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क्या है 'ट्रिपल डिप' ला नीना, भारतीय मानसून पर पड़ रहा है इसका असर, हुई सामान्य से ज्यादा बारिश

इस साल भारत में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. और आगे भी मौसम ज्यादा सर्द की तरफ रहने की संभावना है. यह स्थित ला नीना के कारण है. अब सवाल है कि आखिर ला नीना क्या है और इसका भारत में बारिश पर क्या प्रभाव है.

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हाइलाइट्स
  • वर्तमान ला नीना, सितंबर 2020 में शुरू हुआ था

  • ला नीना इवेंट का लगातार तीन साल होना असाधारण है

ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो ने मंगलवार (13 सितंबर) को प्रशांत महासागर में लगातार तीसरे वर्ष ला नीना घटना की पुष्टि की. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) ने 31 अगस्त को कहा था कि यह समुद्री और वायुमंडलीय घटना कम से कम साल के अंत तक चलेगी, और इस सदी में पहली बार उत्तरी गोलार्ध में लगातार तीन सर्दियों में 'ट्रिपल डिप' ला नीना बन जाएगा. 

WMO ने भविष्यवाणी की कि वर्तमान ला नीना, सितंबर 2020 में शुरू हुआ था, और छह महीने तक जारी रहेगी. जिसके सितंबर-नवंबर 2022 तक रहने की 70 प्रतिशत संभावना और दिसंबर-फरवरी 2022/2023 तक चलने की 55 प्रतिशत संभावना है. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ला नीना इवेंट का लगातार तीन साल होना असाधारण है. इसके कारण ठंड बढ़ती है और जिस कारण, वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी नहीं हो रही है. हालांकि, यह लॉन्ग टर्म के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग को नहीं रोक सकता है.  

क्या है अल नीनो और ला नीना 
अल नीनो और ला नीना, दोनों स्पेनिश शब्द हैं. जिनका मतलब है 'लड़का' और 'लड़की.' वहीं मौसम के लिहाज से देखा जाए तो ये परस्पर विपरीत घटनाएं हैं. जिसके दौरान भूमध्य रेखा के साथ प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान असामान्य रूप से गर्म होना या ठंडा हो जाता है. साथ में, इन्हें अल नीनो-साउथर्न ओसिलेशन सिस्टम, या संक्षेप में ईएनएसओ के रूप में जाना जाता है. 

ENSO की स्थिति, ग्लोबल लेवल पर एटमॉस्फेरिक सर्कुलेशन को प्रभावित करती है. ऐसे में, यह विश्व स्तर पर तापमान और बारिश दोनों को बदल सकती है. यह एक आवर्ती घटना है और तापमान में परिवर्तन के साथ ऊपरी और निचले स्तर की हवाओं, समुद्र के स्तर के दबाव और प्रशांत बेसिन में उष्णकटिबंधीय वर्षा (ट्रॉपिकल रेनफॉल) के पैटर्न में बदलाव होता है. 

आम तौर पर, अल नीनो और ला नीना हर चार से पांच साल में होते हैं। अल नीनो, ला नीना की तुलना में अधिक बार होता है. 

भारत के मानसून को प्रभावित करता है ला नीना 
भारत में अल नीनो सालों में मानसून के दौरान अत्यधिक गर्मी और सामान्य वर्षा के स्तर से नीचे बारिश देखी गई है. हालांकि, अल नीनो सिर्फ एक कारण नहीं है या इसका कोई डायरेक्ट लिंक नहीं है. लेकिन साल 2014 में, अल नीनो साल था और भारत में जून से सितंबर तक 12 प्रतिशत कम वर्षा हुई. 

दूसरी ओर, ला नीना साल में, भारत में गर्मियों में अच्छी बारिश होती है. इस साल, भारत में 740.3 मिमी बारिश हुई है, जो 30 अगस्त तक मौसमी औसत से 7 प्रतिशत अधिक है. 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 30 में बारिश हुई है जिसे या तो 'सामान्य', या 'अधिक' के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

ऐसे में, ला नीना का जारी रहना भारतीय मानसून के लिए एक अच्छा संकेत है. उत्तर प्रदेश, बिहार और पड़ोसी क्षेत्रों को छोड़कर अब तक मानसून की बारिश अच्छी रही है.