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क्या है ODRAF और कैसे करता है काम, जिसने Balasore Train Accident के आंधे घंटे के भीतर शुरू कर दिया था रेस्क्यू ऑपरेशन

Odisha Disaster Rapid Action Force: साल 2001 में नवीन पटनायक की सरकार ने ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स का गठन किया था. इस समय सूबे में 17 जगहों पर ओडीआरएएफ की 20 यूनिट काम कर रही है. हर यूनिट में 50 कर्मचारी होते हैं.

ओडिशा डिजास्टर पैपिड एक्शन फोर्स कैसे काम करता है ओडिशा डिजास्टर पैपिड एक्शन फोर्स कैसे काम करता है

ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाने वाले ODRAF यानि Odisha Disaster Rapid Action Force की हर तरफ तारीफ हो रही है. ओडीआरएएफ सूबे में किसी भी आपदा के वक्त राहत कार्य में सबसे आगे दिखाई देता है. साल 1999 में सुपर साइक्लोन से 10 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी. इसके बाद नवीन पटनायक की सरकार ने इमरजेंसी में काम आने वाले एक दस्ता बनाने का फैसला किया, जो इमरजेंसी उपकरण से लैस हो और ट्रेंड हो. इस तरह से ओडिशा डिजास्टर पैपिड एक्शन फोर्स का गठन हुआ. ये पहली ऐसी एजेंसी है, जो नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) से पहले से काम कर रही है. केंद्र सरकार ने साल 2006 में एनडीआरएफ का गठन किया था. हालांकि आपदा राहत के लिए तमाम राज्यों के पास अपना एक फोर्स है लेकिन ODRAF इन सभी में सबसे कुशल माना जाता है.

बालासोर में सबसे पहले पहुंची थी ODRAF की टीम-
2 जून को बालासोर जिले में ट्रेन हादसा हुआ. इस घटना के आधे घंटे के भीतर ODRAF की 30 कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंच गई और राहत कार्य में जुट गई. 2-3 घंटे के भीतर 120 कर्मचारियों की 4 और टीमें मौके पर पहुंची. टीम के ये सदस्य कलिंगनगर, बारीपदा, भुवनेश्वर और ढेंकनाल से पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए. इसके बाद एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची. ODRAF की टीम टावर लाइट, गैस कटर, हाइड्रोलिक स्प्रेडर और प्लाज्मा कटर से लैस थी. इसका मतलब है कि ओडीआरएएफ की टीम किसी भी आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह से ट्रेंड है. टीम ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 1200 लोगों की जान बचाई.

पड़ोसी राज्यों में भी चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन-
ओडीआरएएफ की टीम ने ओडिशा में साल 2013 में फीलिन, साल 2018 में तितली और 2019 में फानी जैसे साइक्लोन के समय लाखों लोगों का रेस्क्यू किया. ओडीआरएएफ ने ओडिशा के अलावा पड़ोसी राज्यों की भी मदद की. साल 2014 में आंध्र प्रदेश में हुदहुद साइक्लोन के दौरान इस टीम को तैनात किया गया था. जबकि साल 2018 में केरल में बाढ़ और पश्चिम बंगाल में अम्फान चक्रवात के दौरान भी टीम भेजी गई थी. साल 2018 में जब मेघालय में माइंस हादसा हुआ था तो ओडीआरएएफ की टीम भेजी गई थी.

सूबे में ODRAF की 20 यूनिट तैनात-
ओडिशा में ओडीआरएएफ की 20 यूनिट काम करती है. हर यूनिट में 50 कर्मचारी हैं. ये टीमें सूबे की 17 जगहों पर तैनात हैं. इनके पास बेहतरीन ट्रेनिंग और उपकरण हैं. जब साल 2001 में इस फोर्स की शुरुआत हुई थी तो इनके पास सिर्फ 3 यूनिट थी. जिसमें ओडिशा विशेष सशस्त्र पुलिस, सशस्त्र पुलिस रिजर्व, इंडिया रिजर्व बटालियन और स्पेशलाइज्ड इंडिया रिजर्व से लाए गए कर्मचारी शामिल थे. ये फोर्स डॉक्टर, एंबुलेंस, पैरामेडिक्स और मेडिकल स्टाफ से लैस है. टीम को वाटर रेक्स्यू और बिल्डिंग हादसे में रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जाती है. ओडिशा की बीजेडी सरकार आपदा प्रबंधन को लेकर सजग है. इसके लिए 2023-24 के बजट में 3700 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है.

ट्रेनिंग में समन्वय पर फोकस-
आपदा के समय ओडीआरएएफ की टीम की दूसरी इकाइयों के साथ समन्वय बनाए रखने पर विशेष जोर दिया जाता है. इसके लिए स्पेशल रिलीफ कमिश्नर, मैनेजिंग डायरेक्टर, ओएसडीएमए, आईजी, ओएसएपी बटालियनों के कमांडेंट, ओडीआरएएफ यूनिट के प्रभारी, कलेक्टर और ब्लॉक डेवल्पमेंट ऑफिसर के बीच समन्वय बनाए रखा जाता है. टीम के जवानों को ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजा जाता था, ताकि वो इलाके से परिचित हो सकें. जरूरत पड़ने पर जिला प्रशासन से संपर्क करके जरूरी ओडीआरएएफ यूनिट को जुटाया जाता है.

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