vaccination in kashmir
vaccination in kashmir कोरोना महामारी की तीसरी लहर जारी है और बड़े शहरों में वैक्सीनेशन लगभग पूरा होने वाला है. हालांकि छोटे शहरों और दूरदराज के गांव में वैक्सीनेशन अब भी जारी है. यहां पर खास तौर पर बुजुर्गों का वैक्सीनेशन चल रहा है. वैक्सीनेशन के काम में वो हेल्थ वर्कर हम सब के हीरो है जो आज ना ही हाड़ कंपाने वाली ठंड की परवाह कर रहे हैं ना ही अपनी जान की परवाह कर रहे हैं. अगर उन्हें किसी चीज की फिक्र है तो वो बस अपने पेशे की है, अपने कर्तव्य की. कश्मीर के हेल्थ वर्कर मसरत फरीद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. फरीद जनवरी की सर्द सुबह में रोज अपने बैग में वैक्सीन रखते हैं और वैक्सीनेशन के शॉट देने के लिए घर-घर जाते हैं.
फरीद कहते हैं, 'हमें कोरोना महामारी से लड़ना है. हमें चलते रहना है.' फरीद और उनके सहयोगियों ने पिछले साल पथरीले और बर्फीले इलाकों में बसे गांवों में हजारों लोगों का वैक्सीनेशन किया. इनमें ज्यादातर गांवों के रास्ते ऊबड़-खाबड़ थे. फरीद कहते हैं कि , आज ना जाने कितने ग्रामीण वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे हैं. ऐसे में हमारे लिए ये रास्ते मुश्किल नहीं हैं. हमारे लिए मुश्किल है लोगों का भरोसा जीतना. हमारे लिए इन तमाम लोगों का भरोसा जीत कर उन्हें वैक्सीन लगाना है और ये जंग हमारे लिए हिमालय की सर्दी का मुकाबला करने से कहीं ज्यादा मुश्किल है.
बर्फ से ढंके एक पहाड़ी गांव में टीकाकरण अभियान के दौरान फरीद ने अपने अनुभव के बारे में कहा, 'वैक्सीन को लेकर युवा लड़कियों में झिझक है. वैक्सीन के बारे में इन लड़कियों को गलत जानकारी दी गई है. वो दबे लफ्जों में ये कहती हैं कि वैक्सीन लगवाने से शादी के बाद उनकी प्रेग्नेंसी पर गलत असर पड़ेगा.' फरीद कहते हैं कि हम सब को ये समझने की जरूरत है कि हमारी जिम्मेदारी गांव के आखिरी छोर तक सिर्फ वैक्सीन पहुंचाना नहीं है, हमें लोगों को जागरुक भी करना है.
स्वास्थ्य विभाग के एक अफसर जफर अली ने कहा कि इस साल अब तक की सबसे बड़ी चुनौती मौसम है. कश्मीर में पड़ने वाली सर्द, मौसम की वजह से दुश्वारियां पेश आ रही हैं. जफर अली ने कहा कि पिछले साल टीकाकरण अभियान के दौरान स्थानीय लोगों को इस बात का डर था कि शॉट्स से उन्हें नपुंसकता हो सकती है, वैक्सीनेशन से लोगों की जानें भी जा सकती है.