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क्या है अनुच्छेद 142, जिसके तहत SC ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी को किया रिहा

अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की तरफ से पेरारिवलन को क्षमा करने में अत्यधिक देरी का भी हवाला दिया. 2018 में तमिलनाडु सरकार ने तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सभी 7 दोषियों को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत रिहा करने की सिफारिश की थी.

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के 7 दोषियों में से एक दोषी ए जी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पेरारिवलन की रिहाई के आदेश दिए हैं. 1991 में जब राजीव गांधी की हत्या हुई थी, उस वक्त पेरारिवलन की उम्र 19 वर्ष थी, और वो 31 साल से जेल में बंद है. 1991 में उसे बैटरियां खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दरअसल इन बैटरियों का इस्तेमाल उस बेल्ट बम को ट्रिगर करने के लिए किया गया था जिसने पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या कर दी गई थी.    तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये अनुच्छेद 142 है क्या.

क्या है संविधान का अनुच्छेद 142?
संविधान के अनुच्छेद 142 में कहा गया है कि, "सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए ऐसा हुक्मनामा पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो." सुप्रीम कोर्ट "पूर्ण न्याय" करने के लिए किसी भी मामले में अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अनुच्छेद 142 का उपयोग करता है.

इस अनुच्छेद का इस्तेमाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की तरफ से पेरारिवलन को क्षमा करने में अत्यधिक देरी का भी हवाला दिया. 2018 में तमिलनाडु सरकार ने तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से सभी 7 दोषियों को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत रिहा करने की सिफारिश की थी. 

क्या है अनुच्छेद 161?
अनुच्छेद 161 के मुताबिक, “किसी राज्य के राज्यपाल को किसी भी मामले से संबंधित किसी भी कानून के खिलाफ किसी भी अपराध के लिए दोषी व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने, राहत देने या सजा में छूट देने या सजा को निलंबित करने या सजा को कम करने की शक्ति होगी.”

इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने इस्तेमाल किया अनुच्छेद 142
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 1989 के यूनियन कार्बाइड मामले और 2019 अयोध्या राम मंदिर के फैसले कई मामलों में अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया है. भोपाल गैस त्रासदी मामले में शीर्ष अदालत ने अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन को पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर मुआवजा देने का आदेश दिया था. उसके बाद राम फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुच्छेद का इस्तेमाल किया था. सुप्रीम कोर्ट ने भूमि विभाजन से इंकार कर दिया था. इसके बजाय 2.77 एकड़ का विवादित क्षेत्र राम मंदिर के लिए सौंप दिया था. वहीं मुसलमानों के साथ अन्याय को भांपते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के दायरे में एक वैकल्पिक स्थल में 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया.