में गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुलाकात ने कई चर्चाओं को जन्म दे दिया है.
बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर कई मुख्यमंत्रियों के भी बदले जाने की भी चर्चा खूब तेज है और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के आसपास कई राज्यों के मुख्यमंत्री बदल जाएंगे, ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं. फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सबसे ताकतवर मुख्यमंत्री में एक हैं. ऐसे में इस मुलाकात को "ऑल इज़ वेल" की तरह ही देखा जा रहा है.
पंचायत चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा संभव-
माना जा रहा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष और मंत्रिमंडल विस्तार के विषय में भी दोनों की चर्चा हुई होगी. दिसंबर से फरवरी के बीच उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चनाव होंगे. यह साल 2027 के पहले जमीनी स्तर का आखिरी चुनाव होगा. सभी दल अलग चुनाव लड़ना चाहते हैं, ऐसे में सहयोगी दलों के साथ मिलकर कैसे चुनाव लड़ा जाए या फिर अकेले पंचायत चुनाव में पार्टी जाए, इस पर भी चर्चा संभवतः हुई है.
10 विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत और संगठन में भी योगी आदित्यनाथ की बड़ी भूमिका के बाद ये मुलाकात मुख्यमंत्री योगी के लिए भी "ऑल इस वेल" माना जा रहा है.
ये भी पढ़ें: