
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले कुछ दिनों से जारी तनाव थम गया है. दोनों देशों के बीच युद्धविराम यानी सीजफायर (Ceasefire) हो गया है. दोनों देशों के तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने रेगुलर आर्मी की सहायता के लिए एक अधिसूचना जारी की थी.
इसके तहत रेगुलर आर्मी अपनी सहायता के लिए टेरिटोरियल आर्मी यानी प्रादेशिक सेना ((Territorial Army) को बुला सकती है. टेरिटोरियल आर्मी में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, कपिल देव, शूटर अभिनव बिंद्रा, मोहनलाल, अनुराग ठाकुर आदि अधिकारी हैं. आइए टेरिटोरियल आर्मी के बारे में A से Z तक जानते हैं.
क्या है टेरिटोरियल आर्मी
टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना 9 अक्टूबर 1948 को हुई थी. इसे सेकेंड लाइन ऑफ डिफेंस भी कहा जाता है. यह एक अर्द्धसैनिक बल है. यह एक एक स्वैच्छिक संगठन है. इसका एक खास बात यह है कि देश का आम आदमी नौकरी या व्यापार के साथ भी टेरिटोरियल आर्मी ज्वाइन कर सकता है. टेरिटोरियल आर्मी में विभिन्न क्षेत्रों जैसे खेल, राजनीति और मनोरंजन में पहचान बना चुके एक मुकाम हासिल करने वाली हस्तियों को मानद या नियमित रूप से शामिल किया जाता है.
क्या करती है यह आर्मी
टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने वालों को नियमित सेना के जवानों की तरह ट्रेनिंग भी कराई जाती है, जिसमें हथियार चलाने, युद्ध रणनीति और आपदा प्रबंधन शामिल हैं. टेरिटोरियल आर्मी ने 1962, 1965 और 1971 और 1999 के युद्धों में हिस्सा लिया था.
प्रादेशिक सेना आतंकवाद विरोधी अभियानों, आपदा राहत और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देती है. किसी आपात स्थिति में यह नियमित सेना को यूनिट प्रदान करती है. इन्हें आपात स्थिति या युद्धकाल जैसे हालातों में भी एक्टिव ड्यूटी पर बुलाया जाता है. इनका इस्तेमाल ज्यादातर इंटरनल सिक्योरिटी, आपदा प्रबंधन और सहायक कार्यों के लिए किया जाता है.
11 यूनिट्स के साथ हुई थी शुरुआत
टेरिटोरियल आर्मी की शुरुआत 11 यूनिट्स के साथ हुई थी. आज इसमें 32 पैदल बटालियन हैं. इस प्रादेशिक सेना में पैदल सेना, इंजीनियरिंग, सिग्नल्स और रसद जैसे विभिन्न विभाग शामिल हैं. इसमें इकाइयां जैसे इन्फैंट्री बटालियन, इकोलॉजिकल टास्क फोर्स और रेलवे इंजीनियर रेजिमेंट शामिल हैं.
कैसे होती है भर्ती
टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम उम्र 42 वर्ष होनी चाहिए. इसमें भर्ती के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होना चाहिए. इसमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं. टेरिटोरियल आर्मी ज्वाइन करने के लिए अभ्यर्थियों को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में ग्रेजुएट होना जरूरी है.
उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा, फिजिकल, मेडिकल टेस्ट आदि चरणों के जरिए किया जाता है. बता दें कि ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो भारतीय सेना में जाना चाहते हैं, लेकिन कुछ कारणों से उनका सेलेक्शन नहीं हो पाता। ऐसे युवाओं को सेना टेरिटोरियल आर्मी भर्ती के माध्यम देश सेवा का एक और मौका देती है.चयन प्रक्रिया के दौरान पूर्व सैन्य कर्मियों को लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ता है.
टेरिटोरियल आर्मी को मिलती हैं ये सुविधाएं
टेरिटोरियल आर्मी ज्वाइन करने वालों को सैलरी के साथ कई सारे भत्ते और लाभ मिलते हैं. चयनित उम्मीदवारों को सीएसडी, चिकित्सा और मुफ्त राशन, आर्मी कैंटीन की सुविधाएं मिलती है. टीए और डीए की भी सुविधा मिलती है. टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी, जूनियर कमीशंड अधिकारी और अन्य जवान होते हैं, जिन्हें मुख्य सेना की तरह रैंक और ट्रेनिंग भी दी जाती है.
ये दिग्गज हस्तियां हैं शामिल
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को 2011 में टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी. उन्होंने प्रादेशिक सेना की पैराशूट रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दीं और सैन्य प्रशिक्षण भी लिया. एमएस धोनी ने साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में अपनी यूनिट के साथ समय बिताया, जहां उन्होंने गश्त और अन्य सैन्य गतिविधियों में हिस्सा लिया. भारत को पहली बार 1983 में विश्व कप दिलाने वाले कप्तान कपिल देव टेरिटोरियल आर्मी में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक प्राप्त है.
हालांकि उन्होंने नियमित सैन्य प्रशिक्षण नहीं लिया है. भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता (2008, बीजिंग ओलंपिक) अभिनव बिंद्रा को साल 2011 में प्रादेशिक सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई है.मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार मोहनलाल को साल 2009 में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट साल 2012 में टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में शामिल हुए. केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर साल 2016 में टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के रूप में शामिल हुए.