

बिहार में चंद महीनों के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. उसके ठीक पहले राज्य में आयोगों के पुनर्गठन का सिलसिला लगातार जारी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने आधा दर्जन आयोगों का पुनर्गठन किया है. इनमें बाल संरक्षण अधिकार आयोग के बाद अल्पसंख्यक आयोग, सवर्ण आयोग, मछुआरा आयोग और अनुसूचित जाति आयोग शामिल हैं.
बिहार में इन आयोगों के पुनर्गठन का काम लंबे अरसे से टल रहा था लेकिन अब विधानसभा चुनाव के दरवाजे पर खड़ी सरकार ने इसे पूरा करने का फैसला किया. एक के बाद एक इन आयोगों के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई.
आयोगों के पुनर्गठन में जिन चेहरों को जगह दी गई है, उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव में कहीं ना कहीं से टिकट के दावेदार थे. राज्य अल्पसंख्यक आयोग से शुरुआत करें तो वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ आपत्ति जताने वाले जेडीयू के पूर्व राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया.
पुनर्गठन की सियासत
गुलाम रसूल बलियावी को ये जिम्मेदारी देकर उन्हें वक्फ संशोधन कानून पर ज्यादा आक्रामक ना होने का संदेश दिया गया है. संभव हो कि बलियावी भी इस नई जिम्मेदारी से संतुष्ट हों. एनडीए में शामिल घटक दलों से संबंध रखने वाले दूसरे नेताओं को भी अल्पसंख्यक आयोग में एडजस्ट किया गया है. आयोग में लखविंदर सिंह और मौलाना उमर नूरानी को उपाध्यक्ष बनाया गया है.
सवर्ण आयोग का गठन कर सरकार ने पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के कयास पर विराम लगा दिया. महाचंद्र प्रसाद सिंह को सवर्ण आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन को इसी आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया जो उनके लिए एडजेस्टमेंट है. बीजेपी के एक और नेता राजकुमार सिंह को सवर्ण आयोग का सदस्य बनाया गया है. राजकुमार सिंह राजपूत बिरादरी से आते हैं और उनकी भी चाह टिकट पाने की थी.
नेताओं के रिश्तेदारों की बल्ले-बल्ले
आयोगों के पुनर्गठन में केवल पॉलिटिकल एडजस्टमेंट हुआ हो, ऐसा भी नहीं है. कई नेताओं के परिवार वाले और रिश्तेदारों को भी इसमें एडजस्ट किया गया है. राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग में स्व रामविलास पासवान के दामाद और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बहनोई मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. इसी आयोग में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार को दी गई है.
इस आयोग में नेताओं के परिवार से कई चेहरों को जगह मिली है. राज्य मछुआरा आयोग में पूर्व विधायक अजीत चौधरी को उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली है. अजीत चौधरी बक्सर जिले ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार माने जाते हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो आयोगों के पुनर्गठन ने एक तरफ जहां टिकट के दावेदारों की संख्या में कटौती की है, वहीं नेताओं के रिश्तेदारों की भी बल्ले-बल्ले रही है.
शशि भूषण की रिपोर्ट