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अंडमान-निकोबार कमांड की कमान लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा के हाथ, जम्मू-कश्मीर से लेकर LAC तक में दे चुके सेवा

लेफ्टिनेंट जनरल राणा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और अन्य शक्तियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं. उनकी डिफेंस इंटेलिजेंस और LAC का अनुभव उन्हें इस कमांड के लिए आदर्श बनाता है. ANC न केवल भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि वैश्विक व्यापार मार्गों और ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है.

Lieutenant General Dinesh Singh Rana Lieutenant General Dinesh Singh Rana

क्या आप जानते हैं भारत का सबसे अनोखा और सामरिक रूप से अहम सैन्य कमांड कौन सा है? जी हां, अंडमान और निकोबार कमांड (ANC), जो भारत का पहला और एकमात्र संयुक्त सैन्य कमांड है, जहां सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल एक साथ मिलकर हिंद महासागर के इस रणनीतिक क्षेत्र को अजेय बनाते हैं. और इसकी कमान लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा के हाथ दी गई है. इन्होंने 1 जून 2025 को अंडमान और निकोबार कमांड के 18वें कमांडर-इन-चीफ (CINCAN) का पदभार संभाला. 

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा?
लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा कोई साधारण सैन्य अधिकारी नहीं हैं. 19 दिसंबर 1987 को गढ़वाल राइफल्स की 10वीं बटालियन में कमीशन प्राप्त करने वाले राणा ने न केवल अपनी बटालियन का नेतृत्व किया, बल्कि 37 साल के शानदार करियर में हर चुनौती को अवसर में बदला. 

नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), खड़कवासला से ग्रेजुएशन, वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से पोस्टग्रेजुएशन किया और नई दिल्ली के नेशनल डिफेंस कॉलेज, स्पेन के सेंटर फॉर नेशनल डिफेंस स्टडीज और अमेरिका के नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की. उनकी शैक्षणिक उपलब्धियां इतनी प्रभावशाली हैं कि उन्होंने कई सैन्य कोर्स में टॉप किया. इतना ही नहीं, उनके पास चीन की रक्षा आधुनिकीकरण पर पीएचडी भी है, जो उनकी रणनीतिक सोच को और गहराई देता है.

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37 साल का शानदार सफर
लेफ्टिनेंट जनरल राणा का करियर एक एक्शन से भरी फिल्म की तरह है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में हिस्सा लिया, जहां उनकी वीरता के लिए उन्हें सेना मेडल और COAS कमेंडेशन से सम्मानित किया गया. इसके बाद, उन्होंने पूर्वी सेक्टर में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड और डिवीजन का नेतृत्व किया और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गजराज कोर का कमान संभाला. उनकी सेवाएं केवल युद्ध के मैदान तक सीमित नहीं रहीं; उन्होंने लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम के साथ भी काम किया.

राणा ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी, देहरादून, कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकंदराबाद और आर्मी वॉर कॉलेज, Mhow में प्रशिक्षक के रूप में अपनी विशेषज्ञता साझा की. उनकी स्टाफ नियुक्तियों में ब्रिगेड मेजर, डिप्टी डायरेक्टर जनरल स्टाफ ड्यूटीज, ब्रिगेडियर मिलिट्री इंटेलिजेंस (पूर्व), और प्रोवोस्ट मार्शल जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल हैं. हाल ही में, वे डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर जनरल थे, और अब वे पहले ऐसे अधिकारी बन गए हैं जो इस पद से सीधे कमांडर-इन-चीफ बने.

अंडमान-निकोबार कमांड
अंडमान और निकोबार कमांड, श्री विजय पुरम में स्थित, भारत का सबसे अनोखा सैन्य कमांड है. यह हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा करता है, जो वैश्विक व्यापार और सामरिक शक्ति का केंद्र है. यह कमांड सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बल को एकजुट करता है, और लेफ्टिनेंट जनरल राणा जैसे अनुभवी नेतृत्व की जरूरत है ताकि यह क्षेत्र अभेद्य बना रहे. 

पुरस्कारों से सजा करियर
लेफ्टिनेंट जनरल राणा का करियर सम्मानों से भरा है. उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM), अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM), युद्ध सेवा मेडल (YSM), सेना मेडल (SM) और COAS कमेंडेशन कार्ड से नवाजा गया है. ये पुरस्कार उनकी वीरता, रणनीतिक दृष्टि और समर्पण का प्रतीक हैं. 

लेफ्टिनेंट जनरल राणा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और अन्य शक्तियों की गतिविधियां बढ़ रही हैं. उनकी डिफेंस इंटेलिजेंस और LAC का अनुभव उन्हें इस कमांड के लिए आदर्श बनाता है. ANC न केवल भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि वैश्विक व्यापार मार्गों और ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है. लेफ्टिनेंट जनरल राणा का नेतृत्व इस क्षेत्र में भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है.

(इनपुट- मंजीत नेगी)