
मोदी सरकार देश के सभी क्षेत्रों के विकास के लिए जोर-शोर से प्रयास कर रही है. इसका असर दिख भी रहा है. चाहे शहर हो या गांव विकास हर जगह दिखाई दे रहा है. सीमावर्ती गांवों का भी चहुमुंखी विकास हो इसके लिए केंद्र सरकार वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम लेकर आई है. आइए जानते हैं इस प्रोग्राम से क्या-क्या फायदा होगा?
2967 गांवों का होगा विकास
केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को शुरू किया है. सीमावर्ती इलाकों में विकास के लिए सरकार की तरफ से 4800 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इसमें से 2500 करोड़ रुपए सड़क निर्माण कार्य में लगाए जाएंगे. इस प्रोग्राम के पहले चरण में करीब 662 गांवों को शामिल किया गया है. पूरे प्रोग्राम में 2967 गांवों को शामिल किया जाएगा. इस योजना के तहत सीमावर्ती गांवों में सड़क के साथ पानी और बिजली की भी सुविधा दी जाएगी. इस योजना के तहत सरकार सीमावर्ती गांवों में विकास करके लोगों का पलायन रोकना चाहती है.
इन राज्यों के गांवों की हुई है पहचान
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे गांवों की पहचान की गई है. इस तरह से कुल 2967 गांवों की पहचान की गई है. पहले चरण में 662 गांवों का विकास किया जाएगा. जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव, हिमाचल प्रदेश के 75, लद्दाख के 35, सिक्किम के 46 और उत्तराखंड के 51 सीमावर्ती गांव शामिल हैं.
इस प्रोग्राम के शुरू होने से ये होंगे फायदे
1. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत गांवों में विकास के साथ लोगों को आजीविका भी मुहैया करवाई जाएगी.
2. रोजगार मिलने से लोगों का पलायन कम हो जाएगा.
3. इस प्रोग्राम के आने से विकास दर की रफ्तार तेज हो जाएगी.
4. महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने पर फोकस किया जाएगा.
5. एक गांव एक उत्पाद की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस के विकास पर ध्यान दिया जाएगा.
6. सड़कों के बन जाने से लोगों का आवागमन सूलभ होगा.
7. कृषि बागवानी, औषधीय, जड़ी-बूटी आदि की खेती को प्राथमिकता दिया जाएगा.