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Balakot Air Strike: क्या था बालाकोट एयर स्ट्राइक, जानिए कैसे भारत ने आतंक पर किया था बड़ा प्रहार

Balakot Air Strike पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं. हाल ही में, कांग्रेस के दिग्गज नेता दिगविजय सिंह ने बालाकोट को लेकर टिप्पणी की.

Balakot Air Strike Balakot Air Strike
हाइलाइट्स
  • 26 फरवरी, 2019 को किया था भारत ने हमला

  • हमले में इस्तेमाल हुए स्पाइस बम

यह पहली बार नहीं है, जब दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में संदेह जताते हुए अपनी पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सोमवार को जम्मू में एक रैली को संबोधित करते हुए, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार एलओसी के पार किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बात करती है, लेकिन उसने अपने दावे को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है. 

उनके इस बयान के बाद राजनीतिक दलों में बवाल मच गया है. बीजेपी लगातार कांग्रेस को टारगेट कर रही है कि इस तरह के बयान से कांग्रेसी नेता भारतीय सेना का अपमान कर रहे हैं. हालांकि, भारतीय सेना में पश्चिमी वायु कमान की कमान संभालने के बाद सेवानिवृत्त हुए एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार ने इस पर कहा है कि सिंह को नहीं पता वह किस बारे में बात कर रहे हैं और जानकारी दे रहे हैं. 

नांबियार का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे बाले बालाकोट में एयर स्ट्राइक हुआ और इस मिशन में शामिल पायलट्स ने बिल्कुल वैसा किया जैसा कि उन्हें कहा गया था. 

बालाकोट एयर स्ट्राइक
भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकी शिविर को निशाना बनाया था. बताया जाता है कि इसका इस्तेमाल हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी समूह द्वारा भी किया गया था. 

बालाकोट शिविर जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र था और इसमें आतंकवादी ट्रेनी को रखने और उन्हें ट्रेन करने के लिए कई सुविधाएं थीं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुन्हार नदी पर स्थित, बालाकोट शिविर में आतंकवादियों को एक्वाटिक ट्रेनिंग देने की संभावना भी थी. 

बालाकोट शहर से 20 किमी दूर स्थित शिविर का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किया जा रहा था. इसके प्रशिक्षक पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी थे. कई मौकों पर JeM के संस्थापक और आतंकी मास्टरमाइंड मसूद अजहर और अन्य आतंकवादी नेताओं ने यहां भाषण भी दिए. 

इस्तेमाल हुए स्पाइस बम
भारत के अधिकारियों ने पाकिस्तान में बालाकोट पर हवाई हमले के बाद खुलासा किया था कि 26 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए इजरायल निर्मित "स्मार्ट बम" का इस्तेमाल किया गया था. इन मिसाइलों को स्पाइस 2000 कहा जाता था. 

इज़राइली "स्पाइस बम" को बालाकोट में जैश के आतंकी शिविरों पर जीपीएस कॉर्डिनेट्स के साथ पहले से फीड किया गया था. ये बम सटीक निर्देशित होते हैं, और खुद ऑटोमेटिकली टारगेट मैच करके इसे नष्ट कर सकते हैं. दरअसल, 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, इज़राइल भारत को सैन्य सहायता देने वाला पहला देश था. तेल अवीव ने भारतीय सैनिकों को गोला-बारूद और मोर्टार की आपूर्ति की थी.

14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवानों के शहीद होने के कुछ दिनों बाद ये हमले किए गए. बालाकोट एयर स्ट्राइक ने भारत की रक्षा नीति में एक बदलाव को दर्शाया कि अब भारत आतंक का मुंहतोड़ जवाब देगा. 

पाकिस्तान के एफ -16 को मार गिराया
जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को पुलवामा में घातक आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें सीआरपीएफ के 40 से अधिक जवान मारे गए थे. इसके जवाब में भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया. बालाकोट हवाई हमले के एक दिन बाद, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान वायु सेना की जवाबी कार्रवाई को विफल कर दिया, जिसमें भारत के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने मिग 21 को उड़ाते हुए पाकिस्तान के एफ -16 को मार गिराया था. 

पूर्व विंग कमांडर, नांबियार का कहना है कि इस हमले के बाद से पाकिस्तान के तेवर बदल गए हैं. उनका कहना है कि चाहे कोई भी बालाकोट पर सवाल उठाए लेकिन सेना का कर्तव्य है कि “जवाब न दें”. क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है.