
उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा प्रभाव रखने वाली मायावती की पार्टी बीएसपी में बड़ा बदलाव हुआ है. पूर्व सीएम मायावती ने एक बार फिर भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में बड़ी भूमिका सौंपी है. पूर्व सीएम ने जिस तरीके से अपने भतीजे आकाश आनंद को तीसरी बार वापस लाकर नंबर 2 की गद्दी सौंपी है, इसने यह साबित होता है कि आकाश ही मायावती की पसंद और मजबूरी दोनों हैं.
BSP में आकाश आनंद की बड़ी भूमिका-
आकाश आनंद को दोबारा से मायावती अनकहे तौर पर अपनी विरासत सौंपने जा रही है, उन्होंने कुछ महीने पहले ऐलान किया था कि अब उनकी सियासी विरासत किसी को नहीं नहीं मिलेगी और आकाश आनंद को उन्होंने बिल्कुल उससे अलग कर दिया था. लेकिन जिस तरीके से आकाश आनंद की एंट्री हुई है, जिस तरीके से उनको मुख्य नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया गया है, इससे यह साफ कर दिया है कि अब आकाश आनंद नंबर 2 हो चुके हैं यानी मायावती के बाद वही पार्टी की चेन ऑफ कमांड संभालेंगे.
चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए गए आकाश-
आकाश आनंद सीधे चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए जाएंगे. यह अंदाजा पार्टी के भीतर किसी को नहीं था, चर्चा थी कि उनको बिहार में प्रचार की जिम्मेदारी या देशभर में घूमकर प्रचार का जिम्मा दिया जा सकता है या संगठन के काम में लगाया जा सकता था. लेकिन मायावती ने न सिर्फ उन्हें नंबर 2 बना दिया, बल्कि बाकी तीनों नेशनल कोऑर्डिनेटर भी अब उन्हें रिपोर्ट भी करेंगे. रामजीलाल सुमन, राजाराम और रणधीर बेनीवाल इन सभी के ऊपर आकाश आनंद लाए गए हैं. माना जा रहा है पार्टी के भीतर एक पूरी Chain Of Command तय कर दी गई है.
पार्टी को थी जरूरत-
दरअसल मायावती को भी लगने लगा है कि साल 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वह अकेले पार्टी का बेड़ा नहीं पार लगा सकती, उनको पार्टी में एक और ऐसे चेहरे की जरूरत है, जिसकी प्रतिबद्धता पर कोई सवाल न हो. वो लोकप्रिय हो और जिसपर कैडर और पार्टी का भरोसा हो, यही नहीं, मायावती के अनुपस्थिति में जो पार्टी को लीड भी कर सके. ऐसे में सियासी तौर पर उनके ही हाथ से गढ़े गए आकाश से बेहतर विकल्प कोई नहीं था.
मायावती ने जब पार्टी से उन्हें निकाला था, जब अपने सियासी विरासत से बेदखल किया था, तब आकाश को बिल्कुल ज़मीन पर लाने में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी और यह बिल्कुल मायावती के स्वभाव के मुताबिक ही था. लेकिन कुछ ही महीने बाद जब तीसरी बार आकाश को लेकर आई हैं तो इस कॉन्फिडेंस के साथ लाई हैं कि अब वही आकाश पार्टी का खेवनहार भी होगा और साल 2027 में पार्टी का मुख्य चेहरा भी.
पिछली बार नेशनल कोऑर्डिनेटर के फीडबैक आकाश आनंद के खिलाफ थी, उनके फेवर में नहीं थी और यही वजह थी कि उनके ससुर के इनफ्लुएंस जैसी बातें उनके बारे में मायावती को बताई गई, उसको मानते हुए मायावती ने उन्हें हटाया था. लेकिन अब सिर्फ पहली बार इन तीनों कोऑर्डिनेटर को एक तरीके से आकाश आनंद को रिपोर्ट करना होगा.
पार्टी की डिमांड थे आकाश आनंद?
दरअसल मायावती को लगने लगा है कि जिस तरीके से उनकी पार्टी अब धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश से भी विलुप्तता की ओर अग्रसर है, कहीं ऐसा ना हो कि साल 2027 के बाद सब कुछ खत्म ही हो जाए और फिर पार्टी को संभालने वाला भी कोई ना रहे. ऐसे में मायावती ने बेशक आकाश आनंद को झटका दिया. लेकिन वापस उनपर ही भरोसा भी जताया.
इस बार आकाश आनंद को लाने के पहले काफी गहन विचार विमर्श मायावती के परिवार के भीतर और पार्टी के भीतर हुआ है. मायावती ने आकाश आनंद के लिए काम करने के तरीके और do and don'ts तय किए हैं यानी उन्होंने वह मर्यादा तय की है, जिसके भीतर आकाश आनंद को पार्टी का काम करना है. आकाश आनंद ने भी मुख्य नेशनल कोऑर्डिनेटर बनने के बाद मायावती का धन्यवाद और आभार जताया और उनके बताए हुए रास्ते और निर्देशन में काम करने की बात कही. यही नहीं, उन्होंने यह भी लिखा कि अब से दोबारा गलती नहीं होगी, हालांकि इस पोस्चरिंग माना जा रहा है. असल वजह मायावती के लिए आकाश आनंद अब मजबूरी है, क्योंकि पार्टी काडर की डिमांड, संगठन की डिमांड और समर्थकों की मांग भी आकाश आनंद ही थे और मायावती चाहती थी कि आकाश को इस बार अगर लाएं, तो ऐसे लाए जैसे भविष्य का चेहरा वही हों.
अब यह देखना होगा की क्या इस बार आकाश आनंद को सियासी बैटिंग के लिए खुली पिच मिलती है या नहीं.
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