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एटा के अलीगंज में 1947 से बिना बिजली वाला गांव, अंधेरे में 300 परिवारों की जिंदगी

एटा गांव के लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद भी हालत में कोई सुधार नहीं है. चुनाव आते हैं और जाते हैं लेकिन, इस गांव के लोगों के हालात नहीं बदलते.

एटा गांव में मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ने को मजबूर बच्चे एटा गांव में मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ने को मजबूर बच्चे
हाइलाइट्स
  • गांव के लोगों को 1947 से नहीं मिली बिजली

  • अंधेरे में डूबा हुआ है उत्तर प्रदेश का एटा गांव

देश इस बार आजादी का अमृतसव मना रहा है, लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश के अलीगंज क्षेत्र से थोड़ी ही दूर पर नगला तुला गांव के लोग बिजली नाम की सुविधा का अमृत पाने से वंचित है. यह गांव इसी तरह पिछले 75 सालों से अंधेरे में डूबा हुआ है. आजादी के बाद से यहां पर अब तक बिजली नहीं पहुंची है. 

गांव के लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद भी हालत में कोई सुधार नहीं है. चुनाव आते हैं और जाते हैं लेकिन, इस गांव के लोगों के हालात नहीं बदलते. इस गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव में नेता बड़े-बड़े वादे करके चले जाते हैं और फिर उनके वादे इसी तरह अंधेरे में कहीं बत्ती की तरह गुल हो जाते हैं. 

मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ने को मजबूर बच्चे

लेकिन इस अंधेरे में रोशनी की उम्मीद जगाने वाली एक नई तस्वीर सामने आती है. वह तस्वीर है इन छोटे-छोटे बच्चों की जो मोमबत्ती की लौ में अपनी जिंदगी को रोशनी से भर देने के सपने देख रहे हैं. गांव के बच्चों में गांव की तस्वीर बदलने का एक जज्बा है. बिजली नहीं होने के बाद भी यहां पर बच्चे रात भर पढ़ाई करते हैं और स्कूल भी जाते हैं. कोई ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनना चाहता है तो कोई शिक्षक बनने का सपना देखता है. 

बच्चे बताते हैं कि मोमबत्ती की लौ में उन्हें कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता हैय कई बार मोमबत्ती की लाइट में पढ़ते पढ़ते कभी उनकी किताबें जल जाती हैं तो कभी कपड़े जल जाते हैं. इतना ही नहीं लौ से निकलने वाले दुआ भी उनकी आंखों को तकलीफ पहुंचाता है. इतनी तकलीफ के बावजूद बच्चों का कहना है कि पढ़ लिख कर गांव वालों की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं.

यह गांव उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीट अलीगंज के अंतर्गत आता है. यहां से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सत्यपाल सिंह राठौड़ चुनाव लड़ रहे हैं. गांव वालों ने बताया कि कुछ दिन पहले सत्यपाल सिंह राठौड़ चुनाव के लिए वोट मांगने इसी गांव में आए थे. गांव वालों ने अपनी समस्या उनके सामने रखी. उन्होंने वादा किया कि वे इस गांव की तस्वीर बदलेंगे और इसे रोशन करेंगे. 

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