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Explainer: जानिए क्या है इंडिया का Necklace of diamond प्लान, जिसके जरिए हिंद महासागर में चीन को टक्कर देगा भारत

Diamond of Necklace प्लान चीन की String of Pearls Strategy के प्रति भारत की प्रतिक्रिया है, जिसमें हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्रों में अपने मिलिट्री नेटवर्क और प्रभाव का विस्तार करना शामिल है.

India's Necklace of Diamond Plan India's Necklace of Diamond Plan
हाइलाइट्स
  • अलग-अलग देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी

  • भारत ने शुरू की एक्ट ईस्ट पॉलिसी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी ग्रुप इंडोनेशिया से एक बिलियन डॉलर की इंवेस्टमेंट के साथ सबांग पोर्ट के डेवलपमेंट को लेकर बातचीत कर रहा है. आपको बता दें कि यह पोर्ट भारत की Necklace of Diamond प्लान के अंतर्गत आता है. अब सवाल है कि आखिर क्या है भारत का नेकलेस ऑफ डायमंड प्लान. 

Necklace of Diamond स्ट्रेटजी खासतौर पर चीन की Pearls of String और New Silk Route रणनीति का जवाब है. इस प्लान से भारत दक्षिण चीन सागर, हिंद महासागर और आसियान देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके विवादास्पद क्षेत्रीय, राजनयिक या वाणिज्यिक मुद्दों पर मुकाबला करेगा. 

क्या है नेकलेस ऑफ डायमंड्स प्लान
आपको शायद पता न हो लेकिन इस फ्रेज का जिक्र पहली बार भारत के पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह ने अगस्त 2011 में 'भारत की क्षेत्रीय रणनीतिक प्राथमिकताओं' पर एक थिंक टैंक में बोलते हुए किया था. उनका कहना था कि भारत वह सब कुछ कर रहा है जो उसे अपने हितों की रक्षा के लिए करना चाहिए. चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स रणनीति को काउंटर करने के लिए, भारत की अपनी रणनीति है नेकलेस ऑफ डायमंड. जिस तरह चीनी पोर्ट फैसिलिटीज का निर्माण कर रहे हैं, वैसे ही भारत महासागरीय क्षेत्र के सभी शक्तिशाली देशों के साथ नेवल कॉपरेशन कर रहा है. 

भारत की इन्हीं रणनीति और प्लान्स को मिलाकर Necklace of Diamond Plan कहा जाता है. अक्सर रणनीतिकार इस फ्रेज का बोलने में इस्तेमाल करते हैं लेकिन भारत सरकार के आधिकारिक दस्तावेजों में इसका कोई उल्लेख नहीं है. इस रणनीति में मिलिट्री, सिक्योरिटी और इकोनॉमिक दृष्टिकोण से दूसरे देशों के साथ गठबंधन करके एक प्रतिस्पर्धी नेटवर्क स्थापित करना शामिल है.

इसके तहत, भारत चीन को घेरने के लिए रणनीतिक रूप से स्थित देशों जैसे इंडोनेशिया, जापान, मंगोलिया, ओमान, सेशेल्स, सिंगापुर, वियतनाम, मध्य एशियाई गणराज्य आदि के साथ सहयोग कर रहा है. इसमें भारत और अन्य देशों के बीच संयुक्त रक्षा अभ्यास, पोर्ट कॉल, सैन्य प्रतिनिधिमंडलों के पारस्परिक दौरे, संयुक्त प्रशिक्षण, आर्थिक सहयोग करने जैसे मुद्दे शामिल है. 

क्यों पड़ी इस रणनीति की जरूरत 
आपको बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र में 28 देश हैं, जो 3 महाद्वीपों में फैले हुए हैं. हिंद महासागर अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक प्रमुख मार्ग है, जो अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ता है. लगभग 80% समुद्री तेल व्यापार केवल 3 चोकपॉइंट्स से होकर गुजरता है: होर्मुज जलडमरूमध्य, मलक्का जलडमरूमध्य, बाब अल मंडेब जलडमरूमध्य. 

भारत और चीन दोनों इन मार्गों के आसपास अपनी पोजिशन मजबूत करना चाहते हैं. अगर कोई एक देश इन मार्गों को अवरुद्ध करता है तो इसका मतलब होगा दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था पर खतरा. चीन अपनी स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स और सिल्क रूट जैसी रणनीति से हिंद महासागर में अपना फुटप्रिंट बढ़ा रहा है. इसलिए भारत के लिए जरूरी है कि वह चीन को काउंटर करके हिंद महासागर में भारतीय ताकत को बढ़ाए और यही काम भारत की नेकलेस ऑफ डायमंड रणनीति कर रही है. 

किस देश के साथ क्या है साझेदारी

सिंगापुर: साल 2018 में, भारत ने चांगी नौसेना बेस तक पहुंचने  के लिए सिंगापुर के साथ एक समझौता किया. भारत और सिंगापुर के बीच नौसेना सहयोग के लिए भी द्विपक्षीय समझौता है. मलक्का स्ट्रेट् (जलडमरूमध्य/दो बड़े समुद्रों को मिलाने वाला संकर समुद्र खंड) के पूर्व में स्थित किसी देश के साथ भारत का यह पहला समझौता है. बताया जाता है कि चीन के लिए यह जलडमरूमध्य बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका 80% तेल और हाइड्रोकार्बन आयात इसी मार्ग से होकर गुजरता है. यह समझौता भारतीय नौसेना को रणनीतिक रूप से दक्षिण चीन सागर के पास स्थित नौसैनिक अड्डे तक पहुंचने में सक्षम बनाता है.

