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UP Nikay Chunav Result 2023: हर सीट के लिए अलग रणनीति, CM Yogi का प्रचार... ऐसे बनी यूपी में BJP की ट्रिपल इंजन की सरकार

Nikay Chunav Parinam 2023: यूपी नगर निकाय चुनाव में भगवा लहराया है. इस चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है. बीजेपी सभी 17 नगर निगम में क्लीन स्वीप कर रही है. अब उत्तर प्रदेश में ट्रिपल इंजन की सरकार हो गई है.

यूपी नगर निगम चुनाव में बीजेपी क्लीन स्वीप कर रही है यूपी नगर निगम चुनाव में बीजेपी क्लीन स्वीप कर रही है

उत्तर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने नया इतिहास रच दिया है. ट्रिपल इंजन का नारा देकर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी ने 17 नगर निगम के मेयर पदों पर भगवा लहरा दिया है. इन नगर निगमों के पार्षद पदों पर भी बीजेपी ने भारी जीत हासिल करते हुए नगर निगम सदनों में पूर्ण बहुमत हासिल किया है. यूपी की 'लोकल सरकार' में इस जीत से जहां मिशन लोकसभा के लिए कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा, वहीं आगे की रणनीति को धार देने में भी पार्टी को सफलता मिलेगी.

2017 में 14 सीटों पर मिली थी जीत-
2017 के नगरीय निकाय चुनाव के समय यूपी में नगर निगम की 16 सीटे थीं. जिनमें से बीजेपी ने 14 हासिल की थी. मेरठ, अलीगढ़ पर बीएसपी ने कब्जा किया था. इस बार शाहजहांपुर नया नगर निगम बना था. बीजेपी की रणनीति पुरानी सीटों पर रणनीति को कायम रखते हुए शहाजहांपुर के लिए किसी भी तरह से जीत का फॉर्मूला निकालना था. पार्टी ने हमेशा की तरह माइक्रो मैनेजमेंट करते हुए योगी सरकार के मंत्रियों और पार्टी के पदाधिकारियों को अलग अलग नगर निगम और नगर पालिका परिषद की जिम्मेदारी सौंपी.

हर सीट के लिए बनाई अलग रणनीति-
शुरू से ही बीजेपी की रणनीति एक-एक सीट के जातीय समीकरण को देखते हुए अलग अलग तय हुई. पहले जीती 14 सीटों में व्यूह रचना की गयी. कहाँ, कौन विरोधी भारी पड़ सकता है, इसको देखते हुए बैठकों में ये तय किया गया कि किस तरह की रणनीति होगी. बीजेपी की एक रणनीति दूसरे दलों के प्रभावशाली नेताओं और खास तौर पर जिताऊ प्रत्याशियों को अपने पाले में करना भी था. शाहजहांपुर नया नगर निगम बना था. पार्टी के तीन-तीन मंत्रियों पर उस सीट को जितवाने की जिम्मेदारी थी. पार्टी ने समाजवादी पार्टी की घोषित प्रत्याशी और चार दशक से एसपी के साथ रहे पूर्व सांसद राममूर्ति वर्मा की बहू अर्चना वर्मा को ऐन वक्त पर पार्टी में शामिल करवाकर सबको चौंका दिया. इसी तरह नगर पालिका में भी जगह जगह दूसरी पार्टियों के नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाकर पार्टी ने जीत की रणनीति बनाई.

पसमांदा मुस्लिमों पर लगाया दांव-
बीजेपी ने इस बार मुस्लिम विशेषकर पसमांदा मुस्लिम पर भी दांव खेला. जगह जगह नगर पालिका और नगर पंचायत में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे. ये पार्टी की छवि और सर्वस्वीकार्यता को बताने में एक कदम साबित हुआ. साथ ही आने वाले समय में बीजेपी की रणनीति का भी इसने संकेत दिया. शहरों के चुनाव में कई जगह शहरी पढ़े लिखे मुस्लिम युवा भी बीजेपी की तरफ जाते दिखे. हालांकि वोट के लिहाज से अभी इसका आकलन होना बाकी है.

योगी का प्रचार, बीजेपी की जीत-
भाजपा ने शाहजहाँपुर में तो जीत हासिल की ही, अलीगढ़ और मेरठ सीट बीएसपी से छीन कर नगर निगम में क्लीन स्वीप कर दिया. पार्टी की रणनीति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव प्रचार का बड़ा रोल रहा. एक रणनीति के तहत इस चुनाव को भी योगी ने सीधे कानून व्यवस्था से जोड़ा. स्थानीय मुद्दों की जगह बीजेपी के प्रचार और यूपी सीएम योगी के भाषणों में बार-बार कानून व्यवस्था का जिक्र आया.

कानून व्यवस्था पर मांगा वोट-
योगी की प्रयागराज के सभा में चौपाई के माध्यम से इस संदेश को कहना कि जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसे फल मिलेगा, को भी इसी रणनीति से जोड़ कर देखा जा सकता है. अतीक अहमद व अशरफ की पुलिस कस्टडी में हुई हत्या के बाद पार्टी ने इस स्थिति को भी माफियाराज और अपराधियों खात्मे से जोड़ दिया. वैसे ये भी संयोग है कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक और सभी मंत्री कानून व्यवस्था के नाम पर वोट मांग रहे थे, तब मुख्य विपक्षी दल के नेता अखिलेश यादव ने इस चुनाव में बहुत देर से प्रचार शुरू किया.

ट्रिपल इंजन की सरकार-
वैसे तो यह माना जाता है कि यूपी के शहरी मतदाताओं पर बीजेपी की पकड़ पहले से ही मजबूत रही है, लेकिन हाल के दिनों में महंगाई, बेरोजगारी जैसे विपक्षी दलों के मुद्दों को बीच बीजेपी के रणनीतिकारों ने जिस तरह से यूपी में नगरीय निकाय चुनाव की चौसर सजाई, उसमें विपक्षी दल कांटे के मुकाबले तक में आते नजर नहीं आये. नगरीय निकाय के चुनाव को अगर 2024 की रणनीति व चुनौती की दृष्टि से देखें तो उत्तर प्रदेश में अब ट्रिपल इंजन की सरकार हो गयी है. केन्द्र, राज्य और निकायों में बीजेपी का कब्जा हो गया है. जाहिर है ऐसे में जनता की अपेक्षा भी तीन गुना अधिक बढ़ेंगी. हालांकि आज ही बीजेपी कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में पराजय का स्वाद चख चुकी है. ऐसे में बीजपी के सामने 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना नई चुनौती होगी.

उपचुनाव में भी बीजेपी की जीत-
फिलहाल नगर निकाय के साथ स्वार और छानबे उपचुनाव में भी बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है. यूपी में तुरुप का पता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हार्ड हिन्दुत्व का चेहरा है. ये कार्ड उन्हें चुनौतियों से कितना पार करायेगा, ये आने वाले समय में तय होगा. लेकिन इतना तय है कि अभी उत्तर प्रदेश में नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का जादू बरकरार है. आगे आने वाली चुनौतियों को इन्हीं दोनों के सहारे बीजेपी को पार पाना होगा.

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