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एक कमांडर, तीन सेनाएं! भारत सरकार ने किया नया नियम लागू, जानें इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन एक्ट से क्या-क्या बदल जाएगा?

भारत में पहली बार त्रि-सेवा (ट्राई-सर्विस) कमांड की शुरुआत 2001 में अंडमान और निकोबार कमांड के साथ हुई थी. यह भारत का पहला ऐसा कमांड था, जहां तीनों सेनाओं के जवान एक साथ काम करते हैं. लेकिन उस वक्त कोई ऐसा कानून नहीं था, जो कमांडरों को तीनों सेनाओं के जवानों पर एकसमान अनुशासन लागू करने का अधिकार दे.

Operation Sindoor Operation Sindoor

क्या आपने कभी सोचा कि भारत की सेना, नौसेना और वायुसेना एक ही कमांडर के नीचे एकजुट होकर लड़ेंगी? जी हां, यह सपना अब हकीकत बन चुका है! 27 मई 2025 से लागू हुए इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल एंड डिसिप्लिन) एक्ट, 2023 के नए नियमों ने भारतीय सशस्त्र बलों में एक ऐतिहासिक बदलाव की नींव रख दी है.

यह नियम तीनों सेनाओं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना को एक छतरी के नीचे लाकर "जॉइंटनेस" यानी एकजुटता को बढ़ावा देगा. अब एक कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड के पास तीनों सेनाओं के जवानों पर अनुशासन और प्रशासन का पूरा अधिकार होगा. लेकिन यह नियम क्या है? यह कब और कैसे लागू हुआ? 

क्या है इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन एक्ट, 2023?
यह एक्ट भारत की तीनों सेनाओं को एकजुट करने का एक क्रांतिकारी कदम है. इसके तहत इंटर-सर्विसेज ऑर्गनाइजेशंस (आईएसओ) जैसे अंडमान और निकोबार कमांड, डिफेंस स्पेस एजेंसी और नेशनल डिफेंस एकेडमी को और मजबूत किया गया है. इस एक्ट के जरिए कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को तीनों सेनाओं के जवानों पर कमांड, कंट्रोल और अनुशासन लागू करने का अधिकार दिया गया है.

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यानी, अगर कोई जवान थलसेना से है और नौसेना के कमांडर के अधीन काम कर रहा है, तो वह कमांडर उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है, बिना उसे उसकी मूल सेना में वापस भेजे.

यह एक्ट 15 अगस्त 2023 को संसद के मॉनसून सत्र में पास हुआ और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 10 मई 2024 से लागू हुआ. लेकिन 27 मई 2025 से इसके तहत नए नियमों को गजट नोटिफिकेशन के जरिए लागू किया गया, जिससे यह पूरी तरह ऑपरेशनल हो गया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, "ये नियम आईएसओ के प्रभावी कमांड, कंट्रोल और कुशल कामकाज को बढ़ावा देंगे, जिससे सशस्त्र बलों में एकजुटता मजबूत होगी."

क्यों जरूरी था यह नियम?
पहले, तीनों सेनाएं- थलसेना (आर्मी एक्ट 1950), नौसेना (नेवी एक्ट 1957) और वायुसेना (एयर फोर्स एक्ट 1950) अलग-अलग कानूनों के तहत काम करती थीं. अगर किसी जवान पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी होती थी, तो उसे उसकी मूल सेना में वापस भेजना पड़ता था, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती थी. कई बार एक ही मामले में अलग-अलग सेनाओं के अलग-अलग नियमों के तहत कई कार्यवाहियां करनी पड़ती थीं. यह न सिर्फ जटिल था, बल्कि सैन्य संचालन में देरी का कारण भी बनता था.

नए नियमों ने इस समस्या को खत्म कर दिया है. अब आईएसओ के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को सभी जवानों पर एकसमान अनुशासन लागू करने का अधिकार है. यह नियम बिना तीनों सेनाओं के मूल सेवा नियमों को बदले लागू किया गया है, जिससे हर सेना की अपनी खासियत बरकरार रहेगी.

क्या है इसका मकसद?
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह एक्ट और इसके नियम सैन्य सुधारों का हिस्सा हैं, जो 2019 में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के बाद शुरू हुए. इसका मुख्य लक्ष्य है

  • एकजुटता बढ़ाना: तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और संयुक्त ऑपरेशंस को बढ़ावा देना.
  • तेजी से कार्रवाई: अनुशासनात्मक मामलों को जल्दी निपटाना, ताकि समय और संसाधनों की बचत हो.
  • थिएटर कमांड्स की नींव: भविष्य में थिएटर कमांड्स की स्थापना, जहां एक कमांडर तीनों सेनाओं को एक साथ लीड करेगा.
  • आधुनिक युद्ध की जरूरत: साइबर वॉरफेयर, हाइब्रिड थ्रेट्स और टेक्नोलॉजी-बेस्ड युद्ध के दौर में एकीकृत कमांड जरूरी है.

पहले कब हुआ था ऐसा?
भारत में पहली बार त्रि-सेवा (ट्राई-सर्विस) कमांड की शुरुआत 2001 में अंडमान और निकोबार कमांड के साथ हुई थी. यह भारत का पहला ऐसा कमांड था, जहां तीनों सेनाओं के जवान एक साथ काम करते हैं. लेकिन उस वक्त कोई ऐसा कानून नहीं था, जो कमांडरों को तीनों सेनाओं के जवानों पर एकसमान अनुशासन लागू करने का अधिकार दे. नतीजतन, अनुशासनात्मक कार्रवाइयों में देरी और मुश्किलें आती थीं. 2023 में इस एक्ट के आने से पहले, कमांडरों को दूसरे सर्विस के जवानों पर कार्रवाई के लिए उनके मूल सर्विस में वापस भेजना पड़ता था. यह पहली बार है कि भारत ने इतने बड़े पैमाने पर तीनों सेनाओं के लिए एकीकृत कमांड और अनुशासन का ढांचा बनाया है.