इंडोनेशिया: इस देश के साथ भारत का समझौता सबांग पोर्ट के लिए है. सबांग पोर्ट मलक्का जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर स्थित है. इस क्षेत्र में अन्य कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान्स के अलावा, गहरे समुद्री पोर्ट को विकसित करने के लिए भी दोनों देशों ने साझेदारी की है. 

म्यांमार: भारत और म्यांमार साथ में कलादान मल्टीमॉडल परियोजना पर काम कर रहे हैं. 484 मिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट के तहत म्यांमार के पश्चिमी तट पर भारत सिटवे डीप वाटर पोर्ट बनाएगा. साल 2021 में, केंद्रीय शिपिंग मंत्रालय ने घोषणा की थी कि यह पोर्ट परिचालन शुरू करने के लिए तैयार है और इससे माल की परिवहन लागत और समय में कटौती करने में मदद मिलेगी. 

बांग्लादेश: भारत और बांग्लादेश के बीच मोंगला सी पोर्ट प्रोजेक्ट चल रहा है. बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी तट पर इस पोर्ट को अगस्त 2023 में अपना पहला भारतीय मालवाहक जहाज मिला. बांग्लादेश में भारत की पहुंच देश के चटगांव बंदरगाह तक भी है. 

सेशेल्स: भारत और सेशेल्स के बीच अज़म्प्शन द्वीप पर संयुक्त रूप से एक बेस विकसित करने का समझौता है. आपको बता दें कि यह साइट मोज़ाम्बिक चैनल के करीब स्थित है. 

ईरान और अफगानिस्तान: 2016 में, चाबहार पोर्ट को विकसित करने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता संपन्न हुआ. ईरान के मकरान तट पर स्थित यह पोर्ट ओमान की खाड़ी के तट पर स्थित है. हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, अफगानिस्तान अब इस समझौते में सक्रिय रूप से शामिल नहीं है. 

ओमान: साल 2018 में, भारत को ओमान के डुक्म पोर्ट तक पहुंच मिली, जो ओमान की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर को देखता है. डुक्म पोर्ट रणनीतिक रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य और अदन की खाड़ी के पास स्थित है. यह बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और जिबूती के बीच हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थित है. चीन के लिए ये दोनों ही महत्वपूर्ण है. 

जापान: साल 2020 में, जापान और भारत ने एक्सरसाइज और पोर्ट कॉल्स के दौरान सर्विस और सप्लाई के एक्सचेंड के लिए अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए. जापान के अलावा और पांच देश- संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ ऐसी व्यवस्था कर चुके हैं. 

मंगोलिया: मंगोलिया चीन का उत्तरी पड़ोसी देश है. भारत ने मंगोलिया को 1 बिलियन डॉलर का लोन दिया है और उनकी पहली तेल रिफाइनरी बनाने में मदद कर रहा है. यह रिफाइनरी रूस से ईंधन आयात पर मंगोलिया की निर्भरता को कम कर देगी. 

सऊदी अरब: 2021 में, भारत और सऊदी अरब ने अल मोहम्मद अल हिंद का आयोजन किया, जो दोनों देशों के बीच पहला नौसैनिक अभ्यास था. इसके अलावा, भारत खाड़ी देशों के साथ अन्य रक्षा अभ्यासों में भाग लेता रहा है, जैसे संयुक्त अरब अमीरात के साथ जायद तलवार और बहु-राष्ट्र डेजर्ट फ्लैग अभ्यास. 

ओमान: मध्य पूर्व के सबसे बड़े सेबासिक एसिड प्लांट की डेवलपमेंट के लिए भारत ने एक बिलियन डॉलर से ज्यादा का समझौता किया है. भारतीय-ओमानी संयुक्त उद्यम ड्यूकम एसईजेड बंदरगाह में स्थित है.  

अफ्रीका: एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर भारत और जापान की एक परियोजना है. इसे चीन के BRI का जवाब माना जा रहा है. 

श्रीलंका और मालदीव: 2021 में, भारत, श्रीलंका और मालदीव ने 'कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव' ढांचे के तहत, 4 स्तंभों पर सहयोग करने का फैसला किया था- मरीन सेफ्टी और सिक्योरिटी, तस्करी और संगठित अपराध, आतंकवाद और कट्टरपंथ, और साइबर सुरक्षा. 

भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ एक्ट ईस्ट पॉलिसी शुरू की है ताकि इन देशों के साथ इकोनॉमिकली इंटीग्रेट किया जा सके. इस नीति ने इंडोनेशिया, जापान, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और वियतनाम के साथ रणनीतिक समझौते की राह बनाई है. आपको बता दें कि साल 2015 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एक ही बार में सभी 5 मध्य एशियाई देशों का दौरा करने वाले पहले भारतीय सरकार प्रमुख बने. 

कॉस्टल सुरक्षा पर फोकस 
कॉस्टल रडार नेटवर्क के माध्यम से भी भारत की यह रणनीति आकार ले रही है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने 2015 में भारतीय तट के साथ 46 तटीय रडार स्टेशनों और 16 कमांड और नियंत्रण प्रणाली का एक नेटवर्क स्थापित किया. भारत अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स के समुद्र तट पर सर्वेलिएंस रडार सिस्टम स्थापित करने के लिए साझेदारी कर रहा है.  

इसके अलावा भारत अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को मजबूत कर रहा है. द्वीपों को ट्राई-सर्विस कमांड के रूप में विकसित किया जा रहा है. नेकलेस ऑफ डायमंड रणनीति के तहत भारत ने चीन की परिधि के सभी देशों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने पर फोकस कर रहा है.