Happy Birthday Rajendra Singh
Happy Birthday Rajendra Singh वाटरमैन ऑफ इंडिया कहे जाने वाले राजेंद्र सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक छोटे से गांव डौला में 6 अगस्त 1959 को हुआ था. आइए आज जानते हैं राजेंद्र सिंह के 'जलपुरुष' बनने की कहानी.
जाना चाहते थे पॉलिटिक्स में
राजेंद्र की शुरुआती पढ़ाई गांव से ही हुई. यहीं से हाईस्कूल करने के बाद उन्होंने भारतीय ऋषिकुल आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्वेद की डिग्री ली. इसके बाद हिंदी से एमए करने के दौरान राजेंद्र का पॉलिटिक्स की तरफ रुझान बढ़ा. कॉलेज में छात्र युवा संघर्ष वाहिनी से जुड़े और इसी बीच वे समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के संपर्क में आए. जयप्रकाश नारायण से वे इतने प्रभावित हुए कि राजनीति को लेकर उनके अंदर अलग ही जुनून दिखने लगा. फिर 1980 में उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई और 'नेशनल सर्विस वालेंटियर फॉर एजुकेशन' जयपुर में जॉब करने चले गए. गांव छूटा तो उनका राजनीति में जाने का जुनून भी खत्म हो गया.
बुजुर्ग बोले- मदद ही करनी है तो गांव में पानी लाओ
साल 1975 की बात है राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में अग्निकांड पीड़ितों की सेवा के लिए उन्होंने 'तरुण भारत संघ' की स्थापना की. उस दौरान अलवर के एक गांव में पहुंचे, जहां एक बुजुर्ग ने उनसे कहा कि यदि गांव का इतना ही विकास करना है तो बातें छोड़ गेंती और फावड़ा पकड़ो. गांव वालों की मदद ही करनी है तो गांव में पानी लाओ. राजेंद्र सिंह ने यह चुनौती स्वीकार कर ली और अपने दोस्तों के साथ फावड़ा पकड़ इस काम में जुड़ गए. उन्होंने एक पहल की तो उनके पीछे हजारों की संख्या में युवाओं का बल मिलने लगा.
नौकरी छोड़ जल को बचाने मैदान में उतरे
राजेंद्र सिंह की शादी को डेढ़ साल ही हुए थे कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. उन्होंने पानी की समस्या को हल करने का बीड़ा उठाया. राजेंद्र सिंह ने जल नीति में सुधार की मांग, गंगा को निर्मल कर गंगत्व बचाने, गंगा व श्वेत पत्र जारी करने, जल साक्षरता और जंगल बचाओ-जीवन बचाओ जैसे अभियान चलाया. उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि राजस्थान में 11800 जल संरचनाएं बनवाई गईं. इसके अलावा उन्होंने देशभर में अरवरी, रुपारेल, सरसा, भगानी, महेश्वरा, साबी, तबिरा, सैरनी, जहाजवाली, अग्रणी, महाकाली व इचनहल्ला समेत 12 नदियों को पुनर्जीवित किया. इसके साथ ही उन्होंने 60 देशों में जल संरक्षण के लिए यात्रा भी की.
हजारों गांवों की बदली तस्वीर
राजेंद्र सिंह ने प्राचीन भारतीय तकनीक से गांवों की तस्वीर को बदल दिया. उन्होंने बारिश के पानी को रोकने के लिए छोटे-छोटे तालाब बनाए, जिससे गांवों में होने वाली पानी की कमी को दूर किया जा सका. उनके इस काम की तारीफ पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन ने भी की थी. इसके बाद उन्हें भारत का जलपुरुष कहा जाने लगा. उन्होंने भागीरथी पर बनने वाले लोहारीनाग पाला हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इन पुरस्कारों से हुए सम्मानित
राजेंद्र सिंह को उनके काम के लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया. साल 2001 में उन्हें वाटर-हार्वेस्टिंग और जल प्रबंधन में समुदाय-आधारित प्रयासों के लिए रैमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2005 में ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार दिया गया. 2008 में द गार्जियन ने उन्हें 50 लोगों की सूची में शामिल किया था, जो पृथ्वी को बचा सकते हैं. इसके साथ ही 2015 में स्टॉकहोम वॉटर प्राइज, 2018 में हाउस ऑफ कॉमन्स, यूनाइटेड किंगडम में अहिंसा सम्मान और साल 2019 में अमेरिका सियटल से अर्थ रिपेयर और नई दिल्ली में पृथ्वी भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया.