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Enforcement Directorate: क्या है ED और कैसे करती है काम, इस जांच एजेंसी के रडार पर कई CM से लेकर पूर्व मंत्री तक, हेमंत सोरेन हैं कस्टडी में, Arvind Kejriwa रिमांड पर 

ED या एंफोर्समेंट डायरेक्टरेट बिना वारंट के भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है. यह जांच एजेंसी यदि किसी को समन करती है तो ये बताने की जरूरत नहीं है कि उसे क्यों बुलाया जा रहा है. ईडी के सामने दिया गया बयान कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य है. 

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हाइलाइट्स
  • इन्फोर्समेंट यूनिट 1 मई 1956 को  की गई थी गठित 

  • मोदी सरकार ने पीएमएलए में संशोधन करके ईडी की ताकत में कर दिया और इजाफा 

ईडी (ED) का नाम आपने तो सुना ही होगा. जी हां, जिसने अभी हाल ही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है. इससे पहले झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था. सोरेन जहां ईडी की कस्टडी में हैं, वहीं केजरीवाल 28 मार्च 2024 तक ईडी की रिमांड पर हैं.

हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि केजरीवाल अब भी दिल्ली के सीएम बने हुए हैं. ईडी की रेड की खबरें आए दिन कहीं न कहीं से सामने आती रहती हैं.ईडी के रडार पर कई सीएम से लेकर पूर्व मंत्री तक हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है ईडी और यह कैसे काम करती है?

क्या है ईडी
आजादी के बाद 1947 में फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (FERA) बना था. इसी के तहत 1 मई 1956 को प्रवर्तन इकाई (इन्फोर्समेंट यूनिट) बनी थी. साल 1957 में इसका नाम बदलकर डायरेक्टोरेट ऑफ एनफोर्समेंट या एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ( Enforcement Directorate) रखा गया. इसे ही अब ईडी कहते हैं. ईडी का हेड आफिस नई दिल्ली में है. इसके अलावा मुंबई, कोलकाता,चेन्नई और चंडीगढ़ में भी इसके दफ्तर हैं. ईडी या प्रवर्तन निदेशालय वैधानिक निकाय नहीं है, यह वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली एक सरकारी एजेंसी है.

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इस जांच एजेंसी के मुख्य काम
ईडी या एंफोर्समेंट डायरेक्टरेट आर्थिक अपराध और विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन की जांच के लिए बनाई गई है. ईडी का मुख्य काम मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले, जिसमें पैसों की हेराफेरी कर कमाई गई संपत्ति की जांच करना और उसे जब्त करना है. विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन रोकना है. भगौड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना, जिसमें विदेश भाग चुके अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करना शामिल है. प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के तहत ईडी कार्रवाई करती है.

यूपीए सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए Prevention of Money Laundering Act (PMLA) साल 2005 से पूरे देश में लागू किया था. PMLA जब बना तो सरकार ने तय किया कि इसे एनफोर्स ईडी करेगी. साल 2018 जब मोदी सरकार ने देखा कि आर्थिक अपराधी काफी संख्या में देश से बाहर भाग रहे हैं तो फ्यूजिटिव ऑफेंडर एक्ट लाया गया, इसे भी ईडी के तहत रखा गया. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 (FEMA), धन सोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA), भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 (FEOA) के तहत ईडी कार्रवाई करती है. FEMA के तहत ईडी फॉरेन एक्सचेंज नियमों के उल्लंघन की जांच करता है. PMLA को मनीलॉन्ड्रिंग को रोकने या मामले में शामिल अवैध संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया. FEOA को आर्थिक अपराधियों को भारत से भागने से रोकने के लिए बनाया गया है.

मोदी सरकार ने बढ़ा दी और ताकत 
1. मोदी सरकार ने 2019 में पीएमएलए में संशोधन करके ईडी की ताकत में और इजाफा कर दिया. 
2. केंद्र सरकार ने पीएमएलए की धारा 17 (1) और 18 में संशोधन किया. इसने ईडी को कानून के दायरे में रहकर किसी के घर पर भी छापेमारी, सर्च ऑपरेशन और गिरफ्तारी का अधिकार दे दिया. 
3. पीएमएलए में एक नई धारा 45 जोड़ दी गई. इसके तहत ईडी बिना वारंट के भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है. 
4. ईडी यदि किसी को समन करती है तो ये बताने की जरूरत नहीं है कि उसे क्यों बुलाया जा रहा है. 
5. कोई संपत्ति गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए पैसों से बनाई गई है तो उस पर भी ईडी कार्रवाई कर सकती है.
6. ईडी के सामने दिया गया बयान कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य है. 
7. पुलिस या दूसरी जांच एजेंसी यदि एफआईआर दर्ज करती है तो आरोपी के पास ECIR यानी रिपोर्ट की कॉपी मांगने का अधिकार होता है. लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी के पास कॉपी देने का प्रावधान नहीं है.

सोनिया गांधी से लेकर तेजस्वी यादव तक निशाने पर  
केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के रडार पर कई मौजूदा सीएम से लेकर पूर्व सीएम और मंत्री हैं. ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है. इससे पहले झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था.बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी ईडी की रडार पर हैं. उनसे लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में ईडी पूछताछ भी कर चुकी है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी ईडी के घेरे में हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी महादेव बैटिंग ऐप मामले में फंसे हुए हैं. ईडी के निशाने पर आने वाले विपक्षी नेताओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, लालू प्रसाद यादव और शरद पवार जैसे कई दिग्गज नेता रहे हैं.

ये भी कर रहे जांच का समाना
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नेबाम टुकी, मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी, गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वघेला, तेलंगाना के सीएम रेवंथ रेड्डी, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ईडी जांच का सामना कर रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय गृह/वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री पवन बंसल को भी ईडी जांच का सामना करना पड़ा है. महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख, ईडी के मामले में जेल जा चुके हैं. मनीष सिसोदिया, ईडी के केस में जेल में हैं. महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री नवाब मलिक, ईडी केस में जेल जा चुके हैं. तेलंगाना के सीएम की बेटी के. कविता, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शरद पवार के पोते रोहित, पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी, शिवसेना के सांसद संजय राउत, टीएमसी सांसद अभिषेक, आरजेडी के एमएलसी सुनील सिंह, सांसद अशफाक करीम, फैयाज अहमद और पूर्व एमएलसी सुबोध राय भी जांच एजेंसी की रडार पर रहे हैं.