वसीम सादिक नरगल/LinkedIn
वसीम सादिक नरगल/LinkedIn जम्मू कश्मीर लद्दाख हाईकोर्ट में इस हफ्ते दो रिकॉर्ड बनने वाले हैं. अव्वल तो जम्मू संभाग से हाईकोर्ट में पहले मुस्लिम न्यायाधीश की नियुक्ति और दूसरा ये कि इस हाईकोर्ट में जजों की कुल संख्या में एक की कमी ही रह जाएगी.
सादिक नरगल को हाईकोर्ट का जज बनने में लगे 5 साल
रिकॉर्ड देखें तो जम्मू संभाग से विधि और न्यायशास्त्र के जानकार मुस्लिम वकील वसीम सादिक नरगल को हाईकोर्ट का जज बनवाने में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को पांच साल लग गए. तब के जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट कोलेजियम ने 24 अगस्त 2017 को हुई मीटिंग में पांच नाम हाईकोर्ट जज नियुक्त करने के लिए भेजे थे. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने इसके आठ महीने बाद 6 अप्रैल 2018 को हुई मीटिंग में सभी नामों पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी. केंद्र सरकार ने बाकी नाम मंजूर कर लिए लेकिन नरगल का नाम कई महीनों तक दबाए रखने के बाद कोलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए भेज दिया.
सुप्रीम कोर्ट में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार और न्यायपालिका के बीच प्रस्तावित प्रक्रिया के दस्तावेज में भी ये तो दर्ज है कि जजों की नियुक्ति के लिए सरकार कोलेजियम की सिफारिशों मानेगी लेकिन कितनी समय सीमा तक वो अपनी मंजूरी देगी या टाले रखेगी इसका कोई जिक्र नहीं है. यही वो ग्रे एरिया है जिससे ये गफलत होती है.
केंद्र ने तीन बार नामंजूर की कॉलेजियम की सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के मुताबिक तब सरकार ने नरगल का नाम रोकने और पुनर्विचार की कोई वजह भी नहीं बताई थी. अगले साल 2019 की जनवरी में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सरकार को नरवल का नाम लंबित रखने के पीछे की वजह भी पूछ ली. कोलेजियम ने पूछा कि सरकार सटीक कारण बताए कि कसर कहां है? इसके साथ ही कोलेजियम ने सरकार का जवाब आने तक नरगल के नाम पर विचार टाल दिया. सरकार का कोई जवाब नहीं आया तो जुलाई 2019 में तब के चीफ जस्टिस और कोलेजियम के मुखिया जस्टिस रंजन गोगोई ने सरकार के विधि मंत्रालय को फिर चिट्ठी लिखी जिसमें कोलेजियम की ओर से ताजा दस नामों के साथ वसीम सादिक नरगल का भी जिक्र किया.
इसके बाद फरवरी 2020 को हुई कोलेजियम की मीटिंग में पुनर्विचार के साथ नरगल का नाम सरकार को फिर भेजा गया. इस बार भी सरकार ने तीसरी बार बिना कोई वाजिब कारण बताए फिर से विचार करने की बात कही. फिर पिछले साल यानी 2021 के फरवरी में हुई सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में शामिल तीन शीर्षस्थ जजों की मीटिंग में नरगल के नाम पर फिर मुहर लगाकर भेजी गई. करीब सवा साल सिफारिशी फाइल पर कुंडली मारकर बैठे रहने के बाद आखिरकार सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है.
अब नरगल और जम्मू कश्मीर लद्दाख हाईकोर्ट को इंतजार है उनकी नियुक्ति की अधिसूचना और राष्ट्रपति की ओर से जारी नियुक्ति के परवाने यानी वारंट का!