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Bihar Chunav 2025: राहुल-तेजस्वी-अखिलेश की तिकड़ी क्या गुल खिलाएगी बिहार चुनाव में, क्या बदलेगी MY समीकरण की तस्वीर?

Voter Adhikar Yatra: बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा जारी है. सपा नेता अखिलेश यादव भी 28 अगस्त को इस यात्रा से जुड़ रहे हैं. अब देखना है कि यह तिकड़ी इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलाएगी और अखिलेश की एंट्री से MY समीकरण की तस्वीर कितनी बदलेगी.

Rahul Gandhi, Tejashwi Yadav and Akhilesh Yadav (Photo: PTI) Rahul Gandhi, Tejashwi Yadav and Akhilesh Yadav (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा जारी

  • सपा नेता अखिलेश यादव 28 अगस्त को जुड़ेंगे इस यात्रा से

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. अभी से प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ. सभी दल अपने-अपने वोट बैंक को गोलबंद कर रहे हैं. मुख्य मुकाबाल सत्ता पर काबिज एनडीए गठबंधन और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है. MY समीकरण यानी मुस्लिम और यादव पर सभी दलों का ध्यान है. इसी समीकरण पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल जीत दर्ज करती आ रही है. हालांकि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने इसमें सेंध लगा दिया है.

इस बार के चुनाव में किसी भी तरह से महागठबंधन जीत दर्ज कर सत्ता पर काबिज होना चाह रही है. बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा जारी है. सपा नेता अखिलेश यादव भी 28 अगस्त 2025 को इस यात्रा से जुड़ रहे हैं. अब देखना है कि राहुल-तेजस्वी-अखिलेश की यह तिकड़ी विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलाएगी, एनडीए सरकार के लिए कैसे चुनौती खड़ी कर पाएगी और अखिलेश की एंट्री से MY समीकरण की तस्वीर कितनी बदलेगी? 

MY समीकरण को मजबूत करने के लिए पीडीए मॉडल 
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव की तिकड़ी MY समीकरण को और मजबूत करने की तैयारी में है. आपको मालूम हो कि लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) को PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मॉडल अपनाने से बड़ी सफलता मिली थी. सपा 37 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी. अब बिहार में भी एमवाई समीकरण को मजबूत करने के लिए अखिलेश यादव का पीडीए मॉडल तैयार है. अब देखना है कि बिहार विधानसभा चुनाव में PDA का 'बूस्टर डोज'लग पाता है या नहीं और अखिलेश यादव की एंट्री से कितनी MY समीकरण की तस्वीर बदलेगी? राजनीति के जानकारों के मुताबिक यह गठजोड़ सीमांचल समेत पूरे बिहार में अल्पसंख्यक और पिछड़े वोटों को एकजुट करने का प्रयोग है. 

...तो मिल सकता है एमवाई समीकरण को नया जोश 
तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम कटने का मुद्दा उठाया है. तेजस्वी का कहना है कि हमारे मतदाताओं के अधिकार छीने जा रहे हैं. उधर, राहुल गांधी ने SIR का विरोध करते हुए इलेक्शन कमीशन को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए काम करने वाला बताया. राजनीति के जानकारों का मानना है कि वोटर अधिकार यात्रा से जैसे विपक्षी दलों के नेता जुड़ रहे हैं, यह इंडिया गठबंधन की एकजुटता का संकेत है. अब सावल उठ रहा है कि महागठबंधन की यह यात्रा रणनीति वोटों में तब्दील होगी या नहीं लेकिन एक बात तय है कि पीडीए फार्मूले से एमवाई समीकरण को नया जोश मिल सकता है.

सीमांचल की 24 सीटों पर मुस्लिम वोटर हैं निर्णायक 
बिहार की राजनीति में जाति और धर्म का कार्ड चलता है. राजनेता चुनाव में इसका खूब इस्तेमाल करते हैं. हर चुनाव में मुस्लिम वोटर मुख्य रोल निभाते हैं, इसलिए मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे किए जाते हैं. बिहार में 17.7% मुस्लिम आबादी है. सीमांचल की 24 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक माने जाते हैं. सीमांचल में किशनगंज, कटिहार,अररिया और पूर्णिया जिले आते हैं. इन चारों जिलों में 45 फीसदी से अधिक की आबादी मुस्लिम है. बिहार के इतने बड़े वोट बैंक पर हर राजनीतिक दल की नजर है. हर कोई इसे लुभाने पर लगा हुआ है. हालांकि पिछले चुनावों को देखें तो मुस्लिम वोटर राजद और कांग्रेस की ओर ही झुकते हैं. 

ये दोनों दल सेक्युलर छवि और बीजेपी विरोध के आधार पर वोट मांगते हैं. हालांकि हाल के कुछ चुनावों को देखें तो नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने राजद और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाया है. जदयू ने पसमांदा और कुलहैया जैसे समुदायों को अपनी ओर आकर्षित किया है. उधर, बीजेपी भी वक्फ बिल और पसमांदा कल्याण योजनाओं के जरिए इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है. उधर, विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम वोटों के लिए बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं. सीमांचल में बीते चुनाव में उनकी पार्टी को 14 प्रतिशत से अधिक वोट और 5 सीटों पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव 2025 में इस बात की परीक्षा होगी कि क्या मुस्लिम वोटर राजद-कांग्रेस के साथ रहेंगे या नीतीश और बीजेपी का पसमांदा कार्ड कामयाब होगा. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी सेक्युलर एजेंडा से मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने की कोशिश में है, तो उधर, बीजेपी का विकास और हिंदुत्व का जवाबी दांव सियासत की लड़ाई को दिलचस्प बना रहा है